सेवा भारती व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुकरणीय पहल, अकेले रह रहे बुजुर्गों का ले रहे हालचाल
हरियाणा के करनाल में सेवा भारती व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुकरणीय पहल देखने को मिल रही है। अकेले रह रहे बुजुर्गों का सुबह शाम हालचाल ले रहे हैं। वरिष्ठ जनों को अवसाद से निजात दिलाने में मिल रही मदद।
करनाल, [पवन शर्मा]। कोरोना संक्रमण को लेकर कायम संवेदनशील स्थिति के बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और सेवा भारती के स्वयंसेवक अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत कर रहे है। वे उन बुजुर्गों के लगातार संपर्क में हैं, जो या तो अकेले रह रहे हैं या फिर किसी बीमारी से जूझ रहे हैं। इन बुजुर्गों को सुबह सवेरे ही फोन मिलाकर राम-राम की जाती है और फिर बेहद सहजता के साथ हाल-चाल पूछते हुए उनकी हर जरूरत का जायजा लिया जाता है। इसी आधार पर आवश्यक मदद मुहैया करा दी जाती है। इस कार्य के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं। बुजुर्गों को तनाव, अवसाद से बचाने में कारगर मदद मिल रही है। इसी आधार पर वैक्सीनेशन में भी उन्हें प्राथमिकता दी जाती है। सेवा भारती की ओर से इसके लिए बुजुर्गों की सूची भी बनाई गई है, जिसे लगातार अपडेट किया जा रहा है।
करनाल के अर्जुन गेट में सेवा भारती का प्रांतीय कार्यालय है। यहां इन दिनों अनवरत सेवा प्रकल्प चल रहे हैं। इनके लिए सेवा भारती और संघ के स्वयंसेवकों की अलग-अलग टोलियां भी बनाई गई हैं। ऐसी ही कुछ टोलियों को यह जिम्मेदारी सौंपी गई है कि वह कोरोना संक्रमण को लेकर गहरी चिंता और अवसाद से जूझ रहे बुजुर्गों का हाल-चाल जाने। संगठन के पदाधिकारियों ने बताया कि इसके लिए बाकायदा लिस्ट तैयार की गई है, जिसमें शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में रह रहे बुजुर्गों का विवरण दर्ज है।
उनकी आयु से लेकर स्वास्थ्य दशा, खान-पान, परिवार की स्थिति सहित हर आवश्यक जानकारी इन सूचियों में समाहित की जाती है। इसी आधार पर यह तय किया जाता है कि किस बुजुर्ग को क्या आवश्यकता है? जिन बुजुर्गों का वैक्सीनेशन नहीं हुआ, उन्हें प्राथमिकता के आधार पर सेवा भारती केंद्र बुलाकर टीके के सुरक्षा कवच से लैस किया जाता है। इसी प्रकार आवश्यकता के अनुरूप उन्हें खाने-पीने के इंतजाम से लेकर दवाओं और अन्य संसाधनों की उपलब्धता कराई जाती है।
सेवा भारती के हरियाणा प्रांत अध्यक्ष सतीश कुमार चावला और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कुरुक्षेत्र विभाग संपर्क प्रमुख कपिल अत्रेजा बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया के बहुत सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। कोरोना संक्रमण को लेकर बनी ङ्क्षचताजनक स्थिति के बीच अपने घरों में कैद बुजुर्गों और उनके स्वजनों को अनावश्यक तनाव से निजात दिलाने में यह मनोवैज्ञानिक पद्धति काफी कारगर साबित हुई है। इसलिए समन्वित प्रयासों से इस सूची को नियमित रूप से अपडेट भी किया जा रहा है।
आत्मीयता से होता है संवाद
खास पहलू यह है कि बुजुर्गों से संवाद की पूरी प्रक्रिया में सबसे ज्यादा ध्यान इस बात पर दिया जाता है कि वे बातचीत के दौरान पूरी तरह सहज रहें। इसके लिए उनकी मनोदशा को भांपते हुए बहुत आत्मीयता के साथ सबसे पहले राम-राम की जाती है और फिर यह कुशल-क्षेम पूछने के साथ यह जाना जाता है कि मौजूदा हालात के चलते वे किसी प्रकार की ङ्क्षचता, अवसाद या तनाव से तो नहीं जूझ रहे ? यदि ऐसा प्रतीत होता है तो इतनी ही सहजता के साथ उनकी शंकाओं, जिज्ञासाओं या समस्याओं के समाधान का प्रयास किया जाता है।
इनका भी बढ़ा रहे मनोबल
सेवा भारती की ही ओर से दो अन्य मुहिम भी चल रही हैं। इनमें एक उन संक्रमितों के लिए हैं, जो घरों में आइसोलेट हैं तो दूसरी सेवा में आवश्यकता के अनुरूप ऑनलाइन चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध कराया जाता है। इसके लिए भी अलग-अलग सूचियां बनाई गई हैं, जिनके जरिए स्वयंसेवकों की टीम नियमित संवाद कर रही है।
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