जान सकेंगे भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत से जुडे रहस्‍य, कुरुक्षेत्र में शोध की तैयारी

Janmashtami 2020जल्‍द ही भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत से जुड़़े रहस्‍य जान सकेंगे। इसके लिए कुरुक्षेत्र में शोध की तैयारी चल रही है। इसके बाद तथ्‍यात्‍मक जानकारी मिल सकेगी।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 08:25 AM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 01:36 PM (IST)
जान सकेंगे भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत से जुडे रहस्‍य, कुरुक्षेत्र में शोध की तैयारी
जान सकेंगे भगवान श्रीकृष्ण और महाभारत से जुडे रहस्‍य, कुरुक्षेत्र में शोध की तैयारी

पानीपत/कुरुक्षेत्र, [जगमहेंद्र सरोहा]। महाभारत की धरती पर श्रीकृष्ण संग्रहालय प्रमुख शिक्षा केंद्र के रूप में उभर रहा है। यह महाभारत पर आधारित विश्व का एकमात्र संग्रहालय है। यह धीरे-धीरे एक राष्ट्रीय संग्रहालय का स्वरूप लेता जा रहा है। अब यहां श्रीकृष्ण और महाभारत पर शोध की भी तैयारी की जा रही है। यह महाभारत ही नहीं पूरे भारत का चित्रण संजोये हुए है।

श्रीकृष्ण संग्रहालय के तत्कालीन संग्रहालय अध्यक्ष राजेंद्र राणा ने इसका प्रस्ताव बनाकर कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड को दिया है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड इस पर आगे काम कर रहा है। शोध के बाद श्रीकृष्ण और महाभारत के बारे में तथ्यागत जानकारी मिलेंगी। 

बौद्धिक एवं आध्यात्मिक प्रकाश के अवतरण श्रीकृष्ण अपने जीवन काल से ही लोगों की श्रद्धा एवं उपासना के विषय रहे हैं। उनके विविधतापूर्ण चरित्र ने ही उनको देवता बनाया। धर्मनगरी कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण के विचारों व आदर्शों से लोगों को नैतिक व सांस्कृतिक रूप से जागृत करने की सोच के साथ पूर्व प्रधानमंत्री गुलजारीलाल नंदा ने 1987 में श्रीकृष्ण संग्रहालय की स्थापना की। 1991 में संग्रहालय के वर्तमान प्रथम खंड में स्थानांतरित किया गया। जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति आर वेंकट रमन ने किया था। 1995 में संग्रहालय दूसरा भवन खंड और 2012 में संग्रहालय के तृतीय खंड के रूप में मल्टीमीडिया महाभारत एवं गीता गैलरी का लोकार्पण तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी पाटिल ने किया। 

 

नौ गैलरी में महाभारत और पूरा देश 

केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा और श्रीकृष्ण संग्रहालय के आर्टिस्ट बलवान सिंह ने बताया कि नौ गैलरी बनाई गई हैं। इनमें श्रीकृष्ण और महाभारत के अलावा पुरात्व की विस्तुत जानकारी हैं। सामान्य दिनों में एक हजार पर्यटक आते हैं। स्कूल और कालेज के विद्यार्थियों की संख्या अधिक होती है। प्रति छात्र दस रुपये का टिकट दिया जाता है। 

 

इन गैलरियों में यह है 

प्रथम गैलरी में कृष्ण कथा पर आधारित है। इसमें विभिन्न कालों व शैलियों में काष्ठ व हाथीदांत के उत्कीर्णन व धातु निर्मित मूर्तियां हैं। ओडि़शा, कर्नाटक, तमिलनाडु व आंध्र प्रदेश से प्राप्त काष्ठ मूर्ति शिल्प का एक बड़ा संग्रह प्रदर्शित है। उड़ीसा से प्राप्त राधा व कृष्ण की बांसुरी बजाती हुई प्रतिमा भी उल्लेखनीय है।

दूसरी गैलरी में प्राचीन कुरुक्षेत्र भूमि हरियाणा के ऐतिहासिक काल के पुरातात्विक स्थल कुणाल, बनावली, राखीगढ़ी, भिरडाना, जोगनाखेड़ा, बालू, दौलतपुर प्रदर्शित हैं। श्रीकृष्ण की नगरी द्वारका (गुजरात) के समुद्र गर्भ से मिले पुरावशेष प्रदर्शित हैं। 

 

तृतीय गैलरी में लघुचित्र, ताड़पत्र पर बने चित्र और भगवद्गीता, महाभारत तथा भागवत की पाण्डुलिपियां प्रदर्शित हैं। प्रमुख आकषर्णों में 26 कांगड़ा लघुचित्रों का एक समूह है। 

चौथी गैलरी में भीष्म शरशय्या के प्रसंग में महाभारत युद्ध के पश्चात भीष्म पितामह युधिष्ठिर को राजधर्म व अनुशासन की शिक्षा देते हुए दिखाए गए हैं। आंध्र प्रदेश की कठपुतलियों का भी प्रदर्शन इसमें है। 

पांचवीं गैलरी में देश के विभिन्न भागों में बनने वाले भित्ति चित्रों का संग्रह है। नवजात कृष्ण को यमुना पार ले जाते हुए वासुदेव, माखन चोरी प्रसंग, कृष्ण द्वारा बकासुर वध, गोवर्धन धारण करते हुए श्रीकृष्ण, कालिय नाग का मान मर्दन करते श्रीकृष्ण समेत कई अन्य हैं।  सात, आठ व नौ गैलरी मल्टीमीडिया महाभारत गैलरी के प्रमुख प्रसंगों में भीष्म की प्रतिज्ञा, कौरव पांडवों का गुरुकुल में अध्ययन, लाक्षागृह, द्रोपदी स्वयंवर, द्यूत क्रीड़ा, यक्ष युधिष्ठिर संवाद प्रमुख घटनाओं का सजीव चित्रण है। इसी गैलरी में 11 मिनट का गीता शो है। 

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