किसानों को शिक्षित और लघु उद्यमी के रूप में देखना चाहते थे चौधरी चरण सिंह, हरियाणा से था लगाव
चौ. चरण सिंह 1974 में पहली बार जींद में आए थे। सिटी ग्राउंड में जनसभा की थी। किसानों को शिक्षित व लघु उद्यमी देखना चाहते थे। एडवोकेट दया सिंह के घर दो बार लांच किया था। सिटी ग्राउंड में किसानों के मुद्दे पर डेढ़ घंटे भाषण तक दिया था।
पानीपत/जींद, [कर्मपाल गिल]। देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौ. चरण सिंह का जींद से भी खासा लगाव रहा है। वह दो बार जींद आए थे। एक बार प्रधानमंत्री बनने से पहले और एक दफा बाद में। जींद के सिटी ग्राउंड में 1974 में किसान रैली के मुख्य वक्ता थे। 23 दिसंबर को उनकी जयंती पर किसान दिवस मनाया जाता है। उन्होंने 1981 में अपना जन्मदिन जींद में एडवोकेट दया ङ्क्षसह के घर मनाया था और हवन में आहुति भी डाली थी।
दैनिक जागरण से बातचीत में पुराने संस्मरणों को याद करते हुए दया सिंह ने बताया कि 1974 में किसानों को गेहूं के अच्छा भाव दिलाने के लिए भारतीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष चौ. देवीलाल ने किसान संघर्ष समिति का गठन किया हुआ था। समिति में पंजाबी नेता डॉ. मंगलसेन, दलित नेता चौ. चांदराम, चौ. दल सिंह, मनीराम बागड़ी आदि नेता शामिल थे। इस समिति के बुलावे पर चौ. चरण सिंह 16 जून 1974 को जींद आए थे। तब वह भारतीय लोकदल के सर्वेसर्वा थे।
जींद में पुराना बस स्टैंड से उनका जुलूस बाजार के बीच में से होता हुआ सिटी रेलवे के पास सिटी ग्राउंड में पहुंचा था। तपतपाती गर्मी में भी चौ. चरण ङ्क्षसह को देखने और उनका भाषण सुनने के प्रति लोगों में इतना जोश था कि पुराने बस स्टैंड से सिटी ग्राउंड तक जुलूस पहुंचने में दो घंटे लग गए थे। हजारों लोगों की भीड़ से खचाखच सिटी ग्राउंड में चौ. चरण ङ्क्षसह ने करीब डेढ़ घंटा भाषणा दिया था। उस समय प्रदेश के मुख्यमंत्री चौ. बंसीलाल थे। उन्होंने गेहूं को दूसरे प्रदेशों में भेजने पर पाबंदी लगा दी थी। इससे किसानों को अच्छा भाव नहीं मिल रहा था। शिक्षकों व बिजली कर्मचारी भी आंदोलन कर रहे थे। देश में जयप्रकाश नारायण का आंदोलन चल रहा था। सभी वर्गों में सरकार के प्रति नाराजगी थी।
चौ. चरण सिंह ने अपने भाषण का पूरा फोकस किसानों पर रखा। विदेश नीति के अच्छे जानकार चौ. चरण सिंह ने किसानों को संगठित होने, बच्चों को शिक्षित करने और लघु उद्योग लगाने के लिए प्रेरित किया था। उस रैली में देवीलाल, दल सिंह और दया सिंह ने मिलकर 74 वर्षीय चौ. चरण सिंह के गले में 74 हजार रुपये की माला डाली थी। रैली के बाद चौ. चरण सिंह ने रोहतक रोड पर दया सिंह के घर पहुंचकर लंच किया था। इसके बाद वह पूर्व मंत्री राम सिंह के घर चाय पीकर दिल्ली के लिए रवाना हुए थे।
एडवोकेट दया सिंह।
किसान को लघु उद्यमी देखना चाहते थे चौ. चरण सिंह
एडवोकेट दया सिंह ने बताया कि चौ. चरण सिंह किसानों की कमजोर आर्थिक हालत को लेकर काफी गंभीर थे। वह चाहते थे कि किसान जिन फसलों का उत्पादन करता है, उससे संबंधित लघु उद्योग लगाने पड़ेंगे। जापान में जिस तरह छोटी दुकानें हैं, वो काम किसान को करना पड़ेगा। तभी किसान उभरेगा। वह किसानों से कहते थे कि फसलों के उत्पाद बनाकर अपनी दुकान खोलकर बेचो। कोऑपरेटिव फार्मिंग या सोसायटी बनाकर खेती करें। खेत से अनाज को सीधे मार्केट में न बेचकर छोटी पैङ्क्षकग करके बेचें। प्रोसेसिंग प्लांट लगाएं। वह कहते थे सबसे जरूरी किसान को शिक्षित होना पड़ेगा, तभी आगे बढ़ेगा। वह साधारण तरीके से रहते थे।
गांधीवादी नेता थे चरण सिंह
जनता दल व भारतीय लोकदल के सर्वेसर्वा रहे चौ. चरण सिंह उत्तर भारत के बड़े किसान बनकर उभरे थे। उनकी एक कॉल पर हजारों किसान इकट्ठे हो जाते थे। पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, बिहार सब जगह उनका प्रभाव था। कृषि के अलावा विदेश मामलों के भी वह बड़े जानकार थे। वह पूरी तरह गांधीवादी थे। हिंसा उन्हें कतई पसंद नहीं थी। समाजवादी होने के कारण सोशलिस्ट लॉबी उनके साथ थी। वह व्यापार को कुछ पूंजीपतियों के हाथों में देने के खिलाफ थे। इसी कारण बड़े पूंजीपतियों को वह खटकते थे। वह कहते थे किसान की समृद्धि से देश संपन्न होगा। इसलिए सरकारों को किसान की आर्थिक हालत मजबूत करनी चाहिए।