कलेसर नेशनल पार्क की सावन की बौछारों से बदली फिजा, चारों तरफ हरियाली, देखने लायक नजारा

हरियाणा के सबसे बड़ा कलेसर नेशनल पार्क को आठ दिसंबर 2003 को नेशनल पार्क का दर्जा प्राप्त हुआ। यहां विभिन्न प्रजातियों के सैकड़ों पशु पक्षी और जानवर विचरण करते हैं। गर्मी के कारण जलस्रोत सूख रहे थे। वन्य प्राणी पानी की तलाश में भटकते थे।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 02:58 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 02:58 PM (IST)
कलेसर नेशनल पार्क की सावन की बौछारों से बदली फिजा, चारों तरफ हरियाली, देखने लायक नजारा
बारिश के कारण कलेसर के जंगल के अंदर गजलर भरे।

जागरण संवाददाता, यमुनानगर। सावन की बौछारों से कलेसर नेशनल पार्क में रौनक लौट आई है। सुंदरता देखते ही बन रही है। 25 हजार एकड़ में फैले इस जंगल में इन दिनों हर तरफ हरियाली दिखाई दे रही है। साथ ही मौसम सुहाना होने के कारण यहां विभिन्न प्रजातियों के जीवों की चहल-कदमी बढ़ गई है।

गजलरों में पीने का पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है। अब जंगली जानवरों को पानी की तलाश में जंगल से बाहर रोड पर नहीं भटकना पड़ेगा। विभागीय अधिकारियों का मानना है कि अब नेशनल पार्क में जंगली जानवरों को किसी भी प्रकार की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा। हरियाणा के सबसे बड़ा कलेसर नेशनल पार्क को आठ दिसंबर 2003 को नेशनल पार्क का दर्जा प्राप्त हुआ। यहां विभिन्न प्रजातियों के सैकड़ों पशु, पक्षी और जानवर विचरण करते हैं। नेशनल पार्क की सीमाएं उत्तराखंड के राजाजी नेशनल पार्क के साथ सटी हुई हैं। यहां से जंगली जानवर एक राज्य की सीमा से दूसरे राज्य की सीमा में आसानी से आ जा सकते हैं।

गर्मी के सीजन में सूख जाते हैं तालाब

हर साल गर्मी के सीजन में कलेसर नेशनल पार्क के अंदर बने तालाब और वाटर गजलर सुख जाते हैं जिसे भरने के लिए वन्य प्राणी विभाग को भारी मशक्कत करनी पड़ती है। पानी की तलाश में जंगली जानवर कलेसर नेशनल पार्क से बाहर रोड पर निकल आते हैं। कई बार हादसे में घायल हो जाते हैं। गर्मियों में इस तरह की घटनाएं बढ़ जाती हैं। क्षेत्र में बारिश होने के बाद इस समस्या का समाधान हो गया। जानवरों जंगल के अंदर की पानी उपलब्ध हो रहा है।  

यमुनानगर के कलेसर नेशनल पार्क में मानसून की बारिश के बाद लबालब भरे तालाब।

बरसे मेघा तो तलाब हुए लबालब

कलेसर नेशनल पार्क में वन्य प्राणियों की प्यास बुझाने के लिए एक दर्जन के करीब तालाब बनाए गए हैं । लगातार हो रही बरसात से लबालब हो चुके हैं।  इसके अलावा विभाग ने थोड़ी- थोड़ी दूरी पर छोटे छोटे वाटर गजलर बना रखे हैं । बरसात में वन्य प्राणियों के लिए तालाबों में पानी भरा होना एक शुभ संकेत है। जंगली जानवर बाहर रोड पर या आबादी में नहीं जाएंगे । इससे वह सुरक्षित रहेंगे और आबादी को भी नुकसान नहीं पहुंचेगा। 

बरसात के बाद नेशनल पार्क हरियाली से ढका

कलेसर नेशनल पार्क करीब 25 हजार एकड़ में फैला हुआ है । यहां हरियाणा की सबसे बड़ी साल वैली है। बता दें कि हरियाणा में अगर साल के जंगल हैं तो वह केवल कलेसर नेशनल पार्क में है । हालांकि बरसात के दौरान कलेसर नेशनल पार्क पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है। लेकिन बरसात के बाद यहां की सुंदरता कई गुणा अधिक बढ़ गई है। 

हाथी,  तेंदुआ और विभिन्न प्रजातियों के सैकड़ों जानवर

कलेसर नेशनल पार्क में जहां चार नर हाथी एक बीट से दूसरे बीट में विचरण करते हैं। वहीं, काफी संख्या में तेंदुए पार्क में पाए जाते हैं। वन्य प्राणी रक्षक सुमित कुमार ने बताया कि यहां सांबर , चित्तल , सुअर, काकड ,हिरण भारी संख्या में पाए जाते हैं । क्योंकि राजाजी नेशनल पार्क साथ ही लगा हुआ है । जंगली जानवर एक दूसरे प्रदेश में आते जाते रहते हैं। 

टैंकर के माध्यम से पार्क में पहुंचाते थे पानी

वन्य प्राणी विभाग के जिला निरीक्षक सुनील तंवर ने बताया तपती धूप और गर्मियों के दौरान भी वह पानी के टैंकर नेशनल पार्क में पहुंचाते थे। पानी के टैंकर के माध्यम से ही जो छोटे-छोटे वाटर गजलर और तालाब हैं। उनको पानी से भरा करते थे ताकि जंगली जानवर पानी की तलाश में जंगल से बाहर न निकलें। अब बरसात होने के बाद तो यहां की फिजा ही बदल गई।

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