पानीपत में रेमडेसिविर इंजेक्‍शन सप्‍लाई का जिन्‍न, अब सरकारी डॉक्‍टर फंस गए इसके चक्‍कर में

रेमडेसिविर इंजेक्शन की अस्पताल से बाहर सप्लाई मामले में दो डाक्टरों और नेत्र सहायक की जांच शुरू हुई है। आइसोलेशन वार्ड के नोडल अधिकारी रहे डा. वीरेंद्र ढांडा नेत्र जांच रोग विशेषज्ञ डा. केतन भारद्वाज और नेत्र सहायक जयदीप राठी के विरुद्ध डीजी हेल्थ के आदेश पर जांच शुरू हुई।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 09:15 AM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 09:15 AM (IST)
पानीपत में रेमडेसिविर इंजेक्‍शन सप्‍लाई का जिन्‍न, अब सरकारी डॉक्‍टर फंस गए इसके चक्‍कर में
पानीपत में सिविल अस्‍पताल से रेमडेसिविर सप्‍लाई का मामला।

पानीपत, जागरण संवाददाता। सिविल अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड के नोडल अधिकारी रहे डा. वीरेंद्र ढांडा, नेत्र जांच रोग विशेषज्ञ डा. केतन भारद्वाज और नेत्र सहायक जयदीप राठी के विरुद्ध स्वास्थ्य महानिदेशक (डीजी हेल्थ) के आदेश पर जांच शुरू हो गई है। आरोप है कि इन्होंने रेमडेसिविर इंजेक्शन सिविल अस्पताल से निजी अस्पताल में सप्लाई किए। मरीजों को भी निजी अस्पताल भेजा गया। इंजेक्शन की रिफिलिंग की। पीपी किट बाहर भिजवाने के भी आरोप लगे थे। इसकी शिकायत किसी व्यक्ति ने डीजी हेल्थ को की थी।

दो महीने पहले जयदीप राठी को सिरसा के सिविल अस्पताल में नेत्र सहायक के पद पर डेपुटेशन पर भेज दिया गया था। इस डेपुटेशन को उक्त मामले से ही जोड़कर देखा जा रहा है। वहीं सिविल सर्जन डा. जितेंद्र कादियान ने भी मामले की जांच के लिए अंतरिम कमेटी बना दी गई। इस कमेटी में डिप्टी एमएस डा. अमित पौरिया, डा. श्यामलाल, डा. बिजेंद्र हुड्डा शामिल हैं। ये कमेटी जांच कर सिविल सर्जन को रिपोर्ट सौंपेगी।

सनौली रोड और कैराना के एक अस्पताल पर है शक की सुई

कोरोना काल में मरीजों को रेमडेसिविर इंजेक्शन की काफी जरूरत थी। सिविल अस्पताल में खूब आपाधापी मची रही। निजी अस्पतालों में मरीजों की संख्या खूब रही। बताया गया कि जयदीप राठी के बड़े भाई का सनौली रोड पर अस्पताल है। इसी तरह से उत्तर प्रदेश के शामली के कैराना में भी अस्पताल है। इन दोनों अस्पतालों पर शक की सुई है। माना जा रहा है कि सिविल अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन निजी अस्पतालों में सप्लाई किए गए। मरीजों को भी निजी अस्पताल भेजा गया। डाक्टरों की भी इन अस्पताल में आवाजाही बताई गई। हालांकि इसकी पुष्टि फिलहाल सिविल सर्जन कार्यालय नहीं कर रहा है। इसे जांच का विषय बताया जा रहा है।

गुप्तचर विभाग के दो कर्मचारियों का हो चुका है तबादला

रेमडेसिविर इंजेक्शन की सिविल अस्पताल से बाहर सप्लाई किए जाने के बारे में ढाई महीने पहले भी चर्चा हो रही थी। बताया गया है कि गुप्तचर विभाग के दो कर्मचारियों को इसकी भनक भी लगी थी। दोनों कर्मचारियों का दूसरे जिले में तबादला हो गया। यह तबादला क्यों किया गया, यह सामने नहीं आया है।

पानीपत में खूब चला था नकली रेमडेसिविर का धंधा

पानीपत में नकली रेमडेसिविर इंजेक्शन बेचने का धंधा खूब चला था। सरगना मोहम्मद सहवार ने पानीपत में एक हजार से ज्यादा नकली रेमडेसिविर सप्लाई किए थे। 23 रुपये की कीमत के इंजेक्शन 25 से 30 हजार रुपये में बेचे गए थे। सीआइए-थ्री ने सहवार सहित 14 आरोपितों को गिरफ्तार किया। आरोपितों से 48 लाख रुपये बरामद किए गए।

मामले की जांच की जा रही

पीएमओ डा. संजीव ग्रोवर ने बताया कि सिविल अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन की निजी अस्पताल में सप्लाई के मामले की डीजी हेल्थ की कमेटी जांच कर रही है। कमेटी अस्पताल में भी जांच के लिए आएगी। सीएमओ के आदेश पर सिविल अस्पताल के तीन टीमों की कमेटी भी बनाई है। ये कमेटी भी जांच कर रही है।

रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई नहीं किए

डा. वीरेंद्र ढांडा ने बताया कि उन्होंने रेमडेसिविर इंजेक्शन अस्पताल से बाहर सप्लाई नहीं किए हैं। न ही मामले की जांच के बारे में जानकारी है।

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