जल में जहर घोल रहे यमुनानगर के ये वाशिंग सेंटर, हो सकती हैं कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं

यमुनानगर में धरती के पानी में लगातार जहर घुल रहा है। कार और बाइक वाशिंग सेंटर का केमिकल युक्त नालियों में बिना ट्रीट किए छोड़ा जा रहा है। यह जमीन मं रिसता है। इससे भूजल प्रदूषित होता है। इससे बाल आंख त्वचा और सांस की बीमारियां भी फैलती हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Tue, 13 Apr 2021 03:44 PM (IST) Updated:Tue, 13 Apr 2021 03:44 PM (IST)
जल में जहर घोल रहे यमुनानगर के ये वाशिंग सेंटर, हो सकती हैं कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं
केमिकल युक्त पानी का जमीन में रिसाव होने से भूजल को प्रदूषित कर रहा है।

यमुनानगर, जेएनएन। शहर व ग्रामीण क्षेत्र में धड़ाधड़ खुल रहे बाइक, कार वाशिंग सेंटर लोगों की जान पर खतरा बनने को आमादा हैं। वाशिंग व सर्विस सेंटरों में गाड़ियों को धोने के बाद गंदा पानी बिना ट्रीटमेंट के नालियों में बहाया जा रहा है। केमिकल युक्त पानी का जमीन में रिसाव होने से भूजल को प्रदूषित कर रहा है।

बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए एनजीटी ने इसे नियंत्रित करने के लिए मानक तय कर रखे हैं। फिर भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड इन मानकों को लेकर गंभीरता नहीं दिखा रहा। वाशिंग सेंटर चलाने वालों को कायदे से प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से एनओसी लेनी चाहिए। लेकिन एनओसी की छोड़िये विभागों को तो यह भी पता नहीं कि शहर में किस जगह पर कितने वाशिंग, सर्विस सेंटरों पर वाहनों की धुलाई काम हो रहा है।

धीरे-धीरे असर करता है पेट्राे केमिकल

गाड़ियों की साफ-सफाई के लिए पेट्रोल, डीजल व मिट्टी के तेल से धुलाई की जाती है। इस दौरान ऑयल, ग्रीस और कार्बन बाहर आते हैं। पेट्रो केमिकल और कार्बन पार्टिकल्स जब भूमि पर गिरते हैं तो मिट्टी में मिल जाते हैं। ये बहते हुए नालियों में पहुंच कर पानी को गंदा कर देते हैं। नियमानुसार आबादी वाले इलाकों में धुलाई सेंटर, सर्विस सेंटर संचालित नहीं होने चाहिए। पेट्रो केमिकल्स के पॉल्यूशन से एक निश्चित समय बाद बाल, आंख, त्वचा और सांस की बीमारियां भी फैलती हैं। धुलाई के साथ निकले कचरे से भूमिगत जल और जलाशयों का पानी प्रदूषित होता है। गंदे पानी के जमा होने से कुआं, ट्यूबवेल और हैंडपंप का पानी प्रभावित होता है।

किसी सेंटर पर इंतजाम नहीं : अजय गुप्ता

पर्यावरणविद् डा. अजय गुप्ता का कहना है कि शहर क्या ग्रामीण क्षेत्र में किसी भी धुलाई सेंटर पर गंदे पानी के ट्रीटमेंट का इंतजाम नहीं है। पानी का प्रदूषण बढ़ने से तमाम समस्याएं खड़ी हो रही हैं। एक तरफ बीमारियों की रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं। तो दूसरी तरफ ऐसे प्रदूषण फैलाया जा रहा है। इसकी नियमित जांच होनी चाहिए।

वाटर ट्रीटमेंट यूनिट जरूरी

वाशिंग सेंटरों को वाटर ट्रीटमेंट यूनिट लगाना जरूरी है ताकि प्रदूषण को रोका जा सके। वाटर ट्रीटमेंट यूनिट से पानी से आयल व ग्रीस आदि अलग हो जाते हैं। जिस तरह से मेडिकल वेस्ट का विशेष प्रकार के निस्तारण किया जाता है, उसी तरह से ऐसे वेस्ट का भी निस्तारण किया जाता है। एक कार की वाशिंग पर 150 से 250 लीटर पानी प्रयोग होता है।

डाटा जुटा रहे हैं : निर्मल कश्यप

प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी निर्मल कश्यप ने बताया कि वाशिंग सेंटरों का डाटा तैयार किया जा रहा है। जल्द ही इनकी जांच कर नोटिस दिया जाएगा।

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