Olympic Games Tokyo 2020: भारतीय हॉकी टीम के डिफेंडर सुरेंद्र, जानिए कुरुक्षेत्र से टोक्‍यो ओलंपिक तक पहुंचने की कहानी

हरियाणा के कुरुक्षेत्र के रहने वाले भारतीय टीम के डिफेंडर सुरेंद्र की प्रतिभा को कोच ने परख लिया था। साल 2004 में हाकी खेलने द्रोणाचार्य स्टेडियम में पहुंचा था ओलिंपियन सुरेंद्र कुमार पालड़। जूनियर हाकी में सुरेंद्र के दम पर 50 साल का रिकार्ड तोड़ विजेता बनी थी टीम।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 12:16 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 12:16 PM (IST)
Olympic Games Tokyo 2020: भारतीय हॉकी टीम के डिफेंडर सुरेंद्र, जानिए कुरुक्षेत्र से टोक्‍यो ओलंपिक तक पहुंचने की कहानी
कुरुक्षेत्र के रहने वाले ओलंपियन सुरेंद्र पालड़।

कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी] भारतीय हाकी टीम में शामिल कुरुक्षेत्र के ओलंपियन सुरेंद्र पालड़ की प्रतिभा को उनके कोच गुरविंद्र ने साल 2004 में ही पहचान लिया था । द्रोणाचार्य स्टेडियम में पसीना बहाकर साल 2011 में जूनियर नेशनल गेम के लिए सुरेंद्र ने प्रदेश की टीम में अपनी जगह बनाई। महाराष्ट्र के पूणे में आयोजित हुई जूनियर नेशनल हाकी चेंपियनशिप में प्रदेश की तरफ से खेलते हुए सुरेंद्र कुमार पालड़ ने शानदार प्रदर्शन किया। उनके प्रदर्शन की बदौलत टीम ने जीत दर्ज करवाकर 50 साल का रिकार्ड तोड़ दिया। इस प्रतियोगिता में खेल तकनीक के दम पर सुरेंद्र का चयन दौरान भारतीय हाकी शिविर के लिए हुआ। उसके बाद लगातार सुरेंद्र के खाते में एक से एक उपलब्धि जुड़ती चली गई।

सुरेंद्र के पिता मलखान सिंह ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में बताया कि उनके कोच गुरविंद्र ने शुरुआती दिनों में ही कह दिया था हाकी में सुरेंद्र अपना नाम चमकाएगा। अब सुरेंद्र लगातार दूसरे ओलंपिक में भारतीय हाकी टीम का हिस्सा बना है। उन्होंने टोक्यो के लिए दिल्ली से निकलते समय अपने गुरु हाकी कोच गुरविंद्र सिंह से मोबाइल पर बातचीत की और आशीर्वाद लिया। हाकी कोच एवं साइ प्रभारी गुरविंद्र सिंह ने कहा कि सुरेंद्र भारतीय टीम की मजबूत कड़ी है। वह अपने बेहतरीन खेल का प्रदर्शन करते हुए भारत की झोली में सोना डालेगा।

कोच गुरविंद्र।

2011 में जूनियर नेशनल हाकी चेंपियनशिप में दिखाई प्रतिभा

हाकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ का वर्ष 2011 में जूनियर नेशनल गेम के लिए प्रदेश की टीम में चयन हुआ। इस चेंपियनशिप ने टीम ने 50 साल बाद जीत दर्ज करवाई। इसके बाद तीन से 13 मई 2013 में मलेशिया में हुई जूनियर हाकी चेंपियनशिप में सुरेंद्र कुमार पालड़ ने भारतीय हाकी टीम की तरफ से खेलते हुए अच्छा प्रदर्शन किया। इस टूर्नामेंट में भारत को कांस्य पदक मिला। वर्ष 2012 नवंबर माह में सुरेंद्र पालड़ का चयन फिर से भारतीय जूनियर हाकी टीम में हुआ। इस बार मलेशिया में जौहर कप में भारतीय टीम ने शानदार प्रदर्शन किया और इस टूर्नामेंट में भारतीय टीम को दूसरा स्थान मिला। वर्ष 2013 में ही अंतरराष्ट्रीय हाकी खिलाड़ी सुरेंद्र पालड़ ने हालैंड व बेलजियम में जूनियर भारतीय हाकी टीम की तरफ से टेस्ट सीरिज खेली और इस टेस्ट सीरिज में सुरेंद्र कुमार पालड़ का प्रदर्शन सराहनीय रहा।

हॉकी के सुरेंद्र के माता-पिता।

2013 में भारतीय हाकी टीम का सदस्य बना

इसके बाद सुरेंद्र कुमार पालड़ को छह से 15 दिसंबर 2013 को दिल्ली में हुए जूनियर हाकी वर्ल्ड कप में भी खेलने का मौका मिला। इस प्रतियोगिता में सुरेंद्र ने अच्छा प्रदर्शन किया। उसकी प्रतिभा को देखते हुए सुरेंद्र को सीनियर हाकी टीम में भी जून 2013 में भारतीय हाकी टीम का सदस्य बनाया गया। सीनियर भारतीय हाकी टीम की तरफ से जापान में हुई एशियन चेंपियनशिप खेलने का मौका मिला। इस चेंपियनशिप में भारतीय टीम ने पांचवा स्थान हासिल किया। इसके बाद सुरेंद्र को हीरो होंडा हाकी इंडिया लीग के लिए भी दिल्ली वेव राईडरज की तरफ से चुना गया। यह पहला ऐसा खिलाड़ी है, जिसे दिल्ली वेव राइडर ने लगातार हॉकी टीम के लिए चुना। दिल्ली वेव राईडर की तरफ से खेलते हुए वर्ष 2013 में सिल्वर पदक, 2014 में स्वर्ण पदक और 2015 में कांस्य पदक हासिल करने में सुरेंद्र ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हाकी के इस नन्हें से जादूगर की प्रतिभा को देखते हुए फूड कारपोरेशन आफ इंडिया ने स्पोर्ट कोटे के तहत वर्ष 2013 में नौकरी दी।

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