गेहूं की इन तीन किस्‍मों से समृद्ध होंगे हरियाणा के किसान, पोषक तत्‍व भी भरपूर

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने की पत्रकारों से बातचीत की। उन्‍होंने कहा-डीबीडब्ल्यू-296 डीबीडब्ल्यू-327 व डीबीडब्ल्यू-332 मैदानी क्षेत्रों हरियाणा पंजाब पश्चिमी उत्तर प्रदेश पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए उत्तम पहाड़ी क्षेत्रों उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर में भी आए अच्छे परिणाम।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 05:43 PM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 05:43 PM (IST)
गेहूं की इन तीन किस्‍मों से समृद्ध होंगे हरियाणा के किसान, पोषक तत्‍व भी भरपूर
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक ने जानकारी दी।

करनाल, जागरण संवाददाता। भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (डीडब्ल्यूआर) ने गेहूं की तीन नई किस्में डीबीडब्ल्यू-296, डीबीडब्ल्यू-327 व डीबीडब्ल्यू-332 रिलीज की हैं। मैदानी क्षेत्रों में विशेषकर हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, के लिए यह वैरायटी उत्तम मानी गई हैं। पहाड़ी क्षेत्रों उत्तराखंड व जम्मू-कश्मीर में भी इस किस्म के अच्छे परिणाम सामने आए हैं। खास बात यह है कि तीनों ही किस्में विशेषकर पीला रतुआ रोधी हैं। इनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है। इसलिए किसानों को इन किस्मों को बीमारियों से बचाव के लिए पेस्टीसाइड पर खर्च भी नहीं करना पड़ेगा। यह जानकारी संस्थान के निदेशक डा. जीपी सिंह व फसल प्रमुख अनुवेषक फसल सुधार डा. ज्ञानेंद्र सिंह व डा. अनुज कुमार ने पत्रकारों से बातचीत में दी।

निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने बताया कि देशभर में गेहूं रिकार्ड उत्पादन 109.52 मीलियन टन हुआ है। अभी आंकड़े आने बाकी है, उम्मीद है कि यह आंकड़ा 110 मीलियन टन तक जा सकता है। इसके अलावा जौ की डीडब्ल्यूआरबी-137 किस्म को भी रिलीज किया गया। जो हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के लिए अनुमोदित की गई है।

यह हैं नई रिलीज की गई वैरायटियों की खासियत

1. डीबीडब्ल्यू-296

- गर्मी को सहन करने की क्षमता। कई बार तापमान अधिक चला जाता है तो ऐसी स्थिति में यह प्रजाति सहनशील है। बिस्कुट बनाने के लिए यह क्वालिटी बहुत अच्छी मानी गई है। विशेष बात यह भी है कि यह कम पानी में भी अच्छी पैदावार दे सकती है। इसका औसत उत्पादन प्रति हैक्टेयर 56.1 क्विंटल से 83.3 क्विंटल तक है।

2. डीबीडब्ल्यू-332

- रोग प्रतिरोधक क्षमता बहुत अच्छी है। इसमें प्रोटीन की मात्रा 12.2 पीपीएम तक है। आयरन की मात्रा भी 39.9 पीपीएम तक है, जो बहुत ही अच्छा माना जाता है। इसका प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन 78.3 क्विंटल से लेकर 83 क्विंटल तक आंका गया है। उत्पादन क्षेत्र के वातावरण की परिस्थितियों पर भी निर्भर करता है।

3. डीबीडब्ल्यू-327

- यह किस्म चपाती के लिए बहुत अच्छी मानी गई है। पोषक तत्वों से भरपूर इस किस्म में आयरन की मात्रा 39.4 पीपीएम तथा जिंक की मात्रा 40.6 पीपीएम है। इस किस्म में भी रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। विशेषक पीला रतुआ रोधी किस्म मानी गई है। इसका औसत उत्पादन प्रति हैक्टेयर 79.4 क्विंटल से लेकर 87.7 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक चला जाता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों की जांच कर ही रिलीज होती है किस्में

भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डा. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि हमारे यहां गेहूं या जौ की किस्मों को रिलीज करने से पहले प्रयोगशाला में जो अध्ययन किया जाता है वह अंतरराष्ट्रीय स्तर के मानकों को ध्यान रखकर होता है। आधुनिक लैब में गेहूं या जौ की वैरायटी की टेस्टिंग पूरी होने के बाद ही उसे अनुमोदन के लिए प्रस्तावित किया जाता है। 23 व 24 अगस्त को हुई कार्यशाला में 300 देश से ज्यादा व विदेश से 100 से ज्यादा विज्ञानियों ने हिस्सा लिया था। जिसमें भारत के साथ-साथ नेपाल, भुटान, बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, आस्ट्रेलिया, मैक्सिको आदि देशों ने हिस्सा लिया था। हम 9 किस्मों का अनुमोदन कराने में सफल हुए हैं।

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