हरियाणा में कितने कैंसर के मरीज, आरटीआइ में सरकार का आया हैरानी भरा जवाब Panipat News
हरियाणा में कैंसर के कितने मरीज हैं ये किसी को नहीं पता है। ये चौंकाने वाला जवाब डीजी हेल्थ की तरफ से आया है। वर्ष 2017 2018 और 2019 का आरटीआइ से इसका डाटा मांगा गया था।
पानीपत, जेएनएन। राज्य में राष्ट्रीय कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिका रोग, आघात रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) करीब दो साल से चल रहा है। इसके बावजूद सरकार के पास वर्ष 2017, 2018 और 2019 में कैंसर के कितने मरीज सामने आए, इस रोग से कितनी मौतें हुईं इसका सही डाटा नहीं है। आरटीआइ में पूछे गए सवालों के डीजी हेल्थ की ओर से दिए उत्तर तो यही इशारा कर रहे हैं। मरीजों को फ्री बस पास की सुविधा संख्या को ही आधार माना जा रहा है।
सेक्टर 18 वासी एडवोकेट अमित मलिक ने वर्ष 2015 से 15 मई 2019 तक कैंसर मरीजों का संख्या साल और जिलेवार आरटीआइ के तहत डीजी हेल्थ से मांगी थी। मौत के आंकड़े भी मांगे गए थे। डीजी हेल्थ कार्यालय ने आरटीआइ के जवाब में वर्ष 2017, 2018 और 2019 में कैंसर के कितने मरीज सामने आए इसका डाटा होने से इंकार कर दिया।
दो साल का दिया डाटा, बाकी के लिए हाथ खड़े कर दिए
कैंसर से वर्ष 2015 और 2016 में कितनी मौत हुईं यह संख्या तो दे दी, इसके बाद का डाटा अनुपलब्ध बताया। राज्य सरकार कितने कैंसर मरीजों को फ्री बस पास मुहैया करा रही है, ये आंकड़े जरूर बताए हैं। आरटीआइ कार्यकर्ता ने कहा कि विभाग के पास वर्ष 2016 के बाद कैंसर के मरीजों और रोग के कारण हुई मौत का आंकड़ा ही नहीं है तो चिकित्सा पर सवाल उठने तय हैं। यह स्थिति तब है जब प्रदूषण के मामले में पानीपत देश में 11वें नंबर पर है। घर-घर लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाए तो हर जिले में असंख्य मरीज मिल जाएंगे।
सबसे अधिक मौत रोहतक में
आरटीआइ के जवाब में कैंसर से वर्ष 2016 में हुई मौत के आंकड़े बताए गए हैं। उनके मुताबिक वर्ष 2016 में सर्वाधिक 553 मौत रोहतक में हुईं। यमुनानगर में 532, जींद में 367, सोनीपत में 329, सिरसा में 315, फतेहाबाद में 315, रेवाड़ी में 185, गुरुग्राम में 180 और पानीपत में 74 की मौत हुई है।
अब घर-घर जुटाया जा रहा है डाटा
एनपीसीडीसीएस के तहत आशा वर्कर्स घर-घर सर्वे कर 30 वर्ष से अधिक आयु के महिला-पुरुषों से बातचीत और लक्षणों के आधार पर शुगर, ब्लड प्रेशर, मुंह, स्तन और बच्चेदानी के कैंसर से पीडि़त मरीजों का पता लगा रही है। समुदाय आधारित मूल्यांकन प्रपत्र रजिस्टर मरीज की पूरी डिटेल दर्ज की जाएगी। इस स्क्रीनिंग का उद्देश्य उक्त रोग से पीडि़त मरीजों का सही डाटा एकत्र करना भी है।