अपने भक्तों की रक्षा करते हैं भगवान श्रीकृष्ण
जागरण संवाददाता पानीपत कुरुक्षेत्र स्थित इस्कान मंदिर के अध्यक्ष साक्षी गोपाल दास ने कहा कि कुल
जागरण संवाददाता, पानीपत: कुरुक्षेत्र स्थित इस्कान मंदिर के अध्यक्ष साक्षी गोपाल दास ने कहा कि कुल 12 प्रकार के रस हैं। 12 के 12 रस भगवान श्रीकृष्ण में पाए जाते हैं। जैसे कि सुनना भी एक रस है। भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों की रक्षा अवश्य ही करते हैं। चाहे भगवान को अपनी प्रतिज्ञा क्यों न छोड़नी पड़े । साक्षी गोपाल दास मुल्तान भवन में श्रीमद् भागवत कथा सुना रहे थे।
उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण की कथा तीन लोगों को पवित्र बनाती है। एक सुनने वाले को, दूसरा आयोजन करवाने वाले को और तीसरे सुनाने वाले को। जिस प्रकार गंगा जी तीन लोकों को पवित्र करती हैं, उसी प्रकार कृष्ण कथा भी तीन लोगों को पवित्र करती है। पृथ्वी पर पाप का बोझ बढ़ जाता है। पृथ्वी माता गाय का रूप धारण करके ब्रह्मा जी के यहां आ जाती है। उनको बताती हैं कि अब मुझसे यह बोझ सहन नहीं हो रहा है। आप मेरी रक्षा करो। ब्रह्माजी पृथ्वी माता को शिर सागर के तट पर ले जाते हैं और वहां सभी देवी देवता, भगवान विष्णु जी की आराधना कर रहे होते हैं। विष्णु भगवान देवताओं से प्रसन्न होकर प्रकट होते हैं। ब्रह्माजी को बताते हैं कि जल्द ही मेरा अवतार होने वाला है। मैं अपने भाई बलराम और अपनी योग माया शक्ति के साथ अवतार लूंगा। गाय की रक्षा होगी। पृथ्वी से पापियों का अंत होगा। भगवान को अपने भक्तों के भक्त अधिक प्रिय हैं। जब भगवान के प्रकट होने का समय था तो काल की शोभा बढ़ गई थी। देवताओं के 12 हजार वर्षों तक तपस्या करने के बाद माता देवकी और वासुदेव को भगवान को अपने पुत्र के रूप में देखने का वरदान प्राप्त हुआ था।