Migratory Bird: मिलिए इन विदेशी मेहमानों से, आस्था के बीच प्रवासी पक्षियों से बढ़ रहा कुरुक्षेत्र का प्राकृतिक सौंदर्य
Migratory Bird हरियाणा के कुरुक्षेत्र में इन दिनों प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। दूर देशा से आने वाले पक्षी आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। कुरुक्षेत्र में हर साल अक्टूबर में प्रवासी पक्षी कुरुक्षेत्र में विचरण के लिए आते हैं।
कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। आस्था का केंद्र कुरुक्षेत्र धर्मनगरी इन दिनों विदेशी मेहमानों को लेकर चर्चा में है। कुरुक्षेत्र में विदेशी पक्षी का आना लोगों के लिए कौतूहल बना हुआ है। दूर-दूर से लोग इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए आ रहे हैं। अक्टूबर के महनी में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो जाता है। हालांकि इस बार इनकी कुछ संख्या कम है। इसकी सबसे बड़ी वजह पर्याप्त भोजन और तालाबों में गंदगी है।
राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय हथीरा के जीव विज्ञान प्राध्यापक डा. तरसेम कौशिक ने बताया कि धर्मनगरी के विभिन्न प्राकृतिक तालाबों जैसे सुनहरी खालसा, ईशाकपुर, हथीरा व ब्रह्मसरोवर में सर्दियों में प्रवासी पक्षियों का जमघट लगना शुरू हो जाता है। हालांकि ब्रह्मसरोवर में लाखों की संख्या में प्रवासी पक्षी अपने शीतकालीन प्रवास के लिए आया करते थे, लेकिन कुछ वर्षों से पर्यटकों की संख्या बढ़ने और अंतरराष्ट्रीय गीता जयंती महोत्सव के आयोजन होने के कारण प्रवासी पक्षी ब्रह्मसरोवर में न आकर अन्य तालाबों में प्रवास करते हैं।
सुनहरी खालसा व इशाकपुर के तालाबों में भी कम आ रहे पक्षी
डा. तरसेम कौशिक ने बताया कि सर्दियों की आहट के साथ ही सुनहरी खालसा व इशाकपुर के प्राकृतिक तालाब प्रवासी पक्षियों के शीतकालीन आवास रहे हैं, चूंकि यहां इन्हें सुरक्षित आवास व भोजन पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हो जाता था। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इन तालाबों में प्रवासी पक्षियों की संख्या में बेतहाशा कमी आई है। जिसका मुख्य कारण तालाब के जल का गंदा होना, मछली पालन को बढ़ावा देना, तालाब का दायरा सिकुड़ना व तालाब के नजदीक ग्रामीणों के दैनिक क्रियाकलापों में वृद्धि है।
जलीय पौधों की कमी से भोजन नहीं हो पा रहा उपलब्ध
डा. तरसेम कौशिक ने बताया कि तालाब में जलीय पौधों की कमी है। जिससे प्रवासी पक्षियों को प्रचुर मात्रा में भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता। अत: प्रवासी किसी अन्य उपयुक्त तालाबों की खोज में इधर-उधर विचरण करते रहते हैं। प्रवासी पक्षी अपने मूल निवास स्थान से दुर्गम यात्रा करके कुरुक्षेत्र में आते हैं, लेकिन यहां भी उन्हें विषम स्थितियों से रूबरू होना पड़ता है। न तो उन्हें सुरक्षित आवास ही मिल पाता है न ही पर्याप्त मात्रा में भोजन। जिससे साल दर साल प्रवासी पक्षियों की संख्या में अप्रत्याशित कमी आई है।
जैवविविधता से परिपूर्ण तालाबों में मानवीय गतिविधियों पर लगे पूर्णतः प्रतिबंध
जैवविविधता से परिपूर्ण तालाबों में मानवीय गतिविधियों पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगना चाहिए। वहीं प्रवासी पक्षियों को सुरक्षित आवास व प्रचुर मात्रा में भोजन उपलब्ध करवाने के लिए शासन व प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। प्रशासन को उन प्राकृतिक तालाबों का संरक्षण व संवर्धन करना होगा, जो जैवविविधता की दृष्टि से समृद्ध हैं।