साथ में रहते थे जींद के तीनों कारोबारी भाई, यमुना एक्सप्रेस वे पर परिवार को खींच ले गई मौत
यमुना एक्सप्रेस वे पर हुए दर्दनाक हादसे में जींद सफीदों के हैचरी व्यवसायी मनोज पत्नी दो बेटों सहित सात की मौत हो गई। मरने वालों में उनके साले के बेटा बेटी भी शामिल हैं। सभी वृंदावन दर्शन करने गए थे।
जींद, जेएनएन। यमुना एक्सप्रेस वे में हुए दर्दनाक हादसे में सफीदों निवासी मनोज का पूरा परिवार खत्म हो गया। मनोज का हैचरी का व्यवसाय था। वह मंगलवार को अपनी पत्नी बबीता पत्नी बबीता (40 ), बेटे अभय (18) और हेमंत (16), साले के लड़के कन्नू (16) और लड़की हिमाद्री (14) के साथ वृंदावन में बांकेबिहारी के दर्शन के लिए अपने चालक राकेश सिंह के साथ इनोवा गाड़ी में गए थे।
रात को ही घर वापस आना था। मथुरा में रात 12 बजे यमुना एक्सप्रेस वे पर टायर फटने से अनियंत्रित होकर गलत दिशा में आए तेज रफ्तार टैंकर ने इनोवा कार को रौंद दिया। जिसमें गाड़ी में सवार मनोज, उसकी पत्नी, बच्चों सहित सभी सभी लोगों की जान चली गई।
मनोज के बेटे हेमंत का फाइल फोटो।
तीन भाई साथ करते थे कारोबार
मनोज अपने दो भाईयों शिवचरण और सतीश के साथ पिछले 25 साल से हैचरी के कारोबार से जुड़ा हुआ था। तीनों भाईयों का इकट्ठा कारोबार था। धर्मगढ़ रोड पर उनका फीड मिल है और मलिकपुर गांव में हैचरी है। चालक जयपुर गांव निवासी राकेश सिंह पिछले काफी समय से फीड की सप्लाई के लिए ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था संभाले हुए था। मनोज अपने स्टाफ को कह कर गया था कि वह रात को वापस घर आ जाएगा और बुधवार सुबह ऑफिस पहुंच जाएगा। लेकिन उसे क्या पता था कि वह कभी वापस ही नहीं आ पाएगा। इस दर्दनाक हादसे से क्षेत्र में गम का माहौल है। आज शाम तक मृतकों के शव घर पहुंचेंगे।
मृतक इनोवा चालक राकेश का फाइल फोटो।
रात को ही लौटना था घर
स्वजनों ने बताया कि मनोज मंगलवार दोपहर को परिवार के साथ घर से निकला था। जाते समय कार्यालय के कर्मचारियों को कहकर गया था कि रात को ही बांके बिहारी के दर्शन करके वापस लौट आएगा।
सभी एक साथ रहते थे
भाई शिवचरण ने बताया कि पूरा परिवार एक साथ रहता है। मनोज काफी मेहनती था। उसके जाने की सूचना मिली। रात को ही परिवार के साथ रवाना हो गए।
मृतक मनोज व उसकी पत्नी बबीता का फाइल फोटो।
कार में नहीं थी जगह, इसलिए साले की एक बेटी नहीं गई थी
पानीपत में साले के लड़के कन्नू (16)और लड़की हिमाद्री (14) को कार में साथ थे। जबकि एक छह साल की बेटी खुशी नहीं गई। कार में जगह न होने की वजह से उसे साथ नहीं ले गए थे।
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