आध्यात्मिक ज्ञान के लिए पुरुषार्थ करना जरूरी : सुनीता

प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से ब्रह्माकुमारी सुनीता ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान पुरुषार्थ पर निर्भर है। जैसे -जैसे पुरुषार्थ किया जाएगा बुद्धि शुद्ध बनेगी। शुद्ध बुद्धि ही ज्ञान धारण कर पाती है। जितना-जितना जो पुरुषार्थ कर खाद निकालते जाएंगे शिव बाबा का ज्ञान उतना ही बुद्धि में बैठता जाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 12 Nov 2021 07:40 PM (IST) Updated:Fri, 12 Nov 2021 07:40 PM (IST)
आध्यात्मिक ज्ञान के लिए पुरुषार्थ करना जरूरी : सुनीता
आध्यात्मिक ज्ञान के लिए पुरुषार्थ करना जरूरी : सुनीता

जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय से ब्रह्माकुमारी सुनीता ने कहा कि आध्यात्मिक ज्ञान पुरुषार्थ पर निर्भर है। जैसे -जैसे पुरुषार्थ किया जाएगा, बुद्धि शुद्ध बनेगी। शुद्ध बुद्धि ही ज्ञान धारण कर पाती है। जितना-जितना जो पुरुषार्थ कर खाद निकालते जाएंगे, शिव बाबा का ज्ञान उतना ही बुद्धि में बैठता जाएगा।

बीके सुनीता सेक्टर 12 स्थित ओमशांति भवन में मुरली ध्यान शिविर में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि हर किसी का पुरुषार्थ अपना है। कोई सतो गुणी है तो कोई तमो गुणी, लेकिन बनना सतोप्रधान है। शरीर के निर्वाह के साथ-साथ आत्मा का निर्वाह भी करना होता है। जो भी कर्म करो व ईश्वरीय सेवा अर्थ हो। इसके लिए सेवाओं को निमित्त मात्र का मंत्र या करनहार की स्मृति का संकल्प सदा याद रहना चाहिए। करावनहार भूले नहीं तो सेवा में निर्माण ही निर्माण करते रहेंगे। सुनीता ने कहा कि पुराने संस्कार सेवा व संबंध संपर्क में बाधा बनते हैं। पुराने संस्कारों को छोड़ देना चाहिए।

उन्होंने कहा कि सभी का परमात्मा (पिता) एक ही है। पांच हजार वर्ष पूर्व देवी-देवता धर्म था। उसी समय लक्ष्मी नारायण राज्य करते थे। वह अपने को हिदू नहीं कहलाते थे। अच्छा हिदू धर्म का भी कोई संवत होना चाहिए। विक्रम संवत भी कहते हो। तो आधा-आधा हो गया।

सुनीता ने ये सात शिक्षाएं दीं

-दिन रात होते हैं इसी प्रकार आधा दुख व आधा समय सुख मिलता है।

-परमात्मा ज्ञान का सागर है।

-शिव आदि मध्य अंत का ज्ञान देते हैं।

-शिव के डेढ़ लाख नाम अपनी-अपनी भाषा में रखे गए हैं।

- शांत रहना है तो किसी की बात को दिल पर न रखें।

-व्यवहार और योग अर्थात परमार्थ दोनों का बैलेंस होना चाहिए।

-जो भी कर्म करो वह ईश्वर को समर्पित हो।

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