ब्रह्मसरोवर के घाटों पर दिखी भारतीय संस्कृति की झलक, महाआरती में धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र का गुणगान

Gita Jayanti Mahotsav 2021 गीता जयंती महोत्‍सव में मंगलवार को हरियाणा योग आयोग के चेयरमैन सांध्यकालीन महाआरती में रहे मुख्यातिथि। गीता मनीषी संतों की नाराजगी के सवाल पर बोले उनमें नहीं कोई नाराजगी। 12 को ब्रह्मसरोवर पर देशभर के संत पहुंचेंगे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 11:09 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 11:09 PM (IST)
ब्रह्मसरोवर के घाटों पर दिखी भारतीय संस्कृति की झलक, महाआरती में धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र का गुणगान
ब्रह्मसरोवर के घाट पर आरती करते पुजारी।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव (आइजीएम) में पवित्र ब्रह्मसरोवर के पावन तटों पर भारतीय संस्कृति की महक को दूर-दूर तक महसूस की जा रही है। एक तरफ जहां शिल्पकार अपनी शिल्पकला से पर्यटकों को मोहित कर रहे हैं, वहीं विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकार पर्यटकों का खूब मनोरंजन कर रहे हैं। शिल्प और सरस मेले का मंगलवार को छठा दिन रहा। पंजाब, हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर सहित विभिन्न प्रदेशों के लोक कलाकारों ने सुबह ही मनोरंजन के लिए घाटों को सजा दिया। उत्तरी तट पर राजस्थानी लोक कलाकार कच्ची घोड़ी नृत्य की प्रस्तुति ने पर्यटकों को नृत्य करने के लिए मजबूर कर दिया। उत्तर पश्चिमी तट पर बीन-बांसुरी की धुन पर पर्यटक मंत्रमुग्ध हो गए।

पवित्र ग्रंथ गीता एक पुस्तक नहीं जीवन का एक जीता जागता दर्शन : जयदीप

मंगलवार को महाआरती में हरियाणा योग आयोग के चेयरमैन जयदीप आर्य मुख्यातिथि रहे। उन्हाेंने केडीबी के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा, जिला परिषद के पूर्व चेयरमैन गुरदयाल सुनहेड़ी, अनिल कुलश्रेष्ठ, अशोक रोसा, डीजीपी की धर्मपत्नी, एडीजीपी की धर्मपत्नी सहित विद्या भारती, आर्य समाज, योग आयोग, पूर्व छात्र परिषद के सदस्यों के साथ महाआरती और पूजा-अर्चना की। पंडित बलराम गौतम, पंडित सोमनाथ शर्मा, गोपाल कृष्ण गौतम, अनिल व रुद्र ने महाआरती का गुणमान किया। जयदीप आर्य ने कहा कि गीता शक्ति का प्रतीक है, गीता अध्यात्म और शांति का रास्ता है। सदियों वर्ष पूर्व भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश दिया था। इन उपदेशों को आज भी अपने जीवन में शामिल करने की जरूरत है। गीता ग्रंथ नहीं बल्कि जीवन का जीता जागता दर्शन है। कुरुक्षेत्र को महाभारत की भूमि कहा जाता था, लेकिन इसे अब भगवद्गीता की भूमि कहा जाने लगा है।

गीता मनीषी बोले सभी संतों को दिया जा रहा न्याैता

गीता मनीषी ज्ञानानंद महाराज ने शहर के कुछ संतों की अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव का निमंत्रण न मिलने पर नाराजगी की बात को विराम लगा दिया। उन्होंने मंगलवार को गीता ज्ञान संस्थानम् में पत्रकारों के साथ बातचीत करते हुए कहा कि संत सम्मेलन 12 दिसंबर को ब्रह्मसरोवर के पुरुषोत्तमपुरा बाग में किया जाएगा। इसमें देशभर के नामी संत पहुंचेंगे। मुस्लिम समाज से मोलाना काको गीता के मानवतावादी सोच पर अपने विचार रखेंगे। महोत्सव के लिए संतों को निमंत्रण दिया गया है। स्थानीय संतों को भी निमंत्रण दिया जा रहा है। संतों में नाराजगी जैसा कोई विषय नहीं है।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति नौ को शुरू

हरियाणा कला परिषद के निदेशक संजय भसीन ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव में कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग और हरियाणा कला परिषद पुरुषोत्तमपुरा बाग के मुख्य मंच पर नौ से 14 दिसंबर तक मुख्य सांस्कृतिक कार्यक्रम करेगा। लोकगायिका पद्मश्री मालिनी अवस्थी की मधुर गायकी से इसका आगाज होगा। जिसमें कृष्ण और राधा के भक्ति गीतों को प्रस्तुत किया जाएगा। 10 दिसंबर को बाबा सत्यनारायण मौर्य देशभक्ति गीतों के साथ चित्रधारा कार्यक्रम की प्रस्तुति देंगे। 11 दिसंबर को महाराष्ट्र से पद्मश्री व सुविख्यात कलाकार शेखर सेन सूरदास नाटक का मंचन करेंगे। शेखर सेन की संगीतमय एकल प्रस्तुति महोत्सव में चार चांद लगाने वाली होगी। 12 दिसंबर हरियाणा के नाम रहेगा। जिसमें हरियाणा के स्टार एवं मुख्यमंत्री के ओएसडी गजेंद्र फौगाट और लोकगायक महाबीर गुड्डू अपनी प्रस्तुति देंगे। 13 दिसंबर को बाबा चित्र-विचित्र भजन संध्या की प्रस्तुति देंगे। 14 दिसंबर को कवि सम्मेलन किया जाएगा।

पहली बार ट्रांसजेंडर देंगे प्रस्तुति

महोत्सव में इस बार ट्रांसजेंडर भी अपनी प्रस्तुति देंगे। देविका मंगलामुखी के निर्देशन में 10 दिसंबर को मुख्य मंच पर दिन के समय शिखंडी पर आधारित सांस्कृतिक प्रस्तुति दी जाएगी। ट्रांसजेंडर को पहली बार गीता महोत्सव में मंच दिया जा रहा है। इनके अलावा प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग विद्या से जुड़े कलाकार भी मुख्य मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाएंगे। नौ व 13 दिसम्बर को उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, पटियाला के मंच पर उत्तर-पूर्व व दक्षिण भारत से आए कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे। 11 दिसंबर को कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रम कराए जाएंगे। 12 व 14 दिसंबर को कला एवं सांस्कृतिक कार्य विभाग के कलाकार अपनी प्रस्तुति देंगे।

बांग्लादेश, अफ्रीका, सिक्किम, नेपाल, भूटान के कलाकार भी पहुचेंगे प्रस्तुति

मुख्य मंच पर दिन के समय तीन दिन आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में विदेशी कलाकारों को भी आमंत्रित किया गया है। महोत्सव में बांग्लादेश, अफ्रीका, सिक्किम, नेपाल, भूटान सहित सात देशों के कलाकार अपने देश की संस्कृति की झलक दिखाएंगे।

chat bot
आपका साथी