यमुनानगर में आग की घटना: गाेदाम में लगी आग से उठा दमघोटू धुंआ, घुटन से शोर तक नहीं मचा सके, मौत

यमुनानगर के कबाड़ गोदाम में आग लग गई थी। इस आग से उठे धुएं में दम घुटने की वजह से तीन मासूमों सहित पिता की जान चली गई। हालांकि 17 लोगों को किसी तरह से बचा लिया गया। मासूम शोर तक नहीं मचा सके।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 04:58 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 04:58 PM (IST)
यमुनानगर में आग की घटना: गाेदाम में लगी आग से उठा दमघोटू धुंआ, घुटन से शोर तक नहीं मचा सके, मौत
यमुनानगर में दर्दनाक हादसे में धुएंं से दम घोटने से चार की मौत हुई थी।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। सिटी सेंटर रोड पर जिस गोदाम में आग लगी। वह 100 फुट लंबा है। इसमें छत पर आठ कमरे बने हुए हैं। इन कमरों में लेबर अपने परिवार के साथ रहती है। यहां पर रतनेश, समता, अंकित व शिवम एक परिवार, सचिन व श्याम बिहारी एक परिवार, पन्नालाल, सुनीता, सूरज, मनोज, रिया उर्फ सपना, सुरेंद्र, इंद्र व विशाल एक परिवार और चंदन, खुशबू, आदित्य एक परिवार से रहते हैं। रात को जब आग लगी, तो फर्श पूरी तरह से तपा हुआ है। बाहर शोर हो रहा था, लेकिन धुंए की घुटन से अंदर फंसे लोग बोल नहीं पा रहे थे। भाग भी नहीं सकते थे। ऐसे में पुलिस ने क्वार्टरों की दीवार को पीछे की तरफ से तोड़ा। उसमें से इन लोगों को एक-एक कर बाहर निकाला गया।

प्रत्यक्षदर्शी की जुबानी

मैं रात को मोबाइल पर गेम खेल रहा था। रात करीब ढाई बजे होंगे। मैं टायलेट के लिए उठा। बाहर निकला, तो धुंआ ही धुंआ हो रहा था। घुटन होने लगी। मैं सह नहीं सका, तो मैंने तुरंत क्वार्टरों के गेट पर लात मारनी शुरू कर दी। घर वालों को जगाने लगा। फिर वह बाहर निकले। आगे तक जाना मुश्किल हो रहा था, क्योंकि जिस क्वार्टर में आग लगी थी। वह आखिर में थी। कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। अंधेर-अंधेर हो चुका था। परिवार व अन्य लोग क्वार्टरों से बाहर नहीं निकल पाए। फर्श तक गर्म हो चुका था। उस समय किसी को भी चप्पल तक पहनने का होश नहीं था। -उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ जिले के गांव बादशाहपुर निवासी सूरज।

12 साल से रह रहे गोदाम पर बने क्वार्टरों में 

मूल रूप से बिहार के जिला मधुबन के गांव मिल्कमादीपुर निवासी नियामुद्दीन 12 साल से यहां पर गोदाम में बने क्वार्टर में रह रहा था। उसके साथ पत्नी नसीमा, आठ वर्षीय बेटा चांद, तीन वर्षीय रिहान, 12 वर्षीय बेटी फिजा भी रहते थे। नियामुद्दीन पांसरा में प्लाईवुड फैक्ट्री में मजदूरी करता था। मृतक नियामुद्दीन का भाई कैमूदीन भी सिटी सेंटर रोड पर इस गोदाम से एक गली छोड़कर परिवार के साथ रहता है। हादसे का पता लगने के बाद वह घटनास्थल पर पहुंचा। उसका कहना है कि मेरा तो सब कुछ खत्म हो गया।

सिलेंडरों की तलाश में लगे रहे दमकल विभाग के कर्मी 

दमकल विभाग की आठ गाड़ियां सुबह आठ बजे तक पहुंच चुकी थी। आग बुझाई जा रही थी, क्योंकि गोदाम में लगी आग पूरे में फैल चुकी थी। इस गोदाम में गत्ता, ज्वलनशील पदार्थ व अन्य कबाड़ था। जिससे आग तेजी से फैली। जब आग बुझाई जा रही थी, तो दमकल विभाग की टीम ने बाहर खड़े लेबर से भी अंदर सिलेंडरों के बारे में पूछा। इस दौरान पता लगा कि अंदर छह सिलेंडर भी हैं। ऐसे में टीम ने उन्हें सिलेंडरों की तलाश की। जिसमें एक सिलेंडर मिल गया था। बाद में अन्य सिलेंडरों को तलाशा गया, ताकि ब्लास्ट होने का खतरा न रहे।

लोगों में मच गई भगदड़

रात को आग लगने के बारे में आसपास रह रहे परिवारों को पता था। जब तक पुलिस व दमकल विभाग की टीम नहीं पहुंची। लोग दहशत में रहे। सुबह जब अन्य लोगों को पता लगा, तो भीड़ एकत्र हो गई। हर कोई इस हादसे की भयावता के बारे में बात कर रहा था। वहीं इस गोदाम के पास रहने वाले लोगों में दहशत ऐसी थी कि वह भी अपने घरों से दूर निकलकर खड़े रहे। सिटी सेंटर रोड पर लेबर के लिए इस तरह के काफी क्वार्टर बने हुए हैं। जिसमें प्लाईवुड फैक्ट्री में कार्य करने वाले मजदूर अपने परिवारों के साथ रहते हैं।

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