होटल और रेस्तरां पर सख्ती, होगा जुर्माना, जानिए क्या हैं कचरा प्रबंधन के नए नियम
होटल व रेस्तरां को अब कुरुक्षेत्र थानेसर नगर परिषद से लेनी होगी ठोस कचरा प्रबंधन 2016 नियमों की पालना होने की मंजूरी। दो माह के अंदर मंजूरी नहीं ली तो होगा जुर्माना। कचरे का होटल में ही करना होगा प्रबंधन। सिंगल यूज आइटम नहीं कर सकेंगे प्रयोग।
कुरुक्षेत्र, [विनीश गौड़]। होटल व रेस्तरां संचालक अब होटल से निकलने वाले कचरे को इधर उधर नहीं फेंक सकेंगे। उन्हें कचरे का प्रबंधन अब खुद करना होगा। साथ ही होटल या रेस्तरां से निकलने वाले पानी के ट्रीटमेंट का प्रबंध भी संस्था को अपने आप करना होगा। इसके लिए थानेसर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकारी ने रेस्तरां, होटल, ढाबा, मोटल, बैंकेट हाल और मैरिज पैलेस संचालकों को नोटिस जारी किया है। जिसमें होटल व पैलेस संचालकों को पानी बचाने व ठोस कचरा प्रबंधन 2016 के नियमों की पालना कराने के लिए दो माह का समय दिया गया है। इन्हें इन नियमों को दो माह के अंदर-अंदर लागू करके नप से मंजूरी भी लेनी होगी।
नप ईओ ने यह आदेश किए हैं जारी
थानेसर नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी बलबीर सिंह ने आदेश जारी किए हैं कि शहरी स्थानीय निकाय निदेशालय ने नियंत्रण बोर्ड की ओर से रेस्तरां, होटल, मोटल और बैंकेट हाल से होने वाले प्रदूषण के नियंत्रण व पर्यावरण नियमों की पालना करने के निर्देश जारी किए गए हैं। इन्हें पानी बचाने, ठोस कचरा प्रबंधन नियम 2016 अनुसार कूड़े के निपटान, पार्किंग सुविधा बनाने, अग्निशमन सुरक्षा उपायों की पालना करनी होगी। दो माह के अंदर-अंदर सक्षम अधिकारी से नियमानुसार मंजूरी प्राप्त करना सुनिश्चित करें नहीं तो संस्थान से नियमानुसार जुर्माना वसूला जाएगा।
सिंगल यूज सामान का भी नहीं कर सकेंगे प्रयोग : डा. नरेश
ग्रीन अर्थ संगठन के सदस्य एवं पर्यावरणविद् डा. नरेश भारद्वाज ने कहा कि नेशनल ग्रीन ट्रब्यूनल ने 2021 में एक याचिका पर यह आदेश दिए हैं कि होटल, ढाबा, मोटल, बैंकेट हाल और मैरिज पैलेस संचालकों को अपने संस्थान में ही कचरा प्रबंधन करना होगा। उन्हें सूखे कचरे को खुद मैनेज करना होगा और गीले कचरे से खाद बनानी होगी। अभी भी शादियों व पार्टियों में इन संस्थाओं में बेरोकटोक सिंगल यूज सामान का प्रयोग किया जा रहा है जो प्रतिबंधित किया गया है। नियम के अनुसार अब होटल संचालक या बैंकेट हाल कूड़े में आग नहीं लगा सकेंगे। इसके अलावा उन्हें नप से मंजूरी लेने के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से भी एनओसी लेनी होगी। संस्था से निकलने वाले पानी का ट्रीटमेंट प्रबंध खुद करना होगा। इसके अलावा छत और गार्डन के पानी को संचय करने का प्रबंध भी करना होगा।