यमुनानगर में इन होर्डिंग को देख कॉलोनी के लोगों के उड़ रहे होश, जानिए क्‍या है मामला

यमुनानगर में डीटीपी की होर्डिंग लोगों में चर्चा बनी है। अवैध कालोनी के नाम व खसरा नंबर लिखे बोर्ड सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए हैं। कालोनी वासियों में दहशत है। पता नहीं कब घर गिराने आ जाए जेसीबी मशीन।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 01 Mar 2021 04:38 PM (IST) Updated:Mon, 01 Mar 2021 04:38 PM (IST)
यमुनानगर में इन होर्डिंग को देख कॉलोनी के लोगों के उड़ रहे होश, जानिए क्‍या है मामला
अवैध कॉलोनी की वजह से लोगों में चर्चा।

यमुनानगर, जेएनएन। यमुनानगर के दो लाख से अधिक लोगों का दिन का चैन व रातों की नींद उड़ी हुई है। क्योंकि इन्हें अपना आशियाना बिखरने की चिंता सताने लगी है। जिला नगर योजनाकार (डीटीपी) ने तहसील, एसडीएम, बीडीपीओ, बस स्टैंड, पटवारखाना समेत अन्य जगहों पर 23 ऐसे बड़े होर्डिंग लगवाए हैं। इन होर्डिंग पर अवैध कालोनियों के नाम व खसरा नंबर लिखे हैं। साथ ही लोगों से ये भी कहा गया है कि वे इन अवैध कालोनियों में प्लॉट न खरीदें और न ही निर्माण करें।

होर्डिंग देखने के बाद से दहशत में लोग

डीटीपी जिलाभर में जो होर्डिंग लगवाए हैं उन पर भले ही ये लिखा हो कि कोई भी व्यक्ति इनमें प्लॉट न खरीदे और न ही निर्माण करे। प्लॉट खरीदने वालों पर कोई असर हो या न हो लेकिन जिन्होंने पहले से इन कालोनियों में घर व आलीशान कोठियां बना रखी हैं वो जरूर दहशत में हैं। इन कालोनियों में इसी बात की चर्चा हो रही है कि उनका घर किसी भी वक्त गिर सकता है, क्योंकि सरकार के रिकार्ड में उनकी कालोनी अवैध है। रातभर ये सोचते रहते हैं कि पता नहीं कब अधिकारी जेसीबी मशीन लेकर उनके घर को गिराने पहुंच जाएं।

फैल रहा अवैध कालोनियों का मकड़ जाल

जिला में अवैध कालोनियों का मकड़ जाल तेजी से फैल रहा है। गत वर्ष प्रदेश सरकार 69 अवैध कालोनियों को चिह्नित कर वैध किया था। इससे अलग 100 से ज्यादा अवैध कालोनियां तो केवल शहरी क्षेत्र में हैं। वर्ष 2019 में ही डीटीपी कार्यालय ने जिला में 34 नई अवैध कॉलोनियों को चिह्नित किया। इनमें से 28 कालोनियाें में किए गए निर्माण को ढहा दिया गया है। जबकि 2020 में शहरी क्षेत्र में 30 नई अवैध कॉलोनियां मिली थी जिनमें से 26 तोड़ी जा चुकी हैं। जबकि 2013 से 2018 तक केवल 16 कालोनियों को ही तोड़ा गया था।

लोग बोले अवैध कालोनियों में क्यों दी सुविधाएं

लोगों का कहना है कि जब इन कालोनियों में प्लॉट बेचे जा रहे थे तब अधिकारी कहां थे। तब प्लॉट बेचने वालों को पकड़ा क्यों नहीं। समाजसेवी डा. यशपाल चौधरी का कहना है कि लोग जीवनभर बचत करके किसी तरह प्लॉट खरीद कर उसमें अपना घर बनाते हैं। अब इन कालोनियों को अवैध बताया जा रहा है। यदि प्रशासन शुरुआत में ही अवैध रूप से प्लॉट बेचने वालों पर कार्रवाई करे तो हजारों घरों को टूटने से बचाया जा सकता है। ऐसा तो नहीं हो सकता कि जब कॉलोनी में प्लॉट बेचे जा रहे थे और अधिकारियों को पता न चला हो। उस वक्त तो जानबूझ कर कार्रवाई नहीं करते। यदि ये कालोनियां अवैध थी तो इनमें लोगों को बिजली, पानी के कनेक्शन क्यों दिए। कई कालोनियों में तो पंचायतों ने पक्की गलियां बना दी हैं। अब यदि घर टूटते हैं तो उसका जिम्मेदार कौन होगा।

हमारा मकसद जागरूक करना है : अमित मधोलिया

डीटीपी अमित मधोलिया ने बताया कि भविष्य में अवैध कालोनियों पर अंकुश लगाया जा सके इसके लिए जागरुकता अभियान चलाया है। कार्यालय की तरफ से 23 जगहों पर होर्डिंग लगाए गए हैं। साथ ही 15 हजार पंपलेट अखबारों के माध्यम से घरों तक पहुंचाए गए। अवैध कालोनियों के होर्डिंग लोगों को जागरूक करने के लिए लगाए गए हैं।

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