हरियाणा में मिलावटी शराब प्रकरण में कागजी जंग, एसआइटी और आबकारी विभाग आमने-सामने

प्रदेश में मिलावटी शराब प्रकरण में कागजी जंग तेज हो गई। प्रधान सचिव ने गृह सचिव से पूछा- क्या सीएम की अनुमति के बाद गठित हुई थी एसआइटी और किस एक्ट के तहत। ऐसे में अब एसआइटी और आबकारी विभाग आमने-सामने आ गए।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 05:21 PM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 05:21 PM (IST)
हरियाणा में मिलावटी शराब प्रकरण में कागजी जंग, एसआइटी और आबकारी विभाग आमने-सामने
हरियाणा में मिलावटी शराब से मौत का मामला।

पानीपत/अंबाला, [दीपक बहल]। प्रदेश में मिलावटी शराब पीने से लोगों की मौत के मामले में गठित हुई विशेष जांच दल (एसआइटी) को शराब फैक्ट्री से जुड़े कई अहम सवालों और रिकार्ड देने से आबकारी विभाग ने स्पष्ट इन्कार कर दिया है। आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी ने प्रदेश के गृह सचिव राजीव अरोड़ा को चिट्ठी लिखकर पूछा, विशेष जांच दल (एसआइटी) सीएम से अनुमति के बाद बनी थी क्या और किस एक्ट के तहत।

दरअसल, एसआइटी शराब माफिया के नेटवर्क तक पहुंचने के लिए शराब फैक्ट्री से जुड़े दस्तावेज मांग रही है। किंतु रस्तोगी ने लोगों की मौत किन कारणों से हुई, इसके लिए कौन जिम्मेदार इसकी जांच करने की नसीहत एसआइटी को दे रही है। शराब फैक्ट्री में दखल न करने की बात कहीं गई है। प्रधान सचिव ने कहा एसआइटी के लिए जो जानकारियां जरूरी थी, वह उपलब्ध करवा दी है, बाकी पूछे सवालों का जवाब मुख्यमंत्री की बिना अनुमति नहीं दिया जाएगा। मिलावटी शराब प्रकरण की जांच में कागजी जंग आरंभ हो चुकी है।

बता दें कि पानीपत, सोनीपत और फरीदाबाद में शराब पीने से लोगों की मौत के मामले में प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज ने श्रीकांत जाधव के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया है। इसमें अंबाला रेंज के आइजी वाई पूर्ण कुमार, आइपीएस राजेश दुग्गल, गंगाराम पुनिया और नरेंद्र बिजानिया को टीम में शामिल किया गया था।

सूत्रों के मुताबिक, एसआइटी प्रदेश में फैले शराब माफिया के नेटवर्क पर भी अपनी जांच कर रही है। शराब फैक्टरियों में कितना स्टाक था, वहां पर आबकारी विभाग ने निरीक्षण कब किया और कहीं कमी पाई गई तो क्या कार्रवाई की। आबकारी विभाग के अधिकारी इन्हेंं देने से बच रहे हैं। अब जब भी एसआइटी आबकारी विभाग से रिकार्ड मांगती है तो उन्हेंं स्पष्ट कह दिया जाता है कि राज्य सरकार की अनुमति से ही उपलब्ध करवाया जाएगा। आबकारी विभाग के अधिकारी नहीं चाहते एसआइटी शराब फैक्ट्री से जुड़े बिंदुओं पर जांच कर उन्हीं के अधिकारियों को जांच रिपोर्ट में कटघरे में खड़ा करें। यह स्पष्ट हो चुका है कि एसआइटी अपनी जांच रिपोर्ट में आबकारी विभाग के आला अधिकारियों का लपेटेगी।

एसआइटी ने इन सवालों का मांगा जवाब

एसआइटी ने आबकारी विभाग के अधिकारियों से पूछा कि वर्ष 2018 से 2020 के बीच में शराब की किन फैक्ट्रियों में निरीक्षण किया गया। इस दौरान कितना स्टाक पाया गया और क्या खामियां मिलीं। स्टाक के दस्तावेजों में और मौके पर किए गए निरीक्षण में क्या अंतर पाया गया। बाटलिंग प्लांट में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं या नहीं, पांच बजे के बाद फैक्ट्रियों से शराब तो नहीं निकली। एक्सट्रा न्यूट्रल एल्कोहल (ईएनए) से जुड़े पहलुओं पर सवाल पूछे गए हैं। एसआइटी तीन जिलों में मिलावटी शराब पीने से हुई मौतों का जिम्मेदार कौन है और मिलावटी शराब बनाने में किस-किस विभाग की जिम्मेदारी होती है और किस स्तर पर लापरवाही बरती गई, इन दोनों पहलुओं पर जांच कर रही है। शराब बनाने वाला केमिकल डिस्टिलरी में कितना सप्लाई किया गया, कितना सप्लाई किया जा सकता है और इसका लाइसेंस प्रदेश में कितनों को दिया गया है, इन सवालों पर जवाब तलाश रही है एसआइटी।

नहीं मिला जवाब : रस्तोगी

आबकारी एवं कराधान विभाग के प्रधान सचिव अनुराग रस्तोगी ने कहा कि प्रदेश के गृह सचिव से पत्र भेजकर पूछा गया था कि एसआइटी सीएम की अनुमति से बनी है क्या, लेकिन इसका जवाब एक माह बाद भी नहीं दिया गया।

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