किसान आंदोलन पर जींद में हुई खापों की महापंचायत, गांवों से दिल्ली कूच करेंगे किसान
किसान आंदोलन पर जींद में खापों की महापंचायत हुई। इसमें किसानों के आंदोलन को लेकर चर्चा की गई। इस महापंचायत में खाप प्रतिनिधियों ने फैसला किया कि गांवों से किसान आंदोलन में भाग लेने के लिए दिल्ली जाएंगे।
जींद, जेएनएन। कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को लेकर जींद खापों की महापंचायत हुई। इसमें कई फैसले किए गए। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि आंदोलन में भाग ले रहे किसानों के लिए दूध और राशन भेजा जाएगा। इसके साथ ही हर गांव से किसान आंदोलन में भाग लेने दिल्ली जाएंगे।
खापों की महापंचायत का आयोजन में अर्बन एस्टेट स्थित जाट धर्मशाला परिसर में किया गया। महापंचायत में किसान आंदोलन में प्रदेशभर से भागीदारी बढ़ाने और आंदोलनकारी किसानों के लिए राशन व आर्थिक मदद के लिए रणनीति बनाई गई।
सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए किसान वर्ग से जुड़े विधायकों पर बनाया जाएगा दबाव
महापंचायत में बिनैन खाप, हिसार की सतरोल खाप, चहल खाप, कंडेला खाप, पंघाल खाप, सहारण खाप, नांदल खाप, ढुल खाप, पंचग्रामी खाप, नौगामा खाप, किनाना बारहा खाप, चौगामा खाप, जाट महासभा, पूनिया खाप समेत विभिन्न खापों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। खाप प्रतिनिधियों ने कहा कि गांवों से दूध व राशन दिल्ली भेजा जा रहा है और किसान भी आंदोलन में शामिल होने दिल्ली जा रहे हैं।
खाप नेताओं ने कहा कि आंदोलन की पहल पंजाब ने की है। हरियाणा दिल्ली के नजदीक था, इसलिए पहल हरियाणा को करनी चाहिए थी। महापंचायत में कहा गया कि आंदोलनकारियों की हर तरह की मदद की जाएगी। अगर सरकार ने आंदोलनकारियों के साथ कुछ गलत किया, तो वे पीछे नहीं हटेंगे। इसके लिए गांवों में माहौल तैयार किया जाएगा। सुबे सिंह समैण ने कहा कि किसान विरोधी कृषि कानूनों के विरोध में शांतिपूर्वक दिल्ली जा रहे किसानों को पंजाब सरकार ने नहीं रोका। हरियाणा में उनको रोका गया। इसलिए सरकार को चलता करने के लिए किसान वर्ग से जुड़े विधायकों पर प्रदेश सरकार से समर्थन वापस लेने के लिए दबाव बनाया जाएगा।
सरपंच भी उतरे विरोध में
महापंचायत में कई गांवों के सरपंच भी मौजूद रहे। सरपंच एसोसिएशन जींद ब्लॉक प्रधान संदीप रूपगढ़ ने कहा कि ये कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैं। अगर सरकार ने जल्द ही इन्हें वापस नहीं लिया, तो वे सरपंची सरकार को सौंप कर आंदोलन में शामिल होंगे। गांवों से 36 बिरादरी से जुड़े किसान व अन्य वर्ग इस आंदोलन में हिस्सा ले रहे हैं।
किसान ही सुलझाएंगे एसवाइएल का मुद्दा
कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुए आंदोलन के बीच एसवाइएल का मुद्दा भी उछलने लगा है। खाप नेताओं ने कहा कि सरकार आंदोलन को कमजोर करने के हथकंडे अपना रही है और एसवाईएल का मामला उछाल कर पंजाब व हरियाणा के किसानों में फूट डालना चाहती है। लेकिन दोनों राज्यों के किसान एकजुट हैं। एसवाइएल का मामला भी दोनों राज्यों के किसान ही सुलझाएंगे। राजनीतिक पार्टिियां तो केवल इस पर राजनीति कर रही हैं।