हरियाणा की राज्‍यमंत्री कमलेश ने कहा, तीन कृषि कानून वापस लेने का पीएम मोदी का फैसला संवेदनशील

तीन कृषि कानून वापस लेने का प्रधानमंत्री मोदी का फैसलेको राज्‍यमंत्री कमलेश ढांडा ने संवेदनशील बताया है। वहीं तीन नए कृषि कानून वापस लिए जाने के बावजूद किसान संगठन एमएसपी पर अड़ गए हैं। किसान नेताओं का कहना है कि ये बड़ी जीत है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 19 Nov 2021 04:53 PM (IST) Updated:Fri, 19 Nov 2021 04:53 PM (IST)
हरियाणा की राज्‍यमंत्री कमलेश ने कहा, तीन कृषि कानून वापस लेने का पीएम मोदी का फैसला संवेदनशील
महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कमलेश ढांडा।

कैथल, जागरण संवाददाता। महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा गुरु पर्व के अवसर तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के निर्णय को संवेदनशील बताते हुए आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में केंद्र सरकार द्वारा निरंतर किसानों की आर्थिक मजबूती के लिए कदम उठाए गए, जिसके सकारात्मक परिणाम भी हमारे सामने हैं। अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कृषि कानूनों को लेकर किसानों के ऐतराज एवं उनकी भावना का सम्मान करते हुए इन कानूनों को वापस लेने का ऐलान करके बड़ा दिल दिखाया है।

राज्यमंत्री कमलेश ढांडा ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसानों को गुणवत्ता वाला बीज उपलब्ध हो, आपदा में मुआवजा हो या फसलों का उचित मूल्य बिना किसी बाधा के उनके बैंक खाते में पहुंचे। हर बाजार तक किसान की पहुंच सुनिश्चित करना बड़ा बदलाव लाने वाले फैसले रहे हैं।

इधर, माजरा ने कहा, एमएसपी की गारंटी हो

पूर्व मुख्य संसदीय सचिव रामपाल माजरा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व पर सुबह के समय जो फैसला लिया है, वह किसानों के संघर्ष की बड़ी जीत है। करीब साल भर देरी से लिया गया ठीक फैसला है। माजरा अपने निवास पर पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। पूर्व मुख्य संसदीय सचिव ने कहा कि अभी इस घोषणा में तब तक शंका रहेगी, जब तक संसदीय प्रक्रिया के तहत कानून वापस नहीं हो जाते। इस संघर्ष में उन 700 किसानों को नमन करते हैं, जिन्होंने बलिदान दिया है। सरकार इन परिवारों को उचित मुआवजा व सरकारी नौकरी प्रदान करे। साथ ही अब बिजली बिल को वापस लिया जाए। एमएसपी पर कानून सहित तमाम मुद्दों को भी सुलझा लिया जाए ताकि किसानी व किसान खुशहाल हो सके।

माजरा ने कहा कि प्रदेश सरकार को चाहिए कि पंजाब की तर्ज पर पराली जलाने पर दर्ज हुए मुकदमे वापस ले। जब पराली जलाने से प्रदूषण में महज चार प्रतिशत कानून है तो इतनी बड़ी सजा किसानों को देना ठीक नहीं। माजरा ने कहा कि हरियाणा में सरकार ने ट्यूबवेल कनेकशन को एक तरह से असंभव बना दिया है। सारे खंभे, मीटर, ट्रांसफार्मर सहित तमाम खर्च देने के बावजूद 85000 कनेक्शन लंबित हैं। प्रदेश में आनलाइन सेवाओं के बावजूद भ्रष्टाचार चरम सीमा पर है। सीएम के सिंचाई विभाग में तो पुल कम खर्च में और पीडब्ल्यूडी में भ्रष्टाचार के तहत पुल कई गुणा ज्यादा कीमतों पर बन रहे हैं। माजरा ने कहा कि प्रदेश में नौकरियां सरेआम बिक रही हैं। जिसका सुबूत है कि हरियाणा लोक सेवा आयोग का एचसीएस अधिकारी एक करोड़ रुपये रिश्वत लेते हुए पकड़ा गया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता खत्म करना असंवैधानिक फैसला है।

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