हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी जमीन नहीं आजाद, जानिये मामला
हाईकोर्ट के आदेश के बाद पानीपत में 5239 एकड़ से कब्जे हटाने थे। इसके बावजूद जिला प्रशासन छह एकड़ ही जमीन करा सके आजाद। कब्जाधारियों पर एफआइआर के आदेश को किया नजरअंदाज। हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर-2020 को याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिए थे।
पानीपत, जेएनएन। पानीपत में पंचायती-शामलात करीब 5239 एकड़ छह कैनाल 11 मरला (लगभग 15 फीसद) भूमि पर अवैध कब्जे थे। हाई कोर्ट ने एक अक्टूबर-2020 को याचिका पर सुनवाई करते हुए तीन माह के भीतर भूमि कब्जा मुक्त कराने के आदेश पंचायती राज विभाग को दिए थे। कब्जाधारियों पर एफआइआर भी होनी थी। हैरत, जिला प्रशासन मात्र छह एकड़ भूमि ही कब्जा मुक्त करा सका है। एफआइआर और संबंधित कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई को नजरअंदाज किया है।
याचिका दायर करने वाले गांव मनाना निवासी धर्मवीर राठी ने बताया कि मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को छह जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा करानी थी। छह जनवरी को मुख्य सचिव ने न्यायालय में शपथ पत्र दिया। इसमें बताया गया कि भूमि कब्जों वाले मामले में उपायुक्त को 31 नवंबर 2020 तक रिपोर्ट सरकार को सौंपनी थी। इस संबंध में 25 नवंबर और 23 दिसंबर को रिमाइंडर भी भेजा गया। 29 दिंसबर 2020 को उपायुक्त और डीडीपीओ की मीटिंग लेकर, कब्जे वाली भूमि को मुक्त कराने को कहा गया।
मुख्य सचिव ने हाई कोर्ट में यह भी बताया कि गांव मनाना की छह डिग्रियों (पंचायती भूमि पर हक जताकर केस जीते) का रिकार्ड पाया गया है, बाकी गुम है। जिम्मेदार कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा चुका है। याचिका पर अगली सुनवाई 16 मार्च को होनी है।
ब्लाक में कब्जाई गई भूमि
-मतलौडा ब्लाक में 3113 एकड़ 76 कैनाल 292 मरले।
-इसराना ब्लाक में 1626 एकड़ 45 कैनाल 52 मरले।
-समालखा ब्लाक में 72 एकड़ 20 कैनाल एक मरले।
-पानीपत में 46 एकड़ एक कैनाल 18 मरले।
-बापौली ब्लाक में 119 मरले।
-सनौली ब्लाक में 262 एकड़ 06 कैनाल 08 मरले।