फील्ड वर्क करते संक्रमित हुआ, बिल्कुल नहीं घबराया

मैं पटवारी हूं फील्ड वर्क करते हुए संक्रमित हुआ। 20 सितंबर-2020 को मेरी रिपोर्ट कोरोना पाम्जिटिव आई।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 07:40 AM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 07:40 AM (IST)
फील्ड वर्क करते संक्रमित हुआ, बिल्कुल नहीं घबराया
फील्ड वर्क करते संक्रमित हुआ, बिल्कुल नहीं घबराया

मैं पटवारी हूं, फील्ड वर्क करते हुए संक्रमित हुआ। 20 सितंबर-2020 को मेरी रिपोर्ट कोरोना पाजिटिव आई थी। बीमारी को लेकर घबराया नहीं, सकारात्मक सोच रखी। होम क्वारंटाइन रहते हुए परिवार के सदस्यों से दूरी बनाई ताकि वे स्वस्थ रहें।

कोरोना पाजिटिव होने के बाद सीटी स्कैन कराया था, फेफड़ों में संक्रमण मिला। सिविल अस्पताल में करीब 10 दिन भर्ती रहा। मेरे कमरे में एक और मरीज भर्ती था। एक-दूसरे से अनजान होने के बावजूद खूब बातें करते थे। कई बार तो घर-परिवार की बातें भी हो जाती थी। वहां चिकित्सकों ने जैसा कहा, मैंने वैसा ही किया। हल्का व्यायाम, सादा भोजन, सकारात्मक सोच ने बड़ा काम किया। रिपोर्ट निगेटिव आने पर डिस्चार्ज कर दिया था। इसके बाद घर के एक कमरे में रहा। परिवार में पत्नी पूनम रानी और दो बेटे हैं। कोई नहीं घबराया, मुझे भी हौसला दिया।इस समय कोरोना के केस बहुत अधिक हैं, लोगों में डर कम है। होम आइसोलेट लोगों से कहूंगा कि समय पर दवा-भोजन लें। घर के किसी एक सदस्य से ही तीमारदारी कराएं, वह सदस्य भी मास्क और दस्ताने पहने। सिविल अस्पताल के हर वार्ड में काम कर चुकीं आशा मेरा नाम आशा गाबा है। इस समय सिविल अस्पताल के आपरेशन थियेटर में ड्यूटी है। अस्पताल के हर वार्ड में ड्यूटी कर चुकी हूं। कोरोना महामारी ने हेल्थ वर्कर्स का वर्कलोड बहुत बढ़ा दिया है। डाक्टर-नर्सिंग स्टाफ का पेशा ऐसा है कि हमारा काम हमें ही करना है। घबराने से काम नहीं चलेगा, चुनौती का सामना करने से जीता जा सकता है।

मैं सिविल अस्पताल कैंपस में रह रहीं हूं। परिवार में बैंक मैनेजर बेटा सागर और शादीशुदा बेटी यशिका है। बेटी पीएचडी कर रही है। दोनों बच्चे मेरी ड्यूटी को बखूबी समझते हैं। कभी ऐसा मौका नहीं आया कि बच्चों ने मेरा हौसला तोड़ा हो। यही मेरी व्यक्तिगत जीत है। मैं प्रसूति वार्ड, इमरजेंसी वार्ड, आइसोलेशन वार्ड में ड्यूटी कर चुकी हूं। मैंने अपने काम को ड्यूटी से बढ़कर, सेवाभाव के रूप में लिया है। आपरेशन थियेटर में सफल सर्जरी की जितनी खुशी डाक्टर को होती है, उतनी ही नर्सिंग स्टाफ को भी होती है। वार्ड से भी स्वस्थ होकर मरीज घर लौटता है तो उसकी आंखों की चमक हमें दुआओं की तरह दिखती है। मेरे बच्चे स्वस्थ रहें, इसलिए घर लौटते ही स्नान और ड्रेस चेंज करना सबसे पहला काम रहता है। जैसा कि स्टाफ नर्स आशा गाबा और कोरोना योद्धा ने जागरण संवाददाता को बताया।

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