Lakshchandi Mahayagya: कुरुक्षेत्र में आस्था संग वैज्ञानिक शोध, 501 कुंडों में डाली जाएगी 2 लाख आहुतियां, जानिए खासियत
कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में 501 कुंडों में 11 दिन तक प्रतिदिन दो लाख आहुतियां दी जाएंगी। इसके लिए ईंट व सीमेंट से 501 पक्के हवन कुंड बनाए गए हैं। खास बात यह है कि यहां सात देशों के करीब 150 विज्ञानी और शोधकर्ता हिस्सा लेंगे।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। महाभारत की धरती कुरुक्षेत्र में पहली बार वैज्ञानिक दृष्टि से महायज्ञ के प्रभावों पर शोध किया जाएगा। इसके लिए मां मोक्षदायिनी गंगाधाम ट्रस्ट ऋषिकेश-हरिद्वार शुक्रवार को लक्षचंडी महायज्ञ शुरू करेगा। कुरुक्षेत्र के थीम पार्क में 501 कुंडों में 11 दिन तक प्रतिदिन दो लाख आहुतियां दी जाएंगी। इसके लिए ईंट व सीमेंट से 501 पक्के हवन कुंड बनाए गए हैं। खास बात यह है कि यहां सात देशों के करीब 150 विज्ञानी और शोधकर्ता हिस्सा लेंगे। मौसम को देखते हुए यज्ञशाला के मंडप पर वाटरप्रूफ टेंट लगाया गया है। आयोजन पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च आने की बात कही जा रही है। ट्रस्ट के संरक्षक हरिओम महाराज और महामंडलेश्वर डा. प्रेमानंद इसकी अगुवाई कर रहे हैं।
प्रतिदिन 10 क्विंटल हवन सामग्री लगेगी
हर रोज करीब 10 क्विंटल हवन सामग्री लगेगी। इसमें 800 टन देसी घी लगेगा। रोजाना 250 किग्रा से अधिक फल प्रसाद के रूप में लगेगा।
दो गुना दो फीट के 500 हवन कुंड बनाए
एक बड़ा हवन कुंड करीब छह गुना छह फीट का है। शुक्रवार को पहले दिन एक लाख पाठ किए जाएंगे। दुर्गा और मां सरस्वती की पूजा के तहत रोजाना कुंडों पर जाप व मंत्रोच्चारण के साथ आहुतियां डाली जाएंगी। देशभर से करीब 700 ब्राह्राण पहुंचे हैं। 200 ब्राह्मण पिछले कई दिनों से पाठ कर रहे हैं।
महायज्ञ स्थल पर ये उपकरण लगाए
महायज्ञ स्थल पर रैंडम इवेंट जनरेटर, पालीग्राफ और बीसीए मशीन लगी है। एक रैंडम इवेंट जनरेटर मशीन को आयोजन स्थल से पांच किलोमीटर दूर कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से आगे लगाया गया है। विज्ञानी चार मापदंड (मनोविज्ञान, सामाजिक विज्ञान, पर्यावरण व शारीरिक) पर पर रिसर्च करेंगे। लक्षचंडी महायज्ञ के लिए यज्ञशाला बनाई गई। इसके साथ ही वाटरप्रूफ टेंट लगाया गया है। कार्यक्रम के आयोजन पर करीब चार करोड़ रुपये खर्च होंगे।
10 साल में यज्ञ पर 48 से 50 छोटे-बड़े शोध हुए : डा. राजेश
साउथ कोरिया से वैज्ञानिक डा. राजेश के राज ने कहा कि पिछले दस साल में लगभग 48 से 50 छोटे-बड़े शोध यज्ञ पर हुए हैं। साथ ही यज्ञ के लगभग सभी आयाम पर बहुत काम हुआ है। जैसे यज्ञ की भस्म, धुएं और इसमें प्रयोग होने वाला जल कलश। कुरुक्षेत्र में हो रहे महायज्ञ में हजारों श्रद्धालु और यजमान एकत्रित होंगे। यज्ञ से पर्यावरण तो शुद्ध होगा, साथ ही श्रद्धालुओं के शरीर और मन के विकार भी दूर होंगे। उनकी टीम यज्ञ के तीन विभागों पर अध्ययन करेगी। इसमें पर्यावरण और यज्ञ में प्रयोग होने वाले कलश के जल में केमिकल कंपोजिशन का अध्ययन किया जाएगा।