हरियाणा के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्‍ट पर ताला, उद्घाटन के बाद चार माह में ही एआरटी सेंटर बंद

कुरुक्षेत्र में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के सपनों पर ताला लगा दिया गया है। यहां पर स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने एआरटी सेंटर को खोला था। अभी चार माह भी नहीं हुए इस सेंटर में ताला गया। सीडी-4 टेस्ट से हर छह माह में वायरल लोड की जांच होती।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 31 Jul 2021 05:54 PM (IST) Updated:Sat, 31 Jul 2021 05:54 PM (IST)
हरियाणा के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री के ड्रीम प्रोजेक्‍ट पर ताला, उद्घाटन के बाद चार माह में ही एआरटी सेंटर बंद
एआरटी सेंटर में ताला लगा हुआ है।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। कुरुक्षेत्र में स्वास्थ्य मंत्री ने जिस एंटी रेट्रो वायरल थैरेपी सेंटर की अप्रैल में वर्चुअल शुरुआत की थी वह चार माह भी नहीं चल पाया। न यहां चिकित्सक है न ही नर्स और न ही फार्मासिस्ट की भर्ती हो पाई है। इसकी वजह से एआरटी सेंटर पर ताला लटका हुआ है। जबकि एआरटी सेंटर खुलने से एचवाइवी के मरीजों को आस जगी थी कि अब उन्हें अंबाला एआरटी सेंटर या रोहतक पीजीआइ तक दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।

मगर एआरटी सेंटर शुरू होने के कुछ ही दिन बाद यहां तैनात की गई चिकित्सक की स्थाई नियुक्ति कहीं ओर हो गई और वे सेंटर को छोड़ कर चली गईं। जबकि नर्स और फार्मासिस्ट को भर्ती करने की प्रक्रिया ही अब तक शुरू नहीं हो पाई। ऐसे में प्रथम तल पर फिजिशियन की ओपीडी के पास बनाए गए इस केंद्र पर ताला लटका हुआ है। कार्यक्रम अधिकारी डिप्टी सिविल सर्जन डा संदीप अग्रवाल ने बताया कि चिकित्सक की अपॉइंटमेंट की गई थी लेकिन उनकी स्थाई नियुक्ति कहीं और हो गई जिसके बाद उन्होंने यहां से रिजाइन कर दिया।

वायरल लोड जांच होना था एआरटी सेंटर में

एंटी रेट्रो वायरल सेंटर के लिए नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन (नाको) ने मंजूरी दी थी, जिसके बाद जिले में सेंटर को बनाया गया था। इस सेंटर में सीडी-4 (प्रतिरोधक क्षमता) व वायरल लोड जांच के लिए मरीजों के सैंपल जांच होनी थी। वायरल लोड जांच होने के बाद ही मरीजों को मेडिसिन मिलनी शुरू होनी थी। एआरटी सेंटर जिले में स्थापित होने के बाद भी मरीजों को यह सैंपल जांच कराने के लिए अभी भी अंबाला एआरटी या रोहतक पीजीआइ तक जाना पड़ रहा है। जिले में 300 से ज्यादा मरीज पंजीकृत हैं, जिन्हें हर छह माह में सीडी-4 टेस्ट कराने के लिए अंबाला या रोहतक पीजीआइ जाना पड़ रहा है।

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