करनाल में खनन माफिया और कानून में शह-मात का खेल, वाट्सएप को बना रहे हथियार

हरियाणा में यमुना नदी से सटे इलाकों में खनन धड़ल्ले से जारी है। जब भी जांच टीम सक्रिय होती है तो खनन के सौदागर वाट्सएप ग्रुप के जरिये अपने साथियों तक उनकी लोकेशन पहुंचा देते हैं। इससे अकसर टीमों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 05 Mar 2021 04:08 PM (IST) Updated:Fri, 05 Mar 2021 04:08 PM (IST)
करनाल में खनन माफिया और कानून में शह-मात का खेल, वाट्सएप को बना रहे हथियार
यमुनानगर से लेकर करनाल और पानीपत में खनन माफिया लगातार सक्रिय है।

पानीपत/करनाल, जेएनएन। यमुना से सटे इलाकों में एक बार फिर अवैध खनन से जुड़ी गतिविधियां लगातार जोर पकड़ रही हैं। पड़ोसी जिलों में यमुनानगर से लेकर पानीपत तक अवैध खनन से जुड़े लोग पुलिस और खनन विभाग के अधिकारियों को लगातार चकमा दे रहे हैं। हालांकि, पुलिस उनकी धरपकड़ के लिए मुहिम चला रही है लेकिन अभी भी कई क्षेत्रों तक यह धंधा बेरोकटोक जारी है। आलम यह है कि जब भी जांच टीम सक्रिय होती है तो खनन के सौदागर वाट्सएप ग्रुप के जरिये अपने साथियों तक उनकी लोकेशन पहुंचा देते हैं। इससे अकसर टीमों को खाली हाथ ही लौटना पड़ता है। 

यमुनानगर से लेकर करनाल और पानीपत में खनन माफिया लगातार सक्रिय है। यहां तक कि कोरोना काल में लगे लॉकडाउन के दौरान भी उनकी गतिविधियों पर खास फर्क नहीं पड़ा। बल्कि, ऐसे हालात में पुलिस प्रशासन की दूसरे कार्यों में सक्रियता का उन्होंने भरपूर फायदा उठाया। यमुना से सटे तमाम इलाकों में वे लगातार नदी का सीना चीर रहे हैं। काबिल-ए-गौर पहलू यह है कि पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के खनन माफिया से भी उनका लगातार संपर्क बना हुआ है। इस तरह वे बाकायदा गठजोड़ की शक्ल में अपनी करतूतों को अंजाम दे रहे हैं। अकसर पुलिस प्रशासन और खनन अधिकारियों के पास उनकी शिकायतें पहुंचती हैं तो संयुक्त टीम बनाकर छापेमारी की मुहिम भी चलाई जाती है लेकिन खनन के खेल में माहिर गिरोहों ने इसका तोड़ भी निकाल लिया है। वे पूरी तरह फूलप्रूफ प्लान पर अमल करते हुए वाट्सएप ग्रुप की मदद से एक-दूसरे को जांच टीमों की लोकेशन से अवगत कराते रहते हैं। इसके चलते टीम जब तक शिकायत या सूचना के आधार पर बताई गई जगह तक पहुंचती है, वहां से पहले ही खनन के खिलाड़ी फरार हो चुके होते हैं। कई बार ऐसे हालात में जांच टीम और खनन माफिया के बीच टकराव तक के हालात उभर आते हैं। 

इस तरह पकड़ में आया था मामला

हालांकि, जांच टीम इस स्थिति को देखते हुए अब और सघनता के साथ चेकिंग कर रही है। लेकिन व्हाट्सएप ग्रुप चलाकर जांच टीम की लोकेशन पर पल पल नजर रख रहे खनन के खिलाड़ियों के हौसले लगातार बुलंद हैं। इसका रहस्योद्घाटन हाल में तब हुआ, जब माइनिंग अधिकारियों की गाड़ियां दो दिन पहले जिले के घरौंडा क्षेत्र में लालुपुरा के पास यमुना नदी का निरीक्षण कर लौट रही थी। इसी बीच एक स्कॉर्पियो गाड़ी ने खनन अधिकारियों की गाड़ी का पीछा शुरू कर दिया। इंफोर्समेंट टीम में शामिल पुलिस अधिकारियों ने स्थिति को भांप लिया और चौरा गांव के पास जैसे ही स्कॉर्पियों ने ओवरटेक किया तो पुलिस अधिकारियों ने स्कॉर्पियो को रोक लिया। अचानक पुलिस की कार्रवाई देख स्कॉर्पियो सवार लोगों में हड़कंप मच गया। गाड़ी में सवार पांच लोगों में से चार व्यक्ति पुलिसकर्मियों को धक्का देकर फरार हो गए। पुलिस ने जींद जिले के चाबरी गांव वासी सबदीप को काबू कर लिया। सबदीप के पास से पुलिस को एक मोबाइल फोन बरामद हुआ। इस फोन को खंगालने से खुलासा हुआ कि ये लोग खनन माफिया को अधिकारियों की लोकेशन वॉट्सएप ग्रुप के माध्यम से शेयर करते थे। खनन अधिकारी गुरजीत सिंह की शिकायत पर पांच लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। जबकि एक आरोपित को न्यायालय ने जेल भेज दिया।

कई जिलों में नेटवर्क 

इस पूरे खेल में सबसे अहम पहलू यह है कि खनन के खिलाड़ियों का नेटवर्क किसी एक जिले नहीं बल्कि, पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश तक फैला हुआ है। हरियाणा में जहां यमुना नदी से सटी लंबी बेल्ट पर वे करनाल सहित यमुनानगर, पानीपत और इससे आगे तक के जिलों में अपना धंधा बेरोकटोक चला रहे हैं तो वहीं उत्तर प्रदेश में सहारनपुर, शामली और बागपत तक उनका गठजोड़ है। ऐसे में जब भी दोनों राज्यों में जांच टीमें निरीक्षण या छापेमारी की कार्रवाई को अंजाम देने निकलती हैं तो खनन के खिलाड़ियों की ओर से अपने व्हाट्स अप ग्रुप पर उनकी लोकेशन शेयर कर दी जाती है। इसे ट्रेस करने के साथ ही खनन माफिया हर बार आसानी से बच निकलते हैं।  

हर हरकत पर पुलिस की नजर 

खनन के खेल में माहिर गिरोहों की हरकतों पर अब पुलिस लगातार नजर रख रही है। इसके तहत यमुना से सटे क्षेत्रों में गश्त का सिलसिला बढ़ाने के साथ ही इंटरनेट मीडिया की निगरानी भी की जा रही है। घरौंडा के थाना प्रभारी मोहन लाल ने बताया कि हाल में पकड़े गए मामले में जिस आरोपित को काबू किया गया, उसके मोबाइल फोन की जांच में यह रहस्योद्घाटन हुआ कि खनन माफिया एक-दूसरे से जांच टीमों की लोकेशन शेयर कर रहा है। इसे देखते हुए माइनिंग विभाग के साथ समन्वय बढ़ाते हुए खनन के खिलाड़ियों का नेटवर्क ध्वस्त करने की रणनीति तैयार की जा रही है।

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