शिवालिक की पहाड़ियों पर हरियाणा का एकमात्र गुरुकुल, बच्चों को शास्त्र के साथ शस्त्र की दी जाती है शिक्षा

28 बच्चे यहां शिक्षा ले रहे हैं। बच्चों को शस्त्र के साथ शास्त्रों की शिक्षा दी जाती है। यहां 16 तरह की शिक्षा भी दी जाती है। दस वर्ष की आयु में गुरुकुल में शिक्षा लेने के लिए बच्चा आता है। 18 वर्ष की आयु तक शिक्षा ग्रहण करता है।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Sun, 04 Jul 2021 02:02 PM (IST) Updated:Sun, 04 Jul 2021 02:02 PM (IST)
शिवालिक की पहाड़ियों पर हरियाणा का एकमात्र गुरुकुल, बच्चों को शास्त्र के साथ शस्त्र की दी जाती है शिक्षा
आदिबद्री के जंगल में भारतीय संस्कृति को जिंदा रखने का प्रयास जारी है।

पोपीन पंवार, यमुनानगर। जिला मुख्यालय से 55 किलोमीटर दूर प्राचीन धार्मिक स्थल आदिबद्री के जंगल में भारतीय संस्कृति को जिंदा रखने का प्रयास जारी है। यहां पर श्री आदिबद्री गुरुकुल वेद संस्कार पाठशाला चल रही है। इसमें प्राचीनकाल की तरह बच्चों को शास्त्र और शस्त्र की शिक्षा मिल रही है। ब्रह्मचर्य का पालने करवाते हुए यहां पर विद्वान तैयार किए जा रहे हैं।

आरएसएस से जुड़े इंद्रेश कुमार, सीएम मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा आदि भी यहां पर आ चुके हैं। सनातन पद्धति पर आधारित इस गुरुकुल में फिलहाल 28 बच्चे शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कोरोना के चलते 20 बच्चे घर गए हुए हैं। आठ बच्चे यहीं पर पढ़ाई के साथ मंदिरों में पूजापाठ करवाते हैं। दस वर्ष की आयु में गुरुकुल में शिक्षा लेने के लिए बच्चा आता है। 18 वर्ष की आयु तक शिक्षा ग्रहण करता है। महंत विनय स्वरूप महाराज का कहना है कि शिक्षा मंत्री कंवरपाल से बच्चों को घर से बुलाने के बारे में बात हो चुकी है। 15 जुलाई तक बच्चों को गुरुकुल में बुलाकर शिक्षण कार्य शुरू करवाया जाएगा। इस दौरान कोरोना गाइडलाइन का पालन किया जाएगा। इस बारे में सभी बच्चों को अवगत करा दिया जाएगा।

कोरोना के चलते 20 बच्चे घर गए हुए हैं। आठ बच्चे यहीं पर पढ़ाई के साथ मंदिरों में पूजापाठ करवाते हैं।

16 तरह की शिक्षा भी दी जाती है यहां

महंत ने दैनिक जागरण को बताया कि शिक्षा में उन्हें षोड् संस्कार (16 तरह की शिक्षा) के साथ-साथ क्रमकांड, वेद ज्ञान, साहित्य, आर्युवेद, हिंदी, संस्कृत, ज्योतिष और व्याकरण का ज्ञान दिया जाता है। जंगल में रहते समय जंगली जानवरों से कैसे खुद की रक्षा करनी है उन्हें यह भी सिखाया जाता है। इस पाठशाला का शुभारंभ दंडी सन्यासी पुरुषोत्तम आश्रम के शिष्य बैजनाथ आश्रम व केवल्या आश्रम के नैतिक मूल्यों पर चल रहा है। वर्ष 2014 में पहली बार शिक्षा मंत्री ने यहां पर अनुदान भी दिया है। उन्होंने कहा कि इस गुरुकुल का विस्तार किया जाना चाहिए। सरकारी मदद के बिना यह संभव नहीं है। इस बारे में मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री को पत्र भी लिखा है। गुरुकुल का विस्तार होगा, तो युवा पीढी सनातन पद्धति को समझ सकेगी और इसका प्रचार प्रसार होगा।  

सीएम मनोहर लाल, केंद्रीय मंत्री रतन लाल कटारिया, पूर्व केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा आदि भी यहां पर आ चुके हैं।

लंबे समय से चल रही है परपंरा

आदिबद्री धार्मिक स्थल के चारों ओर पहाड़ियां है। यहां पर शांति का माहौल है। आदिबद्री में ही सरस्वती नदी का पवित्र उद्गम स्थल, केदारनाथ, बद्रीनाथ व पहाड़ी पर माता मंत्रा देवी का प्राचीन मंदिर हैं। जंगल में वर्ष 1965 में गुरुकुल परंपरा के तहत शिक्षा दंडी स्वामी श्रीकृष्णा आश्रम ने शुरू की। बिना सरकारी मदद के यह गुरुकल युवा में संस्कृति का बीज रोपन का कार्य कर रहा है। आचार्य संस्कृतनंद हरि, आचार्य सरस्वती शर्मा बच्चों को विद्या ग्रहण करवाते हैं। इसमें प्रदेश के अलावा, यूपी, मध्यप्रदेश व उत्तराखंड के बच्चे यहां पर शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं।

नियम हैं बड़े सख्त

गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्र दिन रात जंगल में रहते हैं। जिस भी बच्चे का दाखिला गुरुकुल में होता है पहले उसके मां-बाप को बता दिया जाता है कि न तो बच्चे से वह यहां पर आकर मिल सकते हैं और न ही बच्चे को अपनी इच्छा से घर लेकर जा सकते हैं। केवल गर्मियों की छुट्टियों में ही बच्चे डेढ़ माह के लिए घर जाते हैं। यहां पर जो भी बच्चा गुरुकुल में पढ़ता है। उसको गोसेवा भी करनी पड़ती है।आदिब्रदी की गोशाला में 400 से ज्यादा गोवंश है। शिक्षा के अलावा उनको गोसेवा भी करनी होती है। गाेवंशों के लिए पानी पिलाना, चारा डालना व दूध निकालना भी सिखाया जाता है। हर रोज सूर्य उपासना, हवन क्रिया जरूरी है। शाम के वक्त क्रिया योग ध्यान, आरती भी करनी है। यहां पर वनस्पति महायज्ञ हर साल होता है। इससे बच्चों का वनस्पति के प्रति प्रेम बढ़ता है।

पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी