जल संकट से बचना है तो धान छोड़ें, कम पानी की लागत की फसल लगाएं

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. सुरेंद्र दहिया ने रविवार को जिले के गांव बड़ौली व गांजबड़ में धान की सीधी बिजाई के तहत लगाए गए प्रदर्शन प्लाटों का अवलोकन किया। साथ ही मेरी पानी मेरी विरासत योजना के तहत बराना में बिजाई की गई मक्का की फसल को भी देखा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 21 Jun 2021 06:53 AM (IST) Updated:Mon, 21 Jun 2021 06:53 AM (IST)
जल संकट से बचना है तो धान छोड़ें, कम पानी की लागत की फसल लगाएं
जल संकट से बचना है तो धान छोड़ें, कम पानी की लागत की फसल लगाएं

जागरण संवाददाता, समालखा : कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अतिरिक्त निदेशक डा. सुरेंद्र दहिया ने रविवार को जिले के गांव बड़ौली व गांजबड़ में धान की सीधी बिजाई के तहत लगाए गए प्रदर्शन प्लाटों का अवलोकन किया। साथ ही मेरी पानी, मेरी विरासत योजना के तहत बराना में बिजाई की गई मक्का की फसल को भी देखा। उन्होंने किसानों को मक्का, कपास, दलहन व चारा फसलों की ज्यादा से ज्यादा बिजाई करने के प्रति प्रेरित भी किया। वहीं किसानों ने भी अपनी बात उनके सामने रखी। उनके साथ एसडीओ अनिल नरवाल, एडीओ राकेश, एटीएम विकास कुमार रहे।

अतिरिक्त निदेशक डा. सुरेंद्र दहिया ने कहा कि गिरता भू जल स्तर हमारे लिए चिता का विषय है। पानीपत जिले में ज्यादातर गेहूं व धान की खेती ज्यादा होती है। सबसे ज्यादा पानी की लागत धान की खेती में होती है। हमें आने वाले समय में जल संकट से बचना है तो कम पानी की लागत वाली फसलों की बिजाई करनी होगी।

उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने गिरते भू जल स्तर को बचाने के लिए किसानों को धान छोड़ अन्य फसल उगाने के प्रति प्रेरित करने के लिए मेरी पानी, मेरी विरासत योजना चलाई है। इसके तहत पहले किसान को धान छोड़ मक्का, कपास, दलहन की खेती करने पर सात हजार रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती थी, लेकिन अब धान न लगाकर खेत खाली छोड़ने या चारा उगाने पर भी प्रोत्साहन राशि मिलेगी। इस मौके पर किसान सुरेश, मंजीत, रविदर, राजकुमार, कर्मबीर, विनोद, प्रमोद, संदीप मौजूद रहे। मेरी पानी, मेरी विरासत के तहत मिला लक्ष्य

उपनिदेशक डा. वीरेंद्र आर्य ने बताया कि मेरी पानी, मेरी विरासत योजना के तहत पानीपत जिले में मक्का 1450 एकड़, कपास 100 एकड़, दलहन 100 एकड़, चारा 1000 व बागवानी 2500 एकड़ में उगाने का लक्ष्य मिला है। दूसरी ओर धान न लगाकर एक हजार एकड़ में चारा या खेत खाली छोड़ने पर भी सात हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि मिलेगी। योजना के तहत किसानों को 25 जून तक पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इसे मेरी फसल, मेरा ब्यौरा से जोड़ा जाएगा। दो हजार एकड़ में धान की सीधी बिजाई का लक्ष्य

कृषि अधिकारी के मुताबिक जिले में औसतन हर साल 75 हजार हेक्टेयर में धान की रोपाई होती है। सरकार धान की जगह अन्य फसल उगाने के साथ किसानों को धान की सीधी बिजाई के प्रति भी प्रेरित कर रही है। इसमें रोपाई से कम पानी की लागत होती है। इस बार जिले में दो हजार एकड़ में धान की सीधी बिजाई का लक्ष्य रखा गया है। किसानों को धान की सीधी बिजाई करने पर पांच हजार रुपये प्रति एकड़ अनुदान मिलेगा। किसानों के सीधे बैंक खाते में जाएगा।

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