आटा-साटा कुप्रथा से बालिका वधू बन रहीं बेटियां, ये बेडि़यां कब टूटेंगी

आटा साटा की कुप्रथा ने बेटियों के हाथों में बेडि़यां बांध दी हैं। जो बेटियां विरोध करती हैं उन पर दबाव बढ़ जाता है। पानीपत में एक बेटी को जहर तक पीना पड़ गया। पढ़ें खास रिपोर्ट।

By Ravi DhawanEdited By: Publish:Wed, 22 May 2019 02:23 PM (IST) Updated:Wed, 22 May 2019 02:24 PM (IST)
आटा-साटा कुप्रथा से बालिका वधू बन रहीं बेटियां, ये बेडि़यां कब टूटेंगी
आटा-साटा कुप्रथा से बालिका वधू बन रहीं बेटियां, ये बेडि़यां कब टूटेंगी

पानीपत, [राज सिंह] आटा-साटा (बदले में विवाह) कुप्रथा की वजह से बेटियां जबरन बालिका वधू बन रही हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ के इस दौर में यह कुप्रथा कुछ जातियों में चली आ रही है। सबसे दु:खद बात है कि कुप्रथा के कारण प्रदेश में हर वर्ष दर्जनों किशोरियां बालिका वधू बन जाती हैं। बात तब बिगड़ती है जब लड़की के बालिग होने पर गौना या ससुराल जाने का दबाव बनाया जाता है। शिक्षित-समझदार लड़कियां बाल विवाह को इंकार करते हुए कुप्रथा-परम्परा का विरोध करने लगी हैं। 

केस नंबर एक : पिता ने बेटी को सौंप दिया 
बीरा सिंह निवासी जिला जींद ने अपनी बेटी माफी को महज दो साल की उम्र में जीजा धर्म सिंह वासी लोहारी को सौंप दिया था। धर्म सिंह के दो बेटे सुनील और बिजेंद्र हैं। वर्ष 2010 में माफी की आयु महज 14 साल थी तो आटा-साटा कुप्रथा के तहत उसका विवाह मोनू पुत्र महावीर (सुनील की पत्नी सुनीता का भाई) निवासी अलुपुर से कर दिया गया था। 15 अप्रैल 2019 को गौना कर ससुराल भेज दिया गया। एक सप्ताह ससुराल में रहने के बाद फूफा के घर लौटी तो उसने अशोक को नापसंद करते हुए, दोबारा ससुराल जाने से इन्कार कर दिया था। उसे दोबारा ससुराल भेजने की तैयारी थी, इसके चलते उसने 17 मई को मच्छर मारने की दवा का घूंट भर लिया था। महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी रजनी गुप्ता इस केस की जांच कर रही हैं। 

केस नंबर दो : कविता की रुक गई शादी 
गांव महावटी में रेनू पुत्री दिलबाग की शादी 17 मई 2019 को रोशन नाम के लड़के से होनी थी। इससे एक दिन पहले रोशन की बहन कविता की शादी दिलबाग के भांजे से होनी थी। रेनू के नाबालिग होने की सूचना मिलने पर महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी ने पुलिस की मदद से 15 मई को दोनों पक्षों को कार्यालय बुलवाया। बाल विवाह निषेध अधिनियम की जानकारी देकर विवाह रुकवा दिया। इससे कविता की शादी भी रुक गई। 

केस नंबर तीन : शशि ने कर दिया इन्‍कार 
जिला करनाल के बरसत गाव निवासी लड़की शशि का विवाह 11 जुलाई, 2008 को आटा-साटा आधार पर सहारनपुर के टोल्ला माजरा निवासी मन्नू से हुआ था। उस समय लड़की की आयु महज 8 वर्ष थी। मन्नू की बहन बेबी का विवाह भी शशि के चाचा के साथ हुआ था। वर्ष 2017 में शशि की आयु करीब 17 वर्ष हुई तो गौना करने का दबाव बना। शशि ने इन्कार किया तो मन्नू अपनी बहन बेबी को घर ले आया। दोनों परिवारों में पंचायतों का दौर चला। शशि ने कोर्ट की शरण ली। अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश वीपी सिरोही ने बाल विवाह को गैर कानूनी बताकर, शशि को न्याय दिलाया। हालांकि, गत वर्ष शशि की शादी किसी अन्य लड़के से हो चुकी है। 

केस नंबर चार : रुकवाया बाल विवाह 
गांव ऊंटला निवासी करण सिंह के बड़े पुत्र सोनू की शादी 28 जून को कैथल के गांव बढ़साना निवासी नेकीराम की पुत्री कोमल से हुई थी। यह शादी प्राचीन परंपरा आटा-साटा (बदले में विवाह ) के तहत हुई। करण ङ्क्षसह को अपनी बेटी मोनिका की शादी नेकीराम के पुत्र सचिन के साथ 29 जून को करनी थी। जांच के दौरान सचिन की आयु 17 वर्ष मोनिका की आयु भी साढ़े सोलह वर्ष मिली। चार जुलाई 2017 को विवाह रुकवाया गया था। 

कानूनन अपराध है बाल विवाह 
आटा-साटा कुप्रथा यह नहीं कहती कि लड़का-लड़की की शादी कम आयु में कर दी जाए। अस्सी-सौ साल पहले लोग इतने जागरुक नहीं थे, इसलिए बच्चों की आयु कम उम्र में कर देते थे। वर्तमान में बाल विवाह कानूनी अपराध है। हर साल जिले में आटा-साटा के तहत होने वाले चार-पांच बाल विवाह रुकवाए जाते रहे हैं। 
रजनी गुप्ता,  जिला महिला संरक्षण एवं बाल विवाह निषेध अधिकारी 

होता ये है 
दरअसल, दो परिवारों में आपसी सहमति बनती है। दोनों परिवार एक-दूसरे को अपनी-अपनी बेटी देने पर सहमति जताते हैं। इससे दोनों घरों के बेटों की शादी हो जाती है। बचपन में ही रिश्‍ता तय हो जाता है। इसी को आटा साटा कुप्रथा कहा जाता है। 

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