हरियाणा में लाकडाउन में शराब तस्करी से किरकिरी, पहरा बढ़ाया तो बढ़ा राजस्‍व

लाकडाउन में फैक्ट्रियों से बिना परमिट के ही शराब आती रही बाहर और होती रही तस्करी बाद में बिठाये पहरेदार। प्रदेश में निर्धारित कोटे से भी अधिक शराब फैक्ट्रियों से निकली और सरकार का राजस्व 1500 करोड़ रुपये अधिक हुआ।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 09:47 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 09:47 AM (IST)
हरियाणा में लाकडाउन में शराब तस्करी से किरकिरी, पहरा बढ़ाया तो बढ़ा राजस्‍व
हरियाणा में लॉकडाउन में शराब तस्‍करी हुई।

अंबाला, [दीपक बहल]। लाकडाउन में शराब तस्करी में हुई किरकिरी के बाद सख्ती के चलते जहां राज्य सरकार का राजस्व 1500 करोड़ से अधिक का बढ़ गया, वहीं बिना परमिट के फैक्ट्रियों से शराब निकलने के बाद पहरा सख्त कर दिया गया। यही कारण रहा कि निर्धारित कोटे से भी 96 लाख पेटी अधिक शराब की बिक्री हुई। इस तरह का आंकड़ा पहली बार सामने आया है। पिछले साल की तुलना में इस बार फरीदाबाद में सबसे अधिक शराब की बिक्री हुई है।

2020-21 में कोरोना काल के चलते वित्त वर्ष 11 जून तक बढ़ा दिया गया था। इस बीच ठेके बंद हुए थे, जिस कारण ठेकों को 31 मार्च की जगह 11 जून तक बढ़ा दिया था। जो ठेकेदार थे, उनको ही बिना बोली ही शर्तों के चलते नई फीस निर्धारित कर ठेके अलाट कर दिए गए। वित्त वर्ष 2019-20 के आंकड़ों पर गौर करें, तो देसी शराब का लक्ष्य 2 करोड़ 14 लाख 85 हजार 484 पेटी, जबकि अंग्रेजी शराब का लक्ष्य 91 लाख 58 हजार 933 रखा गया था। इस दौरान निर्धारित कोटे से 9 हजार 648 पेटी देसी शराब अधिक उठी थी, वहीं अंग्रेजी भी 6 हजार 822 पेटी अधिक उठने से राजस्व बढ़ा था। सन 2020-21 में देसी शराब का कोटा तो बढ़ाया गया, लेकिन अंग्रेजी शराब का पिछले साल की तुलना में कोटा कम कर दिया गया था। बावजूद इसके 2020-21 में देसी शराब निर्धारित कोटे से 75 लाख 65 हजार 222 पेटी बढ़ गई। वहीं अंग्रेजी शराब की 2 लाख 72 हजार 357 पेटियां अधिक उठीं। शराब की पेटियां अधिक उठने के पीछे सबसे अहम कारण राज्य सरकार की सख्ती ही पाया जा रहा है। लाकडाउन में फैक्ट्रियों से बिना परमिट ही शराब बाहर आई, जिससे राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। विशेष जांच दल (एसआइटी) की रिपोर्ट में भी स्पष्ट हो चुका है नौ हजार करोड़ से अधिक का सरकार को राजस्व का नुकसान हुआ। इस पर सरकार ने सख्ती बढ़ाई तो राजस्व बढ़ गया। साल 2019-20 में जहां सरकार का राजस्व 2236 करोड़ था, जो वित्त वर्ष 2020-21 में यह बढ़कर 3702 करोड़ रुपये हो गया।

इस तरह आई लाइसेंसी फीस

जिला 2019-20 2020-21

अंबाला 141 करोड़, 76 लाख 147 करोड़, 88 लाख

भिवानी 127 करोड़, 9 लाख 142 करोड़, 77 लाख

फरीदाबाद 386 करोड़, 6 लाख 406 करोड़, 76 लाख

फतेहाबाद 57 करोड़, 74 लाख 69 करोड़, 43 लाख

गुरुग्राम (ईस्ट) 412 करोड़, 97 लाख 397 करोड़, 48 लाख

गुरुग्राम (वेस्ट) 453 करोड़, 58 लाख 421 करोड़, 2 लाख

हिसार 148 करोड़ 163 करोड़, 93 लाख

जगाधरी 125 करोड़, 59 लाख 139 करोड़, 64 लाख

झज्जर 136 करोड़, 33 लाख 143 करोड़, 28 लाख

जींद 103 करोड़, 78 लाख 111 करोड़, 49 लाख

कैथल 91 करोड़, 73 लाख 97 करोड़, 79 लाख

करनाल 148 करोड़, 7 लाख 176 करोड़, 84 लाख

कुरूक्षेत्र 75 करोड़, 34 लाख 81 करोड़, 17 लाख

मेवात 35 करोड़, 24 लाख 36 करोड़, 87 लाख

नारनौल 94 करोड़, 94 लाख 98 करोड़, 79 लाख

पलवल 87 करोड़, 86 लाख 81 करोड़, 28 लाख

पंचकूला 140 करोड़, 87 लाख 138 करोड़, 18 लाख

पानीपत 151 करोड़, 4 लाख 150 करोड़, 70 लाख

रेवाड़ी 149 करोड़, 36 लाख 157 करोड़, 39 लाख

रोहतक 132 करोड़, 6 लाख 134 करोड़, 78 लाख

सिरसा 101 करोड़, 83 लाख 111 करोड़, 62 लाख

सोनीपत 285 करोड़, 96 लाख 245 करोड़, 92 लाख

कुल 35,873,237,357 36,551,082,325

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