बच्‍चों में बढ़ रही ये बीमारी, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मोबाइल टीमें करेंगी स्कूलों में स्क्रीनिंग

कोरोना महामारी के चलते एक साल से बंद था स्क्रीनिंग का कार्य। इस योजना के तहत अब 44 बीमारियों का हो सकेगा निशुल्क इलाज। बच्चों के दिल में छेद आंखों की रोशनी कम होने के ज्यादा बढ़ रहे केस।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 02 Mar 2021 05:44 PM (IST) Updated:Tue, 02 Mar 2021 05:44 PM (IST)
बच्‍चों में बढ़ रही ये बीमारी, राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मोबाइल टीमें करेंगी स्कूलों में स्क्रीनिंग
11 मोबाइल टीमें करेंगी स्कूलों में स्क्रीनिंग।

कैथल, जेएनएन। राष्ट्रीय स्वस्थ मिशन (एनएचएम) के तहत राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया हुआ है। इस कार्यक्रम के तहत 11 मोबाइल टीमों का गठन किया है। इसमें महिला व पुरुष चिकित्सक सहित एएनएम, फार्मासिस्ट को शामिल किया है, जो रोजाना स्कूलों का दौरा कर बच्चों के स्वास्थ्य की जांच कर रहे हैं। कोरोना महामारी के चलते पिछले एक साल से यह कार्यक्रम बंद किया गया था। इस कार्य में चले चिकित्सकों व स्टाफ को कोरोना महामारी को रोकने के कार्य में  लगाया गया था। अब स्कूल खुल गए हैं तो फिर से स्क्रीनिंग के कार्य की शुरूआत हो चुकी है। 25 फरवरी से टीमों ने स्कूलों मे जाना शुरू कर दिया है।

पांच करोड़ की हो चुकी सर्जरी

इस कार्यक्रम के तहत अब तक पांच करोड़ रुपये बच्चों के इलाज पर खर्च हो चुका है। इनमें बच्चों में दिल में छेद, कटे हुए होठ, टेड़े पांव, आंखों के ऑप्रेशन सहित अन्य तरह की सर्जरी हो रही है। योजना के तहत चार अस्पतालों को पैनल पर लिया गया है। अब इस योजना के तहत 14 अन्य बीमारियों का भी निशुल्क इलाज हो चुका है। इनमें बच्चों में टीबी होने पर निशुल्क इलाज अभिभावक करवा सकेंगे। योजना के तहत 19 साल से कम आयु के बच्चे इसमें आते हैं। आंगनबाड़ी केंद्रों में भी इस योजना के तहत स्क्रीनिंग करते हुए बीमार बच्चों की पहचान की जाती है। अब आंगनबाड़ी केंद्र बंद हैं, इसलिए यहां स्क्रीनिंग का कार्य नहीं हो रहा है।  2019 में स्क्रीनिंग के दौरान दिल में छेद, खून की कमी, आंखों की रोशनी कम होने के काफी केस सामने आए थे।

योजना के नोडल अधिकारी डा. संदीप जैन ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम पिछले एक साल से बंद था। अब इसे दोबारा से शुरू करने के निर्देश आ गए हैं। स्कूलों में चिकित्सकों की टीम को स्क्रीनिंग के लिए भेजा जा रहा है। इस दौरान गंभीर बीमारी से पीड़ित बच्चों की पहचान कर उनका इलाज निशुल्क करवाया जा रहा रहा है।

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