Court Decision: यमुनानगर की पांच ऐसी सजा, जो बनी नजीर, अच्छे काम के फैसले की हर जगह तारीफ

यमुनानगर में मारपीट के चार अलग-अलग मामलों में कोर्ट ने चार नाबालिगों को एक साल तक अच्छा व्यवहार करने की सजा सुनाई है। यह फैसले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट डा. मोहिनी की कोर्ट ने सुनाया था। एक नाबालिग ने अपनी चाची के साथ मारपीट की थी।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Sun, 05 Dec 2021 01:11 PM (IST) Updated:Sun, 05 Dec 2021 01:11 PM (IST)
Court Decision: यमुनानगर की पांच ऐसी सजा, जो बनी नजीर, अच्छे काम के फैसले की हर जगह तारीफ
यमुनानगर कोर्ट की सुनाई गई पांच सजा, जो नजीर बन गई।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर में शराब पीकर हंगामा करने से लेकर पुलिस कर्मियों के साथ अभद्रता करने के मामले में कोर्ट ने दोषियों को सजा सुनाई है। यह सजा अपने आप में नजीर है, क्योंकि इसमें किसी को भी जेल नहीं भेजा गया। इन दोषियों पर कोर्ट ने जुर्माना लगा। साथ ही अच्छा व्यवहार करने की सजा दी। यमुनानगर कोर्ट की सुनाई गई पांच सजा, जो नजीर बन गई। 

चार नाबालिगों को अच्छा व्यवहार करने की सजा

मारपीट के चार अलग-अलग मामलों में कोर्ट ने चार नाबालिगों को एक साल तक अच्छा व्यवहार करने की सजा सुनाई है। यह फैसले जुवेनाइल जस्टिस बोर्ड की प्रिंसिपल मजिस्ट्रेट डा. मोहिनी की कोर्ट ने सुनाया था। एक नाबालिग ने अपनी चाची के साथ मारपीट की थी। जबकि एक ने फाइनेंसर के साथ मारपीट की थी। इसी तरह से सरकारी ड्यूटी पर तैनान वन रक्षक से मारपीट कर वर्दी फाड़ने व खैर चोरी के मामले में कोर्ट ने नाबालिग को एक साल तक अच्च्छा व्यवहार करने की सजा सुनाई। इसी तरह से शहर जगाधरी थाना में दर्ज केस में मारपीट के केस में आरोपित नाबालिग को भी अच्छा व्यवहार करने की सजा सुनाई गई। पुलिस अधीक्षक को पत्र लिखकर इस बारे में सूचना भिजवाई गई कि इस अवधि के दौरान किसी भी नाबालिग ने कोई गलत काम किया, तो मामले की सुनवाई दोबारा शुरू कर दी जाएगी।  

100 रुपये का लगाया जुर्माना

मैडम गलती हो गई, आगे से शराब नहीं पीऊंगा। मैं अपनी गलती स्वीकार करता हूं कि शराब पीकर मैंने सरेराह हुड़दंग किया। यह गुहार शराब पीने के आरोपित बाल किशन ने एडिशनल चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट मधुलिका की कोर्ट ने सुनाई। कोर्ट ने आरोपित पर 100 रुपये का जुर्माना व हिदायत देकर छोड़ दिया था। दरअसल जेल में जाने के समाज में आदमी को कैदी की नजर से ही देखा जाता है। लेकिन कानून जब की आरोपित को सजा सुनाता है तो उसको सुधारने के लिए सजा दी जाती है।

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