कम मेहनत में मालामाल, जानिए एक आइडिया से कैसे बदली कैथल के किसान के जिंदगी

कैथल के किसान कृष्‍ण को घीया मिर्च करेला की खेती मालामाल कर रही है। पांच महीनों में चार एकड़ से कमाते है छह लाख रुपये। कृष्‍ण ने पारंपरिक खेती छोड़कर सब्जियों की तरफ रुझान किया। इसके बाद से उन्‍हें फायदा ही फायदा हो रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 02:29 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 02:29 PM (IST)
कम मेहनत में मालामाल, जानिए एक आइडिया से कैसे बदली कैथल के किसान के जिंदगी
सब्‍जी की फसल दिखाते कैथल के क्योड़क के किसान कृष्ण।

कैथल, जेएनएन। कहते है इंसान के इरादे बुलंद हों और कुछ करने का जज्बा हो तो कोई काम मुश्किल नहीं है। इसकी मिसाल पेश की है क्योड़क के किसान कृष्ण ने। कृष्ण ने पारंपरिक खेती कम कर जैविक सब्जियों की तरफ अपना रुझान बढ़ाया है। आज के दिन किसान कृष्ण चार एकड़ में करेला, मिर्च व घीया की खेती कर पांच महीनों में छह लाख रुपये कमा रहे है।

कृष्ण बताते है कि जितनी मेहनत वो गेहूं की फसल में करते थे, उससे कम मेहनत में ज्यादा आमदनी प्राप्त हो रही है। उनका कहना है कि पांच साल से वे जैविक खेती कर न केवल स्वयं और परिवार को बीमारियों से दूर रख रहे हैं, बल्कि दूसरों की हेल्थ का भी ख्याल रखे हुए है। कृष्ण बताते हैं कि उनकी माता व पत्नी के साथ खुद को शुगर थी। डाक्टर ने उनको पेस्टीसाइड की चीजें बंद करने के लिए कहा। तभी से उन्होंने पेस्टीसाइड की चीजें बंद कर दी। अब परिवार के सदस्यों सहित खुद स्वस्थ है। जैविक सब्जी उगाने की ठानी हुई है।

इन सब्जियों की भी करते है खेती

किसान कृष्ण बताते है कि टिडा, ककड़ी, भिंडी, तोरी, आलू व गाजर की भी खेती करते हैं। मौसम अनुसार चार एकड़ में सब्जियों की खेती करते है। भिंडी व टिडा की सब्जी भी पीछे अच्छी हुई थी। सब्जी से अच्छी आमदनी ले सकते है। ज्यादातर सब्जियां खेत से ही व्यापारी खरीदकर ले जाते है। मंडी में बेचने जाने की कम ही जरूरत पड़ती है। इसी को देखते हुए अगली साल से किसान अपने पूरे खेत में जैविक सब्जियां उगाएगें।

एक एकड़ से की थी शुरूआत

कृष्ण ने बताया कि उन्होंने एक एकड़ से जैविक सब्जी उगानी शुरू की थी। इस वर्ष चार एकड़ में सब्जी लगाई हुई है। अगले वर्ष से अपने पूरे खेत में जैविक सब्जियां व नेट हाउस का भी काम करेंगे। नेट हाउस के लिए विभाग से संपर्क कर रहे है।

देशी खाद का प्रयोग करते है सब्जी में

प्रगतिशील किसान कृष्ण ने बताया कि वे जैविक खेती में रासायनिक उर्वरकों कीटनाशकों के स्थान पर कुदरती खाद का प्रयोग करते है। जैसे गोबर की खाद, हरी खाद, जीवाणु कल्चर के अलावा बायो-पैस्टीसाइड व बायो एजैंट जैसे क्राईसोपा आदि का प्रयोग किया जाता है। इससे न केवल भूमि की पैदावार शक्ति लंबे समय तक बनी रहती है बल्कि पर्यावरण भी संतुलित रहता है। उन्होंने बताया कि पौध वृद्धि के लिए आवश्यक पोषक तत्वों जैसे नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश के अलावे काफी मात्रा में गौण पोषक तत्वों की पूर्ति जैविक खादों से होती है। इन खादों के प्रयोग से पोषक तत्व पौधों को काफी समय तक मिलता है। इन खादों के प्रयोग से दूसरे फसल को भी लाभ मिलता है।

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