फाइनेंस की गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़े का खेल, गिरोह के संपर्क में कंप्यूटर आपरेटर

यमुनानगर में लंबे समय से रजिस्‍ट्रेशन में फर्जीवाड़े का खेल चल रहा है। गिरोह के संपर्क में कंप्‍यूटर ऑपरेटर था। जांच टीम का दावा 60-65 हजार रुपये एक गाड़ी के दस्तावेज तैयार करने के नाम पर लिए जाते थे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 23 Jan 2021 05:35 PM (IST) Updated:Sat, 23 Jan 2021 05:35 PM (IST)
फाइनेंस की गाडिय़ों के रजिस्ट्रेशन में फर्जीवाड़े का खेल, गिरोह के संपर्क में कंप्यूटर आपरेटर
लंबे समय से रजिस्‍ट्रेशन में फर्जीवाड़े का खेल।

पानीपत/यमुनानगर, जेएनएन। फाइनेंस की गाडिय़ों के फर्जी दस्तावेज तैयार करने का खेल लंबे समय से चल रहा था। सिरसा सीआइए की पकड़ में यह गिरोह आया, तो इस खेल से पर्दा हटा। इसके तार जगाधरी के ई दिशा केंद्र से जुड़े थे। यहां पर तैनात कंप्यूटर आपरेटर अमित गिरोह से मिला हुआ था। जांच टीम के मुताबिक एक वाहन के फर्जी दस्तावेज तैयार करने के नाम पर 60 से 65 हजार रुपये लिए जा रहे थे। हालांकि अमित गिरोह के सदस्य के पकड़े जाने के बाद से ही लापता है। एसडीएम जगाधरी दर्शन कुमार की ओर से भी ई दिशा केंद्र के चार कर्मचारी  अमित कुमार, शुभम, कुनाल व अमित पर केस दर्ज कराया गया है।   

डाटा एंट्री आपरेटरों की यूजर आइडी बनी होती है। पूरी प्रक्रिया होने के बाद फाइल अधीक्षक और उसके बाद एसडीएम के पास पहुंचती है। इन आरोपितों ने एसडीएम के डिजिटल साइन कर दस्तावेज तैयार किए। यदि सिरसा पुलिस की पकड़ में गिरोह नहीं आता, तो यह खेल इसी तरह से चलता रहता। वहीं इस फर्जीवाड़े के बाद से ही ई दिशा केंद्र के कर्मचारियों की टेंशन बढ़ी हुई है। कई दिनों से ई दिशा केंद्र में आरोपित कर्मियों की कुर्सियां खाली पड़ी हैं। 

पिछली तारीख में दिखाकर कर देते थे आरसी जारी 

ई दिशा केंद्र जगाधरी में चल रहे फर्जीवाड़े में शामिल कंप्यूटर आपरेटर बैक डेट में भी आरसी जारी कर देते थे। यदि किसी गाड़ी का रजिस्ट्रेशन कराने में देरी हो जाए, तो उसे भी पिछली तारीख में दिखाकर आरसी जारी की जाती थी। इससे राजस्व का भी नुकसान किया जा रहा था। बताया जा रहा है कि यह बड़ा गिरोह है। यह वीआइपी नंबरों को देने में भी हेराफेरी करते थे। इन कंप्यूटर आपरेटरों के साथ कुछ दलाल भी जुड़े हुए हैं। जो इस तरह के फर्जीवाड़े को अंजाम देते थे।  

16 फाइलें ही आई पकड़ में 

एसडीएम ने जब रिकॉर्ड की जांच कराई, तो सामने आया कि 16 फाइलें ऐसी मिली। जिन्हें न तो एमआरसी और अधीक्षक ने पास नहीं किया। यह फाइल उनके पास पहुंची ही नहीं। इन फाइलों पर एसडीएम के डिजिटल सिग्नेचर कर डायरेक्ट निकाल दिया गया। यह कुछ ही फाइलों का रिकॉर्ड खंगालने पर मिला है। यदि पूरा रिकॉर्ड खंगाला जाए, तो ऐसी और भी फाइलें मिल सकती है। एसडीएम दर्शन ङ्क्षसह ने बताया कि अभी मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। अब पुलिस को संबंधित रिकॉर्ड दिया जाएगा। जिसके आधार पर ही वह कर्मियों से पूछताछ करेगी।

प्रोसिजर पता करेंगे दस्तावेज तैयार करने का 

सेक्टर 17 थाना प्रभारी अजीत कुमार ने बताया कि एसडीएम की शिकायत पर चार कर्मियों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। अब ई दिशा केंद्र में गाडिय़ों से संबंधित दस्तावेज तैयार करने के पूरे प्रोसिजर की जानकारी ली जाएगी। इसके साथ ही वाहनों के रजिस्ट्रेशन से संबंधित दस्तावेज लिए जाएंगे। आरोपित कर्मियों से भी पूछताछ करेंगे। 

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