रिस्क से इश्क हैं इन्हें, पुलिस परीक्षा में फेल हुई तो मौत के कुएं में बैलेंस कर ली जिंदगी Panipat News

कपालमोचन मेले में भोपाल निवासी सोनिया गुर्जर देश भर में मौत के कुएं में बाइक चलाकर लोगों का मनरंजन कर रही है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 12 Nov 2019 11:05 AM (IST) Updated:Tue, 12 Nov 2019 11:05 AM (IST)
रिस्क से इश्क हैं इन्हें, पुलिस परीक्षा में फेल हुई तो मौत के कुएं में बैलेंस कर ली जिंदगी Panipat News
रिस्क से इश्क हैं इन्हें, पुलिस परीक्षा में फेल हुई तो मौत के कुएं में बैलेंस कर ली जिंदगी Panipat News

पानीपत/यमुनानगर, [पोपीन पंवार]। 28 वर्षीय सोनिया गुर्जर में पहचान के लिए कुछ अलग करने का जनून था। स्नातक के बाद पुलिस में जाने की ठानी। तैयारी के दौरान तंज भी सहे, लेकिन भाग्य ने साथ नहीं दिया। विफल होने पर हार नहीं मानी। कुछ नया करने के चक्कर में मौत के कुएं में बाइक चलाना सीख लिया। मौत के कुएं में उसने खुद की जिंदगी बैलेंस कर ली। साथ में 70 लोगों की टीम रहती है। देशभर के मेले में जाकर हुनर दिखाती है। इन दिनों सोनिया कपालमोचन मेले में मौत के कुएं में करतब दिखा रही है। 

सोनिया बताती हैं कि जिंदगी में बार-बार ब्रेक लग रहे थे। इस खेल में ब्रेक लगने का मतलब है कि नीचे गिरना। केवल रेस और क्लच का संतुलन है। वह दो भाइयों की इकलौती बहन है। ग्रेजुएट होने के साथ कंप्यूटर डिप्लोमा होल्डर है। 

 

पुलिस परीक्षा में फेल होने पर हिम्मत नहीं हारी

भोपाल की रहने वाली सोनिया बताती हैं कि अधिकतर लड़कियों की खुद की पहचान नहीं होती। वह पिता या पति के नाम से जानी जाती हैं। मगर यह सुनना उसे पसंद नहीं था। उसकी दिली इच्छा थी कि समाज में उसकी पहचान हो। लोग उसके नाम से उसे जानें। इसी सोच के साथ बचपन बिताया। जब बड़ी हुई तो पुलिस में जाने की सोची। परीक्षा के लिए दिन रात मेहनत की। परिणाम आया तो फेल होने का दुख तो हुआ, लेकिन हिम्मत नहीं हारी। 

पहुंच गई मौत के कुएं में

इस दौरान उसका शहर में लगे मेले में जाना हुआ। यहां उसने देखा कि मौत के कुएं में लड़के बाइक चला रहे हैं। यह देखकर उसने ठाना कि जब ये बाइक चला सकते हैं तो वह क्यों नहीं। उसने मौत का कुआं लगाने वाले से बातचीत की। उसे कहा कि उसको भी इसमें बाइक चलाना सीखना है। मगर उसने यह कहते हुए मना कर दिया कि जाने दो तुम लड़की हो। क्यों हाथ पांव तुड़वाना चाहती हो, लेकिन उसने हार नहीं मानी। अभ्यास जारी रखा। तब से लेकर अब तक मौत के कुएं में रोजाना मौत का सामना करती है। ये भी बताती हैं कि शुरुआत में तो परिवार ने भी सहयोग नहीं किया था। बाद में सहयोग करने लगे थे। अब परिवार के साथ ही देशभर के मेले में घूमती है। मौत के कुएं में बाइक चलाकर लोगों को मनरंजन करती हैं। इससे आय भी अच्छी होती है।

दे रखा है दूसरों को रोजगार 

इस काम बहुत से लोगों की जरूरत होती है। ये रोजगार देने का अच्छा माध्यम भी बना। 70 लोगों को रोजगार देकर आत्मनिर्भर बनाया है। सोनिया के परिवार में पिता अमर सिंह, माता सुशीला, बड़ा भाई राजकुमार, भाई शिवकुमार है। पिता अमर सिंह का कहना है कि उनको अपनी बेटी सोनिया पर गर्व है। 

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