गोल्डन कार्ड में फिसड्डी रहने से हुई थी किरकरी, अब पकड़ी स्पीड

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में शामिल पात्रों के गोल्डन कार्ड बनाने में पिछड़ने से जिले की खूब किरकरी हुई। वर्ष 2020 शुरू होते ही कामकाज ने स्पीड पकड़ी है। करीब 15 दिनों में छह हजार नए कार्ड बना दिए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 26 Jan 2020 09:00 AM (IST) Updated:Sun, 26 Jan 2020 09:00 AM (IST)
गोल्डन कार्ड में फिसड्डी रहने से हुई थी किरकरी, अब पकड़ी स्पीड
गोल्डन कार्ड में फिसड्डी रहने से हुई थी किरकरी, अब पकड़ी स्पीड

जागरण संवाददाता, पानीपत

प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत) में शामिल पात्रों के गोल्डन कार्ड बनाने में पिछड़ने से जिले की खूब किरकरी हुई। वर्ष 2020 शुरू होते ही कामकाज ने स्पीड पकड़ी है। करीब 15 दिनों में छह हजार नए कार्ड बना दिए हैं। हालांकि, त्रुटियों के कारण कार्ड रिजेक्ट हुए कार्डों की संख्या भी कम नहीं है।

आयुष्मान भारत योजना की सूची में जिले के लगभग 75 हजार परिवार शामिल हैं। इन परिवारों के लगभग पौने चार लाख सदस्यों के गोल्डन कार्ड बनने हैं। दिसंबर 2019 तक करीब 62 हजार सदस्यों ने गोल्डन कार्ड बनवाए गए थे। स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक 25 जनवरी तक 68 हजार 569 के कार्ड बन गए हैं। अभी तक 10 हजार 850 पात्रों के कार्ड त्रुटियों के कारण रिजेक्ट किए जा चुके हैं।

जिला सूचना प्रबंधक सोहन सिंह ग्रोवर के मुताबिक ताबड़तोड़ हुई बैठकों के कारण गोल्डन कार्ड बनवाने में पात्रों ने रूचि दिखाई है। अब रोजाना करीब 500 कार्ड बनाए जा रह हैं। ऐसे पकड़ी कामकाज ने स्पीड

जिला प्रशासन ने लगातार बैठकें कर कड़ा रवैया अपनाया।

आशा वर्कर लिस्ट लेकर घर-घर दे रही हैं दस्तक।

सीएचसी-पीएचसी में जागरूकता कैंप लगाए गए हैं।

पहले दो अब सात अस्पताल दिखा रहे हैं कार्ड बनाने में रुचि।

जिला प्रशासन ने कॉमन सर्विस सेंटरों को किया अलर्ट। रिजेक्ट कार्ड हो सकते हैं ठीक

आंकड़ों के मुताबिक करीब 15 फीसद कार्ड रिजेक्ट हुए हैं। अधिकांश में नाम, पता या आधार नंबर आदि की त्रुटियां हैं। इससे निराश होने की जरूरत नहीं है, कागजात प्रूफ, शपथ पत्र देकर ठीक कराया जा सकता है।

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