अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी की सौगात, जींद रियासत की राजकुमारी से हुई थी राजा महेंद्र की शादी

उत्‍तर प्रदेश के अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी की सौगात मिली। वहीं जींद के राज परिवार ने इसके लिए भाजपा सरकार का आभार जताया है। राजा महेंद्र प्रताप की शादी जींद की राजकुमारी बलबीर कौर साहिबा के साथ हुई थी।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 15 Sep 2021 11:59 AM (IST) Updated:Wed, 15 Sep 2021 11:59 AM (IST)
अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी की सौगात, जींद रियासत की राजकुमारी से हुई थी राजा महेंद्र की शादी
उत्‍तर प्रदेश के अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप यूनिवर्सिटी।

जींद, [कर्मपाल गिल]। हाथरस के राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर अलीगढ़ जिले के लोधा में यूनिवर्सटिी बनाने की घोषणा से हरियाणा के जाट समाज में भी खुशी की लहर है। खासकर जींद के राजपरिवार ने इसके लिए मोदी सरकार का आभार जताया है। वजह, राजा महेंद्र प्रताप की शादी जींद के राजा टिक्का बलबीर सिंह की बेटी रानी बलबीर कौर साहिबा के साथ हुई थी।

इतिहासकार गुलशन भारद्वाज ने दैनिक जागरण को बताया कि 1902 में संगरूर पैलेस में राजा महेंद्र प्रताप व रानी बलबीर कौर साहिबा की शादी हुई थी। उस शादी में हाथरस से संगरूर तक बरात आने के लिए दो स्पेशल रेलगाड़ियां चली थीं। तब संगरूर भी जींद रियासत का ही हिस्सा था। संगरूर और जींद दोनों जगह राजमहल थे। जब राजा महेंद्र प्रताप की बरात संगरूर पहुंची तो उन्हें 21 तोपों की सलामी दी गई थी। शादी के बाद जब भी राजा महेंद्र प्रताप जींद या संगरूर आते थे, तब उन्हें तोपों की सलामी दी जाती थी।

राजा महेंद्र प्रताप 1907 में रानी बलबीर कौर को लेकर यूरोप और अमेरिका में हनीमून मनाने गए। वहां विज्ञान और तकनीकी का कमाल देखा और वापस आकर वृंदावन में प्रेम महाविद्यालय बनाया, जिसमें जिसमें शिक्षा के साथ पेंटिंग बढ़ई और लुहार के काम भी सिखाए गए। भट्ठी लगाई गईं और कताई-बुनाई और टाइप सिखाने का प्रबंध किया गया। देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए वह अपनी रानी, पुत्री और पुत्र प्रेम प्रताप को छोड़कर यूरोप चले गए। इस दौरान एक दिसंबर 1915 में अफगानिस्तान जाकर भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई, जिसमें स्वयं को राष्ट्रपति और मौलाना बरकतुल्ला खां को प्रधानमंत्री घोषित किया। इस दौरान अफगानिस्तान से जर्मनी गए, जहां कैसर से मिले।

मई 1919 को एशियाई लीग स्थापित किया। दूसरा विश्व युद्ध शुरू होने पर उन्होंने भारत के लिए एक नियंत्रण बोर्ड की रचना की, जिसके अध्यक्ष वह खुद थे और रासबिहारी बोस उपाध्यक्ष थे। बाद में यही बोर्ड आजाद हिंद फौज बना, जिसके नेता सुभाष चंद्र बोस थे। इसके बाद जापान जाकर आश्रम चलाया, लेकिन वहां की सरकार ने विश्वास न होने पर बंधक बना लिया। वहां से छूटकर 31 वर्ष के बाद 9 अगस्त 1946 को देश लौटे। तब वर्धा में सरदार पटेल ने उनका स्वागत किया था। महात्मा गांधी ने भी अपनी प्रार्थना सभा में उनके प्रेम धर्म के अनुसार प्रार्थना करवाई थी।

अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष रहे हैं महेंद्र प्रताप

राजा महेंद्र प्रताप ने 1946 में भारत लौटने पर उन्होंने देश का भ्रमण किया, जहां प्रेम धर्म और संसार संघ का प्रचार किया। 1957 से 1962 तक सांसद रहे तथा अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष बने। उनका स्वर्गवास 96 वर्ष की लंबी आयु में 29 अप्रैल 1979 को हुआ था।

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