पानीपत में जल गए घरौंदे, बच्चों से छिन गई छत, उजड़े हालात में रोटी बनाती मां
पानीपत में गरीबों पर आग की मार। 20 से ज्यादा झोपड़ियां जलीं। गेहूं भी जला। परिवार खेतों में मजदूरी करते हैं। दो साल पहले भी यहां पर आग लगी थी। अब ऐसे ही हालात में मां बच्चों के लिए रोटियां बनाने में जुटी है।
पानीपत, जेएनएन। खेतों में मजदूरी करती हैं। मजबूरी में जगह बदलनी पड़ती है। जहां जगह मिलती है, वहां झोपड़ी बना लेते हैं। इन गरीबों की झोपड़ियों पर आग का कहर बरस गया। पानीपत के गांव ऊंटला व भालसी के बीच बनीं बीस झोपड़ियां जल गईं। लोगों ने आग बुझाने का भरसक प्रयास किया लेकिन बुझा नहीं सके। बच्चों से एक अदद छत भी छिन गई। इस बीच, जले हुए हालात के बीच ही महिलाएं बच्चों के लिए रोटी बनाती दिखीं।
बचे हुए नोट भी जले
किसी तरह बचाकर रखे कुछ रुपये भी यहां पर जल गए। लोगों ने बताया कि किसी तरह बचाकर रखे हुए नोट झोपड़ी में ही रखे थे। आग में ये रुपये भी जल गए। एक तरह से भीख मांगने की नौबत आ गई।
दो साल पहले भी आग लगी थी
यहां पर दो साल पहले भी आग लगी थी। राजस्थान व अन्य राज्यों से आए लोगों ने यहां पर झोपड़ी बना रखी है। इससे पहले जब आग लगी थी, तब बड़ी मुश्किल से दोबारा से झोपड़ियां बनाई थीं। एक बार फिर आग लग जाने से महिलाओं की आंखों से आंसू नहीं थम रहे।
रोने लगे बच्चे तो मां ने जलाया चूल्हा
आग लगने के कारण सभी अपना सामान समेट रहे थे। इसी बीच बच्चे भूख से रोने लगे। तब मां ने किसी तरह फिर से चूल्हा जलाया। बच्चों के लिए खाना बनाया।
बच्चों की साइकिल जल गई
जिस साइकिल पर बच्चे दिनभर घूमते थे, खेलते थे, वो साइकिल भी जल गई। बच्चे कभी पहिये को देखते तो कभी हैंडिल को। अब अपनी साइकिल को दोबारा नहीं चला सकेंगे।
पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
यह भी पढ़ें: बेटी पूरे कर रहे टैक्सी चालक पिता के ख्वाब, भाई ने दिया साथ तो कामयाबी को बढ़े हाथ
यह भी पढ़ें: पानीपत में बढ़ रहा कोरोना, बच्चों को इस तरह बचाएं, जानिये क्या है शिशु रोग विशेषज्ञ की सलाह
यह भी पढ़ें: चोट से बदली पानीपत के पहलवान की जिंदगी, खेलने का तरीका बदल बना नेशनल चैंपियन