कैथल के सिविल अस्पताल में 100 बेडों का पोर्टेबल अस्पताल बनकर होगा तैयार, चेन्नई से पहुंचा सामान

हरियाणा के कैथल में सौ बेड का पोर्टेबल अस्‍पताल तैयार किया जाएगा। अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन की तरफ से अस्पताल निर्माण को लेकर जारी हुआ है अढ़ाई करोड़ का फंड। पीएसए आक्सीजन प्लांट से मिलेगी एक हजार प्रति मिनट आक्सीज।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 05:03 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 05:03 PM (IST)
कैथल के सिविल अस्पताल में 100 बेडों का पोर्टेबल अस्पताल बनकर होगा तैयार, चेन्नई से पहुंचा सामान
कैथल में सौ बेड का पोर्टेबल अस्‍पताल।

कैथल, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी की तीसरी लहर को देखते हुए जिला नागरिक अस्पताल में 100 बेडों का पोर्टेबल अस्पताल बनकर तैयार होगा। शनिवार को चेन्नई से सामान पहुंच गया है। इसमें 10 वेंटिलेटर बेड भी शामिल हैं। 15 अगस्त से पहले यह अस्पताल बनकर तैयार हो जाएगा। हरियाणा प्रदेश का यह पहला पोर्टेबल अस्पताल होगा, जिसमें सभी सुविधाएं मिलेगी।

अस्पताल को लेकर शनिवार को डीसी प्रदीप दहिया ने अस्पताल का दौरा किया। बिजली निगम, लोक निर्माण विभाग व स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से इस बारे में बातचीत कर जानकारी जुटाई। कैथल के बाद पलवल में इस तरह का अस्पताल 50 बेडों का बनेगा। पहले कैथल में तैयार होगा, फिर पलवल में बनेगा। इस अस्पताल को लेकर अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन की तरफ से अढ़ाई करोड़ का फंड जारी किया है।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (आइआइटी मद्रास) की तरफ से यह अस्पताल तीन सप्ताह में बनकर तैयार हो जाएगा। इस अस्पताल में एक निक्कू वार्ड भी बनाया जाएगा। अगर कोरोना महामारी की तीसरी लहर नहीं आती है तो इसे कैंसर व निक्कू वार्ड बनाकर यहां इलाज किया जा सकेगा। सीएमजीजीए पांखुरी गुप्ता ने बताया कि अमेरिकन इंडियन फाउंडेशन की तरफ से सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पान्सिबिलिटी) के तहत तैयार किया जाएगा।

पीएसए आक्सीजन प्लांट से मिलेगी एक हजार प्रति मिनट आक्सीजन

सिविल अस्पताल में पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्साप्र्शन) आक्सीजन प्लांट लगाया जा चुका है। जल्द ही इस प्लांट में आक्सीजन बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, जिससे जिला में आक्सीजन की कोई भी कमी नहीं रहेगी। डीसी ने शनिवार को पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्साप्र्शन) आक्सीजन प्लांट का निरीक्षण और पोर्टेबल अस्पताल को स्थापित करने की प्रक्रिया का निरीक्षण किया। डीसी ने बताया कि आक्सीजन प्लांट में एक हजार लीटर प्रति मिनट आक्सीजन की उपलब्धता होगी। प्लांट में प्रेशर स्विंग ऐड्साप्र्शन (पीएसए) टेक्नोलाजी का इस्तेमाल किया जाता है। यह इस सिद्धांत पर काम करता है कि उच्च दबाव में गैस सॉलिड सरफेस की तरफ आकर्षित हो। पीएसए (प्रेशर स्विंग ऐड्साप्र्शन) प्लांट में हवा से ही आक्सीजन बनाने की अनूठी तकनीक होती है। इसमें एक चैंबर में कुछ सोखने वाले रासायनिक तत्व डालकर उसमें हवा को गुजारा जाता है। इसके बाद हवा का नाइट्रोजन सोखने वाले तत्वों से चिपककर अलग हो जाता है और आक्सीजन बाहर निकल जाती है। इस तरह आक्सीजन की अस्पतालों को आपूर्ति की जाती है। इसके लिए दबाव काफी उच्च रखना होता है।

उमंग पोस्ट कोविड केयर सेंटर का भी डीसी ने किया निरीक्षण

यहां का निरीक्षण करने के बाद डीसी ने उमंग पोस्ट कोविड केयर सेंटर का दौरा किया और कोरोना से ठीक हो चुके व्यक्तियों को दी जाने वाली स्वास्थ्य सेवाओं की फीड बैक ली। उन्होंने कहा कि कोरोना से ठीक होने के बाद व्यक्तियों को स्वास्थ्य से संबंधित कुछ दिक्कतें आती हैं तो उनके लिए उमंग पोस्ट कोविड केयर सेंटर बनाया गया है, जहां पर संबंधित व्यक्तियों को स्वास्थ्य सेवाएं दी जाती है। अब तक लगभग 200 व्यक्तियों को इस केंद्र के माध्यम से स्वास्थ्य सेवाएं दी जा चुकी है। इस दौरान आउटसोर्सिंग पर लगे कर्मचारियों ने भी डीसी से अपनी समस्या रखी। कहा कि तीन माह से न तो मानदेय नहीं मिल रहा है। महंगाई के इस दौर में घर परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है। डीसी ने कर्मचारियों को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया।

chat bot
आपका साथी