Fertilizer Crisis: हरियाणा में खाद की किल्लत, यमुनानगर में 32 पैक्स सेंटर खाली
हरियाणा में खाद की किल्लत हो रही है। किसान परेशान है। खाद से 32 पैक्स खाली है। गेहूं में डालने के लिए भटक किसान रहे। 43 हजार किसान करते हैं पैक्स से लेनदेन बिना ब्याज के मिलता है खाद।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर के पैक्स केंद्र खाद से खाली है। यूरिया खाद के लिए किसान मारे-मारे फिर रहे हैं। न केवल यूरिया बल्कि अधिकांश केंद्रों पर डीएपी, एनपीके व एसएसपी खाद का स्टाक भी जीरो है। हालांकि गत दिनों पहले एक रैक आया था, लेकिन मांग को देखते हुए यह पर्याप्त नहीं है। जिले में 43 पैक्स केंद्र हैं। इनमें से 32 केंद्रों पर खाद उपलब्ध नहीं है। उधर, सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक के उच्चाधिकारियों का कहना है कि हर दिन की रिपोर्ट सरकार को भेजी जा रही है। उम्मीद है जल्दी ही यह समस्या दूर हो जाएगी। यहां बता दें कि जिले में करीब 70 हजार हेक्टेयर पर गेहूं की फसल है। इसके साथ ही सरसों की फसल में डालने के लिए भी इन दिनों खाद की जरूरत है।
किस पैक्स यूरिया की क्या स्थिति
बूड़िया : 1190 बैग
औधरी : 00
कलावड़ : 101
गुंदियाना : 00
चमरोड़ी : 00
रादौर : 80
बापौली : 00
बकाना : 00
कांजनू : 120
खुर्दबन : 00
संधाली : 00
जठलाना : 00
नाहरपुर : 23
हरनौल : 00
मंडेबर : 04
जगाधरी : 00
भटौली : 00
तेजली : 00
महलांवाली : 00
कैल : 19
भंभौली : 00
हरीपुर जाटान : 00
रटौली : 00
भागूमाजरा : 00
टोपरा कलां : 00
हड़तान : 00
बसंतपुरा : 00
धौड़ंग : 00
पाबनी कलां : 00
साढौरा : 00
सारवन : 00
रसूलपुर : 00
कपूरी : 00
पीरूवाला : 00
संधाय : 194
काठगढ़ : 1283
लेदी : 00
सिपियांवाला : 00
छछरौली : 00
खिजराबाद : 1195
दादुपुर हेड : 960
इस्माइलपुर : 00
इन दिनों बढ़ जाती मांग
भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री रामबीर सिंह चौहान का कहना है कि अब तक किसान डीएपी की किल्लत से जूझ रहे थे। अब पैक्स पर यूरिया नहीं मिल रहा है। किसानों को फसल में डालने के लिए यूरिया खाद नहीं मिल रहा है। पैक्स पर जाते ही जवाब मिलता है कि खाद उपलब्ध नहीं है। सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए। इन दिनों विशेषतौर पर गेहूं की फसल में खाद डालने की आवश्यकता है। यदि समय पर खाद-खुराक नहीं डाली जाएगी तो पैदावार प्रभावित होगी।
पैक्स से जुड़े 42 हजार किसान
जिले की 43 पैक्स से करीब 42 हजार किसान लेनदेन करते हैं। ऋण व खाद किसानों को बिना ब्याज के उपलब्ध होता है। हालांकि सात प्रतिशत ब्याज है, लेकिन इसको केंद्र व राज्य सरकार वहन करती है। यदि किसान नियमित रूप से लेनदेन कर रहा है तो उसको ब्याज नहीं देना पड़ता। इसलिए किसान पैक्स खाद लेना अधिक मुनासिब समझता है।
जल्द दूर होगी समस्या
सेंट्रल को-आपरेटिव बैंक के महा प्रबंधक राजेंद्र कुमार मेहरा का कहना है कि पैक्स पर खाद की कमी जरूर है। लेकिन यह समस्या जल्दी ही दूर हो जाएगी। हर दिन की रिपोर्ट सरकार को भेजी जा रही है।