यमुना से सटे गांवों में बाढ़ का खौफ, करनाल को यूपी से जोड़ने वाला पुल पानी में समाया

बारिश के कारण यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा हुआ है। करनाल के इंद्री में यमुना से सटे गांवों में हालात खराब। शेरगढ़ टापू गांव से यूपी जाने वाला पुल पानी में समा गया है। यमुना में डेढ़ लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़े जाने से हालात बदतर हुए।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 07:53 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 07:53 PM (IST)
यमुना से सटे गांवों में बाढ़ का खौफ, करनाल को यूपी से जोड़ने वाला पुल पानी में समाया
करनाल के शेरगढ़ टापू गांव में पानी में समाया यूपी को जाने वाला रास्ता।

संवाद सूत्र, गढी बीरबल (करनाल)। हालिया बरसात के बाद जिले में यमुना नदी के सीमावर्ती क्षेत्रों में जल स्तर बढ़ने को लेकर चिंता महसूस की जा रही है। हथनीकुंड हेड से अधिक पानी छोड़ने के कारण करनाल के इंद्री में यमुना से सटे गांवों में बाढ़ का खौफ महसूस किया जा रहा है। सबसे गंभीर हालात हरियाणा के शेरगढ़ टापू गांव से उत्तर प्रदेश के गंगोह के दौलतपुर को जोड़ने वाले रास्ते के हैं। यहां नदी के पुल से पहले बना धनोरा एस्केप का पुल पानी में समा गया है। करीब चार से पांच फुट पानी में यातायात पूरी तरह ठप हो गया है। लोग खतरा उठाकर ट्रैक्टर से आवागमन कर रहे हैं। वहीं यमुना से नजदीक लगाई गई फसल पूरी तरह पानी में डूब गई है। इससे ग्रामीणों में मायूसी है।

यमुना नदी में बुधवार को एक लाख 59 हजार क्यूसेक पानी छोड़े जाने के साथ ही लोगों की समस्याएं बढ़ गई हैं। यमुना से सटे शेरगढ़ टापू गांव निवासी जोगिंदर, राजेंद्र, जानी ने बताया कि उत्तर प्रदेश से जोड़ने वाले यमुना नदी के पुल से पहले धनोरा एस्केप के पुल के ऊपर से चार फुट से अधिक पानी चल रहा है। जबकि यमुना की पटरी से पुल लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर है। धनोरा एस्केप का पुल पटरी के नजदीक है। आगे पानी और अधिक बह रहा है। ऐसे हालात में ट्रैक्टर ट्रॉली के जरिए लोग हरियाणा की ओर प्रवेश कर रहे हैं। मार्गों पर कीचड़ भरा है। कई लोग टायर ट्यूब के जरिए भी नदी के तटीय इलाकों में जाने का खतरा उठा रहे हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि यमुना के नजदीक लगती फसल पूर्ण रूप से पानी में डूब गई है। अगर दो दिन तक पानी इसी प्रकार बढ़कर चलता रहा तो फसल पूरी तरह से नष्ट हो जाएगी।

फसलें पानी में समा गई हैं। पशुओं के लिए चारे का भी इंतजाम नहीं हो पा रहा है।

पशुओं के भूखे रहने की आई नौबत

दूसरी तरफ पशुओं का चारा का खराब होने का खतरा बना हुआ है। घास पानी में डूब गई है और वहां तक पहुंचने के रास्ते भी बंद हो गए हैं। इस कारण इंसानों के साथ-साथ पशुओं की भी समस्याएं बढ़ गई हैं। ग्रामीणों ने बताया कि रात के समय पानी और भी अधिक आने के कारण क्षेत्रवासियों का उत्तर प्रदेश से संपर्क टूट गया है। वहीं, प्रशासनिक अधिकारियों का दावा है कि हालात पर लगातार नजर रखी जा रही है। हर प्रकार की चुनौती से निपटने की पुख्ता तैयारी है।

कम हो रहा पानी

वीरवार को हथनीकुंड बैराज से दोपहर एक बजे एक लाख 20 हजार क्यूसेक छोड़ा गया। जबकि शाम पांच बजे 40 हजार क्यूसेक पानी रह गया गया। वहीं पश्चिमी यमुना में शाम पांच बजे 12 हजार क्यूसेक पानी रिकार्ड किया गया। चंद्राव के ग्रामीणों में गुरदयाल सिंह, धर्मबीर, महेंद्र सिंह, सुखविंदर आदि ने बताया कि जो पानी बुधवार को छोड़ा गया था, वह रात को पहुंचा था। अब पानी कम हो रहा है। यह पानी यमुना नदी के साथ लगते खेतों तक निकल गया था, जो धीरे धीरे कम हो रहा है।

करनाल के इंद्री में खेतों में पहुंचे यमुना के पानी के बारे में बताते किसान।

हालात पर रख रहे नजर

सिंचाई विभाग से एसडीओ आशीष कौशिक ने बताया कि स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है। यमुना पुल पर पूरी निगरानी रखी जा रही है। यमुना में बुधवार को एक लाख 59 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया था,जो धीरे-धीरे कम हो रहा है। घबराने की कोई बात नहीं है। एस्केप के पुल के ऊपर से पानी बह रहा है। यह शुक्रवार सुबह तक उतर सकता है। ग्राम सचिव को निरंतर निगरानी के लिए कहा गया है।

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