Haryana Weather News: मानसून अभी और ज्‍यादा होगा सक्रिय, उत्तर भारत में बढ़ेंगी बरसात की गतिविधियां

हरियाणा में मौसम की गतिविधियां अभी और सक्रिय हाेंगी। एक के बाद एक मौसमी सिस्टम बदलेंगे मौसम का मिजाज। बंगाल की खाड़ी में बन रहे एक के बाद एक मौसमी सिस्टम बरसात और अधिक बढ़ाएंगे अच्छी बरसात के लिए इन मौसमी सिस्टम की होती है आवश्यकता।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 23 Jul 2021 05:21 PM (IST) Updated:Fri, 23 Jul 2021 05:21 PM (IST)
Haryana Weather News: मानसून अभी और ज्‍यादा होगा सक्रिय, उत्तर भारत में बढ़ेंगी बरसात की गतिविधियां
हरियाणा में मानसून की सक्रियता बढ़ रही।

करनाल, जागरण संवाददाता। इस समय बंगाल की खाड़ी में बन रहे एक के बाद एक मौसमी सिस्टम से मानसून की सक्रियता को और गति मिलेगी। देश के उत्तरी हिस्सों में मानसून सिर्फ जुलाई और अगस्त महीने में प्रभावी होते हैं, जो मुख्य मानसूनी महीने भी होते हैं।

इसका कारण यह है कि इन भागों में मानसून सबसे अंत में आता है और सबसे पहले विदा लेता है। यह विशेष क्षेत्र समरूप क्षेत्र नहीं है। उदाहरण के लिए, एक तरफ पहाड़ी क्षेत्र है जिसमें जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड शामिल हैं। दूसरी ओर पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के मैदानी भाग हैं और तीसरा क्षेत्र राजस्थान का मरुस्थलीय राज्य है। इस प्रकार, मौसम की स्थिति के संदर्भ में बहुत भिन्नता है। इसके अलावा, उत्तर भारत में बरसात का वितरण एक समान कभी नहीं होता है। यह हर साल देखा जाने वाला पैटर्न है। हर बार मानसून के दौरान अच्छी बरसात अलग-अलग क्षेत्रों में देखने को मिलती है।

इस साल देरी से आया मानसून

इस साल भी मानसून उत्तर भारत में बहुत देर से आया, जो 13 जुलाई तक रुका हुआ था। पहाड़ी इलाकों में 13 जून के आसपास मानसून का आगमन हो चुका था, लेकिन उत्तर भारत के मैदानी इलाकों तक पहुंचने में इसे पूरा एक महीना लग गया। इस देरी के बावजूद प्री मानसूनी मौसम का दौर चलता रहा और अच्छी बरसात देखने को मिली है। इन प्री-मानसूनी बरसात के कारण वर्तमान में, समग्र उत्तर पश्चिम भारत में बरसात के आंकड़ों में समान्य से नौ प्रतिशत की कमी रह गई है। यह कमी मुख्य रूप से पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी राजस्थान और आंशिक रूप से जम्मू-कश्मीर को मिलाकर दर्ज हुई है। हालांकि अन्य सभी भागों ने अच्छा प्रदर्शन किया है।

उत्तर भारत में बरसात के तीन कारणों में से एक मानसून प्रणाली

मौसम विभाग के मुताबिक अब बंगाल की खाड़ी में एक के बाद एक सिस्टम बन रहे हैं, जो इन क्षेत्रों में बरसात को और बढ़ाएंगे। उत्तर भारत में बारिश के तीन कारण हैं, उनमें एक मानसून प्रणाली है। जो खाड़ी में बनती है। जो आमतौर पर मानसून की टर्फ रेखा के साथ खींची जाती है। ये मौसमी सिस्टम जब इन क्षेत्रों में जाती हैं, तो वे कमजोर हो जाती हैं और उत्तर भारत में कुछ अच्छी बरसात के लिए अतिरिक्त मौसमी सिस्टमों की आवश्यकता होती है। ऐसे में पश्चिमी विक्षोभ इन प्रणालियों की सहायता करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप बरसात देखने को मिलती है। हालांकि इस समय पश्चिमी विक्षोभ आमतौर पर कमजोर होते हैं, लेकिन इन क्षेत्रों में अच्छी बारिश के लिए इनकी आवश्यकता होती है।

इस समय क्या स्थिति

वर्तमान समय में एक कम दबाव का क्षेत्र पहले ही बन चुका है। सिस्टम के मध्य भागों में पश्चिम उत्तर-पश्चिम की ओर बढऩे की उम्मीद है और यह पूर्वी राजस्थान तक आ सकता है। जबकि मौसमी सिस्टम कमजोर होंगे, हालांकि पाकिस्तान पर बनने वाले चक्रवती हवाओं के क्षेत्र में कुछ वृद्धि की उम्मीद है जो इस सिस्टम की सहायता करेगा और इसके परिणामस्वरूप क्षेत्र में अच्छी बरसात होगी। उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में 25 जुलाई के आस-पास बरसात होने के आसार है। एक अन्य सिस्टम भी इस महीने के अंत तक इस क्षेत्र में बरसात जारी रखने में मदद कर सकता है। बरसात पूरे क्षेत्र में एक न होकर बारी-बारी से होगी। गर्मी में कमी के मामले में मौसम में पहले ही सुधार हो चुका है और इस आने वाले समय में मौसम खुशनुमा हो सकता है।

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