जज्बा, पथरीली जमीन पर खड़ा किया हर्बल पार्क, 400 किस्म के लगाए चार लाख पौधे
यमुनानगर में 184 एकड़ में फैले चौधरी देवी लाल हर्बल पार्क चुहड़पुर कलां अब नजीर बन चुका है। यहां पर आज से 12 साल पहले से पौधे लगाने की शुरुआत हुई थी। अब तक यहां पर 400 किस्म के चार लाख पौधे पार्क में लगा दिए गए हैं।
यमुनानगर, जेएनएन। 184 एकड़ में फैले चौधरी देवी लाल हर्बल पार्क चुहड़पुर कलां को कौन नहीं जानता। इस पार्क में खुद पूर्व राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम आजाद भी आ चुके हैं। इस पार्क को हराभरा करने में सरकार के बाद यदि सबसे ज्यादा विशेष भूमिका है तो वह सेक्टर-17 निवासी प्रो. जेएस सोढी की। वह गुरु नानक खालसा कालेज में वनस्पति विज्ञान विभाग के हेड थे। वर्ष 2009 में वह प्राचार्य पद से सेवानिवृत हुए। वर्ष 2000 में उन्होंने हर्बल पार्क में पौधे लगाने की शुरुआत की थी। तीन साल में उन्होंने करीब 400 किस्म के चार लाख पौधे पार्क में लगाए। 73 वर्ष की उम्र में भी वह पर्यावरण को बचाने के लिए पौधे लगा रहे हैं।
पथरीली जमीन में पौधे लगाना था मुश्किल
जेएस सोढी ने बताया कि चुहड़पुर कलां में जब प्रदेश सरकार ने 184 एकड़ जमीन का चयन किया था तो इसमें हर्बल पौधे लगाने की जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई। उन्होंने जमीन का निरीक्षण किया तो क्षेत्र में माइनिंग जोन व यमुना नदी साथ लगने के कारण यह काफी पथरीली थी। इसमें पाैधे लगाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। वर्ष 2000 से 2003 तक उन्होंने हर्बल पार्क में चार लाख आयुर्वेदिक पौधे लगाए। हर क्यारी में प्रत्येक पौधे की विस्तार से जानकारी तख्ती पर लिखी हुई है। पार्क के लिए पौधे देश के विभिन्न राज्यों से लाए गए थे। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश की डिवाइन वेली में भी दो लाख खुशबूंदार पौधे लगा चुके हैं।
किसानों की आय बढ़ाना था मुख्य मकसद
उन्होंने बताया कि उनका मुख्य मकसद था कि किसान अपनी परंपरागत खेती को छोड़ कर औषधीय पौधों को लगाएं। क्योंकि औषधीय पौधे बेशकीमती होते हैं और इनसे किसानों की आमदनी भी ज्यादा होगी। इसलिए पार्क में 400 से ज्यादा किस्म के आैषधीय पौधे लगाए। किसान इस पार्क में आकर उनकी जानकारी लेते। इसके बाद उन्हें अपने खेत में लगाते। हर्बल पार्क की खूबियों को जानकर ही राष्ट्रपति अब्दुल कलाम 16 अप्रैल 2003 में यहां आए थे। पार्क की उन्होंने बहुत ज्यादा प्रशंसा की थी। अपने हाथों से उन्होंने हर्बल पार्क में रूद्राक्ष का पौधा लगाया था तो आज बड़ा पेड़ बन चुका है।
आदिबद्री में बंदरों के लिए लगाए थे फलदार पौधे
प्रो. जेएस सोढी ने बताया कि सरस्वती उद्गम स्थल आदिबद्री में भी उन्होंने वर्ष 1997 में हर्बल पार्क तैयार किया था। इसमें बहुत सारे औषधीय पौधे लगाए थे। इसके अलावा बरगद, पीपल व पिलखन के पौधे सैकड़ों की संख्या में लगाए थे। लेकिन देखरेख के अभाव में यह पार्क आज खत्म हो गया। इसके बाद उन्होंने आदिबद्री में केले, आम व अमरूद के पौधे लगाए थे। तब लोगों ने कहा था कि वह छायादार पौधे छोड़ कर केले व अमरूद के पौधे लगा रहे हैं। तब उनसे कहा था कि आदिबद्री एक धार्मिक स्थल है। यहां पर काफी संख्या में बंदर है। उन्हें जिंदा रहने के लिए फल चाहिए। इन पौधों से वह आम, केले व अमरूद खा सकेंगे।
पौधे लगाने के बहुत फायदे : जेएस सोढी
जेएस सोढी ने बताया कि जान अनजाने में लोग कीमती पेड़ों को काट देते हैं। क्योंकि लोगों उसे केवल पेड़ की नजर से देखते हैं। उसके फायदे उन्हें नहीं पता। पेड़ आक्सीजन दे रहे हैं। इसलिए जब वह कालेज में थे तो एनएसएस के शिवरों में विद्यार्थियों से तालाब व सड़कों के किनारे पौधे जरूर लगवाते थे। अब संस्थाओं के सहयोग से पौधे लगा रहे हैं। इसलिए सभी को पौधे जरूर लगाने चाहिए।