कृषि विभाग की लापरवाही से हरियाणा के पशुपालक को चुकाना पड़ रहा बड़ा खामियाजा, जानिए क्यों
हरियाणा कृषि विभाग की लापरवाही के चलते पशुपालक परेशान हैं। कैथल में करीब दो लाख 10 हजार पशुपालक हैं। अब कृषि विभाग की ओर से पशुओं का बीमा होने से बड़ा खामियाजा चुकाना पड़ रहा है। सात महीने से नहीं बन रहे पशुओं के बीमे।
कैथल, जागरण संवाददाता। पिछले सात महीने से पशुपालन विभाग की तरफ से पशुओं के बीमे नहीं बन रहे हैं। इससे दो लाख 10 हजार पशुपालक परेशान हो गए हैं। बता दें कि 2016 में प्रदेश सरकार की तरफ से पशुपालकों के लिए पशुधन की आकस्मिक मृत्यु से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए पशु बीमा योजना की शुरूआत की थी। लेकिन मार्च के महीने के बाद किसी पशु पालक का बीमा नहीं बना है। इससे पशुपालक परेशान हो चुके है। पशुपालकों ने पशुओं के जल्द से जल्द बीमे बनवाने की मांग की है, ताकि पशु की अचानक मृत्यु होने पर पशुपालक जोखिम मुक्त हो सकें।
100 रुपये के प्रीमियम में एक साल का बनता था बीमा
बता दें कि विभाग की तरफ से 100 रुपये का प्रीमियम भरकर एक साल तक पशुपालक का बीमा बनाया जाता था। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए ये योजना पूरी तरह से निशुल्क है। पशु की अचानक आकस्मिक मौत होने पर भैंस का 60 हजार रुपये मुआवजा दिया जाता है। गाय का 40 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। पशु को करंट, नहर में डूबने, बाढ़ व आग लगने आदि किसी भी कारण से दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसे पशुधन का पूरा बीमा दिया जाता है।
तीन लाख 73 हजार है पशु
कैथल जिले में पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार तीन लाख 73 हजार पशुओं की संख्या है। इनमें भैंस, गाय, भेड़, बकरी, घोड़ा इत्यादि पशु है। पिछले वर्ष एक लाख 70 हजार के करीब पशुपालकों ने बीमा करवाया था। योजना शुरू होने पर पशुपालकों का रुझान कम था, लेकिन धीरे- धीरे रूझान बीमा की तरफ बढ़ा था।
टेंडर बनी मुख्य समस्या
बीमा न होने की मुख्य समस्या कंपनी का टेंडर बना हुआ है। इससे पशुओं का बीमा नहीं बन रहा है। विभाग की तरफ से जल्द टेंडर होने के बाद बीमा बनने की पशुपालकों को उम्मीद है।
उच्चधिकारियों के सज्ञान में है मामला: डा. सुरेंद्र
उच्चाधिकारियों को समस्या के बारे में अवगत करवाया हुआ है। जल्द पशुओं के बीमे दोबारा से शुरू होने का अनुमान है।
सुरेंद्र, नोडल अधिकारी पशुपालन विभाग , कैथल