World Blood Donor Day: 140 बार रक्त और 63 बार प्लेटलेट्स दे चुके हरियाणा पुलिस के एसआइ डॉ. अशोक वर्मा
हरियाणा पुलिस के एसआइ डॉ. अशोक रक्तदान कर लोगों की जान बचा रहे हैं। बिना किसी बैनर के 352 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर 40 हजार से अधिक लोगों की मदद कर चुके हैं। विद्यार्थी जीवन की एक घटना ने उन्हें रक्तदानी बना दिया।
करनाल, जेएनएन। विश्व रक्तदाता दिवस पर एक ऐसी घटना का वर्णन जिसने पुलिस जवान को रक्तदान के क्षेत्र में एक नई दिशा प्रदान की जिससे प्रेरित होकर जीवन रक्तदान को समर्पित कर दिया था। हरियाणा पुलिस के उप निरीक्षक डा. अशोक कुमार वर्मा एक ऐसा उदाहरण जो स्वयं 140 बार रक्तदान कर चुके हैं और 63 बार प्लेटलेट्स दे चुके हैं।
इतना ही नहीं वे बिना किसी बैनर के 352 स्वैच्छिक रक्तदान शिविर आयोजित कर 40 हजार से अधिक लोगों की मदद कर चुके हैं। करनाल वासी अशोक कुमार ने पहला रक्तदान शिविर अपने पिता कली राम खिप्पल की पुण्यतिथि पर लगाया था। वर्ष-2020 में उन्होंने 54 रक्तदान शिविर आयोजित किए जबकि 2021 में अब तक 38 रक्तदान शिविर आयोजित कर 1286 रक्त इकाई राजकीय रक्त कोष को दे चुके हैं। पुलिस सेवा के लिए राष्ट्रपति पुलिस पदक से सम्मानित अशोक के नाम एक हजार से अधिक प्रशंसा-पत्र हैं।
डीएवी महाविद्यालय में पहली बार किया रक्तदान
अशोक कुमार ने बताया कि वर्ष-1989 में वे राजकीय महाविद्यालय करनाल के विद्यार्थी थे और एनसीसी कैडेट थे। एक बार उनके एनसीसी अधिकारी ने कहा कि डीएवी महाविद्यालय में रक्तदान शिविर लगा हुआ है और आप वहां जाकर रक्तदान करें। रक्तदान करने पर पिता ने पुनीत कार्य के लिए पीठ थपथपाई और कहा कि बहुत ही अच्छा कार्य किया है। उन्होंने भारतीय सेना में रहते हुए अनेकों बार रक्तदान किया था। उन दिनों लोगों में रक्तदान के प्रति जागरूकता न के बराबर थी तो भी वे किसी भी जरुरतमंद के लिए रक्तदान करते थे। पत्नी सुषमा ने पांच बार रक्तदान किया है जबकि बेटी प्रियंका एवं दिव्या न तीन बार, बेटे अक्षय ने तीन बार, भाई विनोद कुमार 56 बार रक्तदान कर चुके हैं।
352 रक्तदान शिविर के माध्यम से 43785 लोगों की मदद की
डा. अशोक कुमार वर्मा बताते हैं कि वे वर्ष-1999 में पुलिस प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात चुनाव सेवा में नियुक्त थे। तब उनके घर बेटे अक्षय वर्मा ने जन्म लिया और उसे पीलिया हो गया। डा. ने कहा कि इस बच्चे को बचाने के लिए इसका रक्त बदलना होगा तो अशोक ने रक्तदान किया और उनका रक्त ही बच्चे को चढ़ाया गया। उस दिन रक्त के महत्व का अनुभव हुआ और तब से नियमित रक्तदाता बन गए। 352 रक्तदान शिविर के माध्यम से 43785 लोगों की मदद कर चुके हैं।
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