Green Hydrogen: विश्व को प्रदूषण से बड़ी राहत दे सकती है ग्रीन हाइड्रोजन, जाने कैसे होती है तैयार

विश्व भर में डीजल और पेट्रोल इंजनों से निकलने वाले प्रदूषण पर ग्रीन हाइड्रोजन सबसे बड़ा वार है। 3.78 लीटर डीजल से 10 किलोग्राम और एक लीटर पेट्रोल से ही 2.3 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड निकलती है। इसके साथ कई अन्य हानीकारक गैसें भी पर्यावरण में मिलती हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 03:51 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 03:51 PM (IST)
Green Hydrogen: विश्व को प्रदूषण से बड़ी राहत दे सकती है ग्रीन हाइड्रोजन, जाने कैसे होती है तैयार
बढ़ते प्रदूषण पर सबसे बड़ा वार है ग्रीन हाइड्रोजन।

कुरुक्षेत्र, [विनोद चौधरी]। अब डीजल और पेट्रोल पर चलकर पर्यावरण में जहरीली गैसें घोलने वाले इंजन के पहिए भी ग्रीन हाइड्रोजन से घूम सकेंगे। इन इंजन के ग्रीन हाइड्रोजन पर चलने से इन्हें चलाने के खर्च में कई गुणा की कमी आएगी और प्रदूषण भी शून्य रहेगा। भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन को ही सबसे ऊर्जा का सबसे बेहतर विकल्प मानते हुए वैज्ञानिकों ने इस पर काम शुरू कर दिया है। राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा हासिल कुरुक्षेत्र के राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के डा. रजनीश ने एक डीजल इंजन को हाइड्रोजन को चलाकर अपनी इस सोच को मंजिल तक भी पहुंचा दिया है।

इतना ही नहीं उन्होंने इसके लिए एक प्रोजेक्ट तैयार कर डिपार्टमेंट और साइंस एंड टेक्नोलाजी को भी भेजा है। विभाग को प्रोजेक्ट मिलने के कई विशेषज्ञों ने एनआईटी का दौरा इस प्रोजेक्ट के बारे में अच्छी तरह समझते हुए ग्रीन हाइड्रोजन को इंजन के चलाए जाने का निरीक्षण भी किया है।

बढ़ते प्रदूषण पर सबसे बड़ा वार है ग्रीन हाइड्रोजन

विश्व भर में डीजल और पेट्रोल इंजनों से निकलने वाले प्रदूषण पर ग्रीन हाइड्रोजन सबसे बड़ा वार है। 3.78 लीटर डीजल से 10 किलोग्राम और एक लीटर पेट्रोल से ही 2.3 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड निकलती है। इसके साथ कई अन्य हानीकारक गैसें भी पर्यावरण में मिलती हैं। यही जहरीली गैसें सांस के साथ मनुष्य के शरीर में पहुंच कई तरह की गंभीर बीमारियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ पूरे पर्यावरण पर विपरीत प्रभाव डालती हैं।

छह करोड़ 17 लाख में लगाया जा सकता है प्रोजेक्ट

एनआईटी के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के शिक्षक डा. रजनीश ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने और इसे सिलेंडर में भरने के लिए एक छोटा प्लांट छह करोड़ 17 लाख रुपये में तैयार हो सकता है। इसके लिए पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर उन्होंने 29 जुलाई को डिपार्टमेंट आफ साइंस एंड टेक्नोलाजी को भेज दिया है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से एक घंटे में 4000 लीटर ग्रीन हाइड्रोजन तैयार हो सकेगी और एक इंजन को 96 घंटे तक चला सकती है। उन्होंने इस प्रोजेक्ट में छह माह काम किया है। फिलहाल उन्होंने एक सिलेंडर डीजल इंजन को ग्रीन हाइड्रोजन पर चलने का एक्सपेरिमेंट किया है। मल्टी सिलेंडर इंजन को चलाने के लिए अभी इस ओर और काम किया जाना है।

कैसे तैयार होगी ग्रीन हाइड्रोजन

डा. रजनीश ने बताया कि ग्रीन हाइड्रोजन तैयार करने के लिए हम सबसे पहले सौर ऊर्जा से बिजली बनाएंगे। इसके बाद बिजली और पानी से ग्रीन हाइड्रोजन तैयार की जाएगी। इसे सामान्य शर्त पर तैयार कर उच्च दबाव पर सिलेंडर में भरा जाएगा।

डीआरडीओ की टीम ने किया दौरा

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की टीम ने एनआइटी परिसर का दौरा कर ग्रीन हाइड्रोजन से डीजल इंजन चलाए जाने की विधि का निरीक्षण किया है। इस टीम में डीआरडीओ के पूर्व निदेशक जेसी कपूर और डा. प्रसुन्न राय शामिल रहे। इसके अलावा रिन्यूएबल एनर्जी प्रोमोटिंग एसोसिएशन के चेयरमैन प्रो. एजी अय्यर ने भी एनआइटी परिसर का दौरा किया है।

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