पानीपत में प्रापर्टी टैक्‍स का चल रहा गजब सेंसेक्‍स, गोल्‍डन वालों ने जमा कराए 28 लाख

पानीपत में प्रापर्टी टैक्‍स के मामले में फंस गए थे गोल्‍डन वाले। एक बार पैमाइश हुई। टैक्‍स कम बना। दोबारा पैमाइश में तीन गुना बना। कंपनी ने जमा करा दिए सारे रुपये। घोटाला करने का लग रहा था आरोप। चल रही है जांच।

By Edited By: Publish:Tue, 26 Jan 2021 05:58 AM (IST) Updated:Tue, 26 Jan 2021 12:25 PM (IST)
पानीपत में प्रापर्टी टैक्‍स का चल रहा गजब सेंसेक्‍स, गोल्‍डन वालों ने जमा कराए 28 लाख
पानीपत में चल रहा प्रापर्टी टैक्‍स घोटाले का मामला।

पानीपत, जेएनएन - सेंसेक्‍स के बारे में तो आपको मालूम ही होगा। बाजार चढ़ता है, घटता है ‍  फिर बढ़ता है। पानीपत में प्रापर्टी टैक्‍स में इन दिनों यही खेल हो रहा है। घोटाले की आंच हो या फिर सामान्‍य जांच  प्रक्रिया, सवाल तो उठ ही रहे हैं। शहर की बड़ी टेक्‍सटाइल फर्मों में शामिल गोल्‍डन टेक्‍सटाइल प्रापर्टी टैक्‍स के सेंसेक्‍स के जाल में जरूर उलझ गई। पहले साढ़े सात लाख का बिल बना। 1700 गज की जगह का इतना कम टैक्‍स, जब ये सवाल उठा तो निगम ने सीधे छलांग लगाई 70 लाख की। इतना बड़े बिल पर सवाल उठे तो बिल बनाया साढ़े पैंतीस लाख। मामला उलझता देख गोल्‍डन वालों ने साढ़े पैंतीस लाख जमा करा दिए हैं। इसी के साथ गोल्‍डन से जुड़ा प्रापर्टी टैक्‍स विवाद खत्‍म होता दिख रहा है। 

यह सामान्‍य प्रक्रिया है 

वहीं नगर निगम की संयुक्त कमिश्नर अनुपमा मलिक ने जागरण से बातचीत में कहा कि गड़बड़ी का पता चलने का दोबारा पैमाइश और रीकैलकुलेशन कराते हैं। उसी प्रक्रिया से गोल्डन वालों पर टैक्स बढ़ा है। इस तरह की शहर में और भी प्रापर्टी हैं। आम लोगों को चाहिए कि अपना टैक्स रिकार्ड में खुद ठीक कराएं। 

मालिक ने कहा, हमने जमा करा दिए रुपये 

दरअसल, पिछले कुछ दिनों से शहर में चर्चा थी कि होटल मिड टाउन के नजदीक स्थित गोल्डन टेक्सटाइल का प्रापर्टी टैक्स कम करने की एवज में एजेंटों ने मिलीभगत की। कमीशन लिया। गोल्डन वालों की 1700 गज जगह है। पहली बार वेबसाइट पर बिल साढ़े सात लाख डाला गया। कंपनी ने इस बिल को भर दिया। बिल कम होने पर सवाल उठे तो नगर निगम ने 70 लाख का बिल बना दिया। आखिरकार पैमाइश, कैलकुलेशन और रिबेट के आधार पर कुल बिल साढ़े पैंतीस लाख बना। वेद चुघ ने बताया कि उन्होंने 28 लाख का चेक जमा करा दिया है। अब रिकार्ड चेक कराएंगे। अगर उन्होंने ज्यादा रकम जमा कराई है तो निगम से वापस ले लेंगे। अगर अब भी टैक्स कम है तो और जमा करा देंगे। 

लगातार उठ रहे थे सवाल 

1- 1700 गज का पहले प्रापर्टी टैक्स 7.5 लाख बनाया। गोल्डन वालों ने ये बिल जमा भी करा दिया।  2- सवाल उठा कि एजेंटों ने बीच में आकर बिल कम बनवा दिया है। इस पर जेई से दोबारा पैमाइश कराई गई  3- इस बार बिल 70 लाख का बनाकर भेज दिया, इससे गोल्डन वालों के होश उड़ गए, रिकार्ड चेक कराने की मांग की  4- आखिरकार रिबेट सहित बिल करीब साढ़े पैंतीस लाख का हुआ। 7.5 लाख पहले दे चुके थे। 28 लाख सोमवार को दे दिए। 

इसलिए बिल गलत बना 

संयुक्त कमिश्नर अनुपमा मलिक ने बताया कि एक हजार गज से अधिक प्रापर्टी होने पर कामर्शियल के आधार पर बिल बनता है। इनकी पूरी प्रापर्टी पहले कामर्शियल नहीं मानी गई थी। इस वजह से बिल कम बना था। इस तरह की शहर में और भी प्रापर्टी हैं। सभी की जांच कर रहे हैं।

अब तलाश कर रहे हैं, कहां है एजेंट 

दिलचस्‍प ये है कि अब उस एजेंट की तलाश की जा रही है, जिसका इस पूरे प्रकरण में नाम लिया जा रहा था। बताया जा रहा है कि उसने अपना फोन बंद कर लिया है। 

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