नटखट बालक से जगतगुरु बनने तक का सफर, कुंभ से लौटते हुए हंसदेवाचार्य की मौत

प्रयागराज से हरिद्वार जाते समय स्वामी हंसदेवाचार्य का सड़क हादसे में निधन हो गया है। उन्हें लखनऊ ट्रामा सेंटर में भर्ती कराया गया था। उनका बचपन पानीपत में बीता था।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 22 Feb 2019 01:27 PM (IST) Updated:Sat, 23 Feb 2019 09:05 AM (IST)
नटखट बालक से जगतगुरु बनने तक का सफर, कुंभ से लौटते हुए हंसदेवाचार्य की मौत
नटखट बालक से जगतगुरु बनने तक का सफर, कुंभ से लौटते हुए हंसदेवाचार्य की मौत
पानीपत, जेएनएन। जगद्गुरु रामानंदाचार्य हंसदेवाचार्य का शुक्रवार अल सुबह सड़क हादसे में निधन हो गया। पानीपत से स्वामी का पुराना नाता था। किशनपुरा में हंसदेवाचार्य (संत बनने से पहले का नाम सतीश अरोड़ा) ने अपना बचपन बिताया। सदानंद स्कूल में 10वीं करने के बाद वह 1982 में हरिद्वार चले गए। हंसदेवाचार्य वहां पर पूर्णदास के सानिध्य में रहने लगे। उनका जन्म 11 सितंबर, 1967 झज्जर के पास गांव दुजाना में हुआ था। हंसदेवाचार्य चार भाई थे। वह तीसरे नंबर पर थे। 

सभी के चहेते थे, पानीपत में रहता है भतीजा
हंसदेवाचार्य के घर के पास रेहड़ी लगाने वाले किशन लाल ने बताया बचपन में स्वामी नटखट थे। सभी के चहेते थे। उनके ताऊ चेलाराम, गणेश दास के पास संतान नहीं थी। हरिद्वार जाने के बाद वे अपने ताऊ चेलाराम को भी साथ ले गए। पानीपत में उनके भतीजे सन्नी अरोड़ा परिवार सहित रहते हैं। उनकी एक ही बहन है, जो पानीपत में ही रहती है। सन्नी अरोड़ा की पत्नी रूपाली ने बताया कि उनका परिवार हरिद्वार जा चुका है। संत बनने के बाद एक-दो बार ही घर आए। एक बार वे भाई के निधन पर आए थे।

पानीपत से गहरा नाता
स्वामी हंसादेवाचार्य प्रेम मंदिर के कार्यक्रमों में भाग लेते थे। चार साल पहले उन्होंने पानीपत में स्वामी रामदेव का एक कार्यक्रम आयोजित करवाया था। पंचनद ट्रस्ट के संरक्षक होने के नाते चार साल पहले सेक्टर 13-17 में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने शिरकत की। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री मनोहर लाल रहे। उनके हरिद्वार, ऋषिकेश में तीन आश्रम हैं।

सावन जोत शुरू करवाई
सावन जोत सभा के प्रधान राजेश सूरी ने बताया कि स्वामी हंसदेवाचार्य की प्रेरणा से ही पानीपत में सावन जोत का आयोजन शुरू हुआ। वे सावन जोत  कमेटी के संरक्षक रहे।

राम मंदिर निर्माण आंदोलन से जुड़े थे
स्वामी हंसदेवाचार्य के निधन पर  संत समाज ने गहरा शोक व्यक्त किया। वे राम मंदिर निर्माण आंदोलन से तो जुड़े ही थे, साथ में वैरागियों के मुखिया थे। स्वामी हंसदेवाचार्य के निधन पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट संदेश में लिखा जगद्गुरु की सड़क हादसे में हुई मृत्यु पर गहरा दुख पहुंचा।

हरिद्वार में आज होगा अंतिम संस्कार
स्वामी का पार्थिव शरीर जगन्नाथ धाम (भीमगोड़ा) में रखा गया है। शनिवार शाम चार बजे तक सभी दर्शन कर सकेंगे। शाम चार बजे के बाद इसी आश्रम से उनकी अंतिम यात्रा निकाली जाएगी। सूखी नदी के पास खरखड़ी श्मशान घाट पर 23 फरवरी शाम पांच बजे उनका अंतिम संस्कार होगा। अंतिम संस्कार में प्रेम मंदिर अध्यक्षा कांता महाराज भी पहुंचेंगी।

10 जनवरी से कुंभ में थे
स्वामी गौरी शंकर ने बताया कि वे 10 जनवरी से प्रयागराज कुंभ में थे। 19 फरवरी को मेले का समापन हुआ। उसके बाद गुरुवार रात वह करीब डेढ़ बजे दिल्ली के लिए रवाना हुए। उनके साथ चालक कन्हैया, गनर सूरज, सेवादार अंकित और परिकर थे। गाड़ी में सबसे आगे जगद्गुरु बैठे थे। लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर बांगरमऊ कोतवाली क्षेत्र में देवखरी गांव के सामने गाड़ी डिवाइडर से टकरा गई। स्वामी हंसदेवाचार्य महराज गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें बांगरमऊ सीएचसी से ट्रामा सेंटर लखनऊ ले जाया गया जहां वह ब्रह्मलीन हो गए। जगतगुरु के कार चालक और साथ रहे शिष्य बाल-बाल बच गए। उन्हें कोई चोट नहीं है।
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