कृत्रिम गर्भाधान तकनीक बनी हरियाणा के पशुपालकों के लिए वरदान, दो दशकों में ढाई गुना बढ़ा दूध उत्पादन

हरियाणा दूध उत्पादन मेंलगातार समृद्ध हो रहा है। पिछले दो दशकों में दूध उत्पादन में ढाई गुना वृध्दि हुई है। प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता जो 2016-17 में 930 ग्राम प्रति व्यक्ति थी वह बढक़र 1344 ग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 11:59 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 11:59 AM (IST)
कृत्रिम गर्भाधान तकनीक बनी हरियाणा के पशुपालकों के लिए वरदान, दो दशकों में ढाई गुना बढ़ा दूध उत्पादन
इसके पीछे हरियाणा सरकार की नस्ल सुधार योजना का बड़ा हाथ है।

रनाल, जेएनएन। पशु हमारे देश की ग्रामीण अर्थव्यवस्था का तथा कृषि का मुख्य आधार हैं। पशु से अधिक से अधिक लाभ प्राप्त करना उनकी नस्ल, जाति तथा उसकी मूल क्षमता पर निर्भर करता है। इसलिए प्रदेश में पशु विकास हेतु नस्ल सुधार का कार्य तेजी से जारी है।

कृत्रिम गर्भाधान तकनीक से दूध उत्पादन में हरियाणा प्रदेश लगातार समृद्ध हो रहा है। प्रदेश में श्वेत क्रांति के चलते पिछले दो दशकों में दूध उत्पादन में ढाई गुना वृध्दि हुई है। यही नहीं प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता जो 2016-17 में 930 ग्राम प्रति व्यक्ति थी वह बढ़कर आज 1344 ग्राम प्रति व्यक्ति हो गई है। इसके पीछे हरियाणा सरकार की नस्ल सुधार योजना का बड़ा हाथ है। वरिष्ठ पशु चिकित्सक डा. तरसेम राणा ने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान सुविधा गाय व भैसों में नस्ल सुधान व दुग्ध उत्पादन वृद्धि के लिए चलाई गई है। इस स्कीम के अन्तर्गत उत्तम नस्ल के सांडो का वीर्य लेकर गाय व भैंसों को कृत्रिम विधि से गर्भित किया जाता है जिसके कारण नस्ल सुधार व अधिक दुग्ध उत्पादन को बढावा मिला है। उन्होंने बताया कि कृत्रिम गर्भाधान की सुविधा गांवों में स्थित डिस्पेंसरी और घर पर जाकर भी दी जा रही है।

गायों में 100 तो भैंसों में 60 फीसद तक इस्तेमाल

डा. तरसेम राणा ने कहा कि पशुपालक भी इस तकनीक में काफी रुचि ले रहे हैं। यही कारण है कि गायों में लगभग 100 फीसद और भैंसों में 50 से 60 फीसद कृत्रिम गर्भाधान तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। इस आंकड़े को शत प्रतिशत करना ही हमारा लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि हमारे लिए खुशी की बात है कि इस वर्ष प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता व आय के मामले में हमने पंजाब को पछाड़ते हुए देश मे पहला स्थान हासिल किया है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम गर्भाधान तकनीक में सबसे अच्छी नस्ल के सांडों के वीर्य का ही इस्तेमाल किया जाता है। इससे पशुओं में दूध उत्पादन पहले से कई गुना बेहतर मिलता है। किसान अधिक से अधिक इस तकनीक का लाभ उठाकर अपनी आय को और अधिक बढ़ा सकते हैं।

100 फीसद बछड़ियां ही पैदा होंगी

डॉ. तरसेम राणा ने कहा कि प्रदेश में पशु गर्भाधान की नई तकनीक भी अब हमारे पास उपलब्ध है। इससे 100 फीसद बछड़ियां ही पैदा होंगी। प्रदेश में इसका सफल प्रयोग जारी है। इससे आने वाले समय में अच्छी नस्ल की अधिक बछड़ियों से दूध का उत्पादन बढ़ेगा। इससे किसान की आय में वृद्धि संभव होगी। उन्होंने बताया कि  इस नई गर्भाधान पद्धति के जरिये देसी गाय सिर्फ बछिया को जन्म देती है। इस पद्धति से बेसहारा पशुओं पर भी लगाम लगेगी।

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