धुएं की परत से आंखों में जलन, सूखी खांसी बढ़ सकती है
जिला प्रशासन प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों और पुलिस की सख्ती के बावजूद दीपावली पर खूब पटाखे छोड़े गए। नतीजा आखों में लाली-जलन कानों का सुन होना और सूखी खांसी के मरीज बढ़ने तय हैं।
जागरण संवाददाता, पानीपत : जिला प्रशासन, प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड के अधिकारियों और पुलिस की सख्ती के बावजूद दीपावली पर खूब पटाखे छोड़े गए। नतीजा, आखों में लाली-जलन, कानों का सुन होना और सूखी खांसी के मरीज बढ़ने तय हैं। बचाव पहला इलाज है, आवश्यक कार्य है तभी घर से बाहर निकलें। मास्क और चश्मा जरूर पहनें।
उधर, सिविल अस्पताल की इमरजेंसी के स्टाफ ने बताया कि पटाखों से जलने का कोई केस नहीं आया है। छह वर्षों में ऐसा पहली बार हुआ है। अस्पताल के प्रिसिपल मेडिकल आफिसर एवं फिजिशियन डा. संजीव ग्रोवर ने पटाखों से निकला धुआं आगामी दिनों में दमा, टीबी के रोगियों की परेशानी बढ़ा सकता है। सूखी खांसी, गले में खराश के मरीजों की संख्या बढ़ सकती है।
उन्होंने बताया कि पटाखों को बनाने में कई खतरनाक रसायनों का इस्तेमाल होता है। प्राथमिक इलाज पर उन्होंने कहा कि गुनगुने पानी से गरारे करें। अधिक दिक्कत है तो अनुभवी चिकित्सक से परामर्श लें। बुजुर्गों व बच्चों को घर से बाहर बहुत कम निकलना चाहिए।
नेत्र रोग विशेषज्ञ डा. केतन भारद्वाज ने बताया कि पटाखों के धुएं से आखों में जलन या लालिमा है तो कार्बोक्सिमिथाइलसेलुलोज (सीएमसी) और ओलोपाटाडाइन आई ड्राप डाल सकते हैं। अधिक दिक्कत है तो विशेषज्ञ को दिखाएं। ऐसा करें तो नहीं अधिक नुकसान
-सबसे पहले हाथों को साबुन, साफ पानी से धोएं।
-इसके बाद आखों को साफ पानी से कई बार धोएं।
-आंखों को रगडें बिल्कुल नहीं।
-चिकित्सक के परामर्श से आइ ड्राप डालें। पांच दिन में शाम चार बजे ये थे हालात
एक नवंबर - 298
दो नवंबर - 291
तीन नवंबर - 233
चार नवंबर - 397
पांच नवंबर - 391
नोट - एयर क्वालिटी इंडेक्स 2.5 है