मिलिए उम्‍मीद की किरण से, महिला इंस्‍पेक्‍टर हैं, जीप में राशन रखतीं, बेटियों को फ्री पढ़ाती हैं

पानीपत की इंस्‍पेक्‍टर किरण नैन ने वर्ष 2005 में मां के नाम पर विमला देवी समाज कल्याण समिति के नाम से संगठन बनाया। इसके बाद से जरूरतमंदों की सेवा शुरू कर दी। किरण अब बेटियों के जीवन में शिक्षा का उजियारा कर रहीं। महिला थाना पानीपत की प्रभारी को सेल्यूट।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 21 Jan 2021 05:01 PM (IST) Updated:Thu, 21 Jan 2021 06:43 PM (IST)
मिलिए उम्‍मीद की किरण से, महिला इंस्‍पेक्‍टर हैं, जीप में राशन रखतीं, बेटियों को फ्री पढ़ाती हैं
रक्‍तदान करतीं पानीपत महिला इंस्‍पेक्‍टर किरण नैन।

पानीपत, जेएनएन। इनका नाम किरण नैन है और महिला थाना पानीपत की प्रभारी हैं। पुलिस की नौकरी ज्वाइन करने से पहले वर्ष 2005 में मां विमला देवी के नाम से सामाजिक संगठन बनाया। तीन बेटियों की पढ़ाई का जिम्मा लेकर शुरुआत की थी। अब जरूरतमंद तबके की बेटियों के जीवन में शिक्षा का उजियारा लाने का प्रयास कर रही हैं। वर्ष 2010 से वह दस बेटियों को फीस, कापी-किताब और ड्रैस मुहैया करा रही हैं।

कालेज टाइम से समाजसेवा का जुनून

इंस्पेक्टर किरण नैन ने बताया कि जरूरतमंद समाज के लिए कुछ बेहतर करने का जुनून कालेज समय से ही था। वर्ष 2005 में मां के नाम पर विमला देवी समाज कल्याण समिति के नाम से संगठन बनाया। नौकरी लगी, सरकार से तनख्वाह मिलने लगी तो जरूरतमंद बच्चों को शिक्षा में मदद की संख्या बढ़ा दी। वर्तमान में गांव कामी स्थित ग्रीन वैली स्कूल की तीन, आर्य गर्ल्स पब्लिक स्कूल पानीपत की दो, दयाल सिंह पब्लिक स्कूल के पांच छात्राओं की पढ़ाई का खर्च वहन कर रही हैं।

 

चुनौतियों से जूझते हुए इंस्पेक्टर बनीं

जिला सोनीपत के गांव कामी में सूबे सिंह-विमला देवी के घर में जन्मी किरण सिंह निजी जीवन में भी चुनौतियों से जूझती रही हैं। पिता आर्मी से सेवानिवृत्त और मां गृहणी हैं। 4 पुत्रों के जन्म के बाद चौथी बेटी किरण हुई। पढ़ाई के दौरान स्कूल में होने वाले नाटकों में वे इंस्पेक्टर का रोल करती थी। बीए करते समय शादी हो गई। पति से अनबन के कारण मुश्किल वक्त में मायके पहुंच गईं। एक बेटा भी पैदा हो गया। दो साल तक निजी बैंक में नौकरी की। इसके बाद पुलिस भर्ती के लिए आवेदन किया। बेटा सिजेरियन आपरेशन से हुआ था, अपेंडिक्स सहित दो अन्य आपरेशन हुए। जुनून ऐसा कि लिखित-फिजीकल टेस्ट पास कर 27 सितंबर 2010 को सब इंस्पेक्टर बनीं। पदोन्नति पाकर 2019 में इंस्पेक्टर बनीं। इससे पहले रेलवे पुलिस के लिए भी सलेक्ट हुईं थी, ज्वाइन नहीं किया था।

जीवन को रुकने नहीं दिया

किरण नैन ने जागरण को बताया कि मैंने अपने जीवन को रुकने नहीं दिया। पौधा रोपण में विशेष रुचि है। छह बार रक्तदान कर चुकी हूं। दुर्गा शक्ति एप लांच हुआ तो उसे महिलाओं के मोबाइल फोन में डाउनलोड कराने के लिए रात-दिन एक कर दिया था। महिला थाना प्रभारी होने के नाते पूरा प्रयास रहता है कि पीड़िता की बात तसल्ली से सुनकर उसे न्याय दिलाऊं। एक बेटा है, कक्षा-11 में अध्यनरत है। उसे भी टाइम देने का प्रयास रहता है। मां-पिता के सहयोग से ही सबकुछ संभव हो रहा है।

दो माह की सेलरी पीएम फंड में दी

पुलिस इंस्पेक्टर होने के नाते कोरोना महामारी काल में ड्यूटी का निर्वाह तो कर ही रही हैं। शुरुआती दौर में अपने खर्चे से जरूरतमंदों को भोजन उपलब्ध कराया। अपनी जीप में भोजन के पैकेट रखकर फील्ड में निकलती थी।दो माह की पूरी सेलरी प्रधानमंत्री रिलीफ फंड में दान की। उत्कृष्ट कार्य करने के लिए हरियाणा सरकार और संगठनों के द्वारा सम्मानित भी हो चुकी हैं।

बेटियों से इसलिए खास मोह

मेरा एक बेटा है, शायद इसलिए बेटियों खास माेह है। मेरे पिता सूबे सिंह कहते थे कि बेटियां पढ़ी होंगी तो पढ़ाई के महत्व का पता चलेगा। शिक्षित महिला अपनी बेटियों को स्कूल जरूर भेजेगी। इस तरह घर-घर शिक्षा पहुंच जाएगी। बेटा-बेटी का भेद भी शिक्षा से ही खत्म होगा।

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